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एफआरआई के नए महानिदेशक होंगे डा. गैरोला

देहरादून : पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद्, देहरादून के नए महानिदेशक डा. सुरेश गैरोला नियुक्त किए हैं। उन्हांने अतिरिक्त महानिदेशक (वन्यजीव), पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार का पद 27 मार्च को छोड़ा तथा भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद्, देहरादून के महानिदेशक का पदभार 28 मार्च को ग्रहण कर लिया है।

डा. गैरोला ने 1978 से 1980 तक विज्ञान स्नातक की शिक्षा डी.वी.एस. कॉलेज, देहरादून से प्राप्त की। इन्होने आई.जी.एन.एफ.ए., देहरादून से 1982 से 1984 तक वानिकी तथा संबंधित विषयों में स्नातकोत्तर शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 2011 व 2012 के दौरान इन्होने नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया से पर्यावरण विधि में डिप्लोमा प्राप्त किया। वन अनुसंधान संस्थान (सम) विश्वविद्यालय, देहरादून से वर्ष 2013 में वन प्रबंधन में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। ये भारतीय प्रबंधन संस्थान, बैंगलौर के पूर्व छात्र रहे हैं, जहां से इन्होने लोक-नीति एवं प्रबंधन में स्नातकोत्तर कार्यक्रम पूर्ण किया। डा. सुरेश गैरोला 35 वर्षों के अनुभवी वानिकीविद् हैं तथा वन संरक्षण तथा प्रबंधन, वन्यजीव प्रबंधन, जननीति, पर्यावरणीय विधि, शोध एवं प्रशासन में विशेषज्ञ हैं। उन्होने महाराष्ट्र सरकार के साथ नीति स्तर पर महाराष्ट्र के वन क्षेत्र में कार्य किया तथा काष्ठ विज्ञान संस्थान, बैंगलौर में निदेशक एवं अनुसंधान समूह समन्वयक के रूप में कार्य किया।

इन्हें महाराष्ट्र सरकार के अधीन वन विकास संगठन के प्रबंध निदेशक के रूप में कॉरपोरेट जगत का भी अनुभव है। ये भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद्, देहरादून के बोर्ड ऑफ गवर्नर के सदस्य रहे हैं तथा वन विकास कॉर्पोरेशन, महाराष्ट्र में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के सदस्य रहे हैं। डा. गैराला के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पत्र-पत्रिकाओं में 30 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हुए है। इन्हें 2005 में सर्वोत्तम शोध पत्र के लिए इंडियन फॉरेस्टर द्वारा बें्रडिस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पद ग्रहण के उपरान्त डा. गैरोला ने वन अनुसंधान संस्थान तथा भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् के उच्च अधिकारियों से परिषद् के अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों की संक्षिप्त जानकारी प्राप्त की। इन्होने पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय सें करीबी सहयोग के साथ कार्य करने की इच्छा व्यक्त की जिससे कि वानिकी शोध एवं विकास तथा लोककल्याण को बढावा दिया जा सके। उन्होंने 3 से 7 अप्रैल तक देहरादून में आयोजित किए जाने वाले राष्ट्रमंडल वानिकी सम्मेलन की तैयारी की भी समीक्षा की तथा इसकी सफलता हेतु आवश्यक दिशानिर्देश दिए।

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