विक्टोरिया क्रॉस गब्बर सिंह की बहादुरी को अंग्रेज मानते हैं पर ‘अपने नहीं
नई टिहरी। प्रथम विश्व युद्ध के वीर सैनिक गब्बर सिंह नेगी की बहादुरी का अंग्रेजी हुकुमत ने पूरा सम्मान किया। अंग्रेजों ने मरणापरांत गब्बर सिंह को ब्रिटिश सरकार ने सबसे बड़े विक्टोरिया क्रॉस सम्मान ने नवाजा। लेकिन दुख कि बात है कि अब अपनी चुनी हुई सरकारों को इससे कोई वास्ता नहीं है। समय-समय पर सरकारों ने उनके नाम पर कई घोषणाएं जरूर की पर कोई भी योजना धरातल पर नहीं उतरी। इससे खफा गब्बर सिंह के पैतृक गांव मंज्यूड़ के ग्रामीण बेमियादी धरने पर बैठ गए हैं।
ग्रामीण मंगलवार को वीसी गबर सिंह के पैतृक घर के परिसर में एकत्र हुए। यहां शासन-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर धरना शुरू कर दिया। पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष इंद्र सिंह नेगी ने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने विक्टोरिया क्रॉस गबर सिंह मेले को पर्यटन मेला घोषित किया था। इसका शासनादेश भी जारी हो गया था, लेकिन मेले के आयोजन के लिए सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं दी जा रही है।ग्राम प्रधान महावीर नेगी का कहना था कि सरकार वीसी गबर सिंह के पैतृक घर के संरक्षण पर भी ध्यान नहीं दे रही है, इससे घर जीर्ण-शीर्ण हो गया है। गांव में सडक़ नहीं है। ग्रामीणों को दो किमी खड़ी चढ़ाई चढक़र गांव पहुंचना पड़ता है।
2009 में गांव के लिए सडक़ स्वीकृत हुई थी, लेकिन अब तक नहीं बनी। यही नहीं गब्बर सिंह नेगी के नाम पर चंबा में सेना की भर्ती होती थी, लेकिन 2005 से सेना की भर्ती भी नहीं हो रही है। कहा कि राज्य सरकारों के उपेक्षित रवैये के चलते ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। धरने पर ब्लॉक प्रमुख चंबा आनंदी नेगी, अतर सिंह नेगी, सुरेंद्र सिंह नेगी, कुंदन सिंह, लक्ष्मी नेगी, आशा देवी, पुलमा देवी, वीर सिंह नेगी, उदय सिंह, धन सिंह, बसंती देवी, रोशनी देवी आदि बैठे रहे।
गब्बर सिंह नेगी का जन्म 21 अप्रैल 1895 को उत्तराखंड में टिहरी जिले के चंबा के पास मज्यूड़ गांव में एक गरीब परिवार में हुआ था। वह अक्तूबर 1913 में गढ़वाल रायफल में भर्ती हो गए। भर्ती होने के कुछ ही समय बाद गढ़वाल रायफल के सैनिकों को प्रथम विश्व युद्ध के लिए फ्रांस भेजा गया, जहां 1915 में न्यू शैपल में लड़ते-लड़ते 20 साल की अल्पायु में वो शहीद हो गए। मरणोपरांत गब्बर सिंह को
ब्रिटिश सरकार के सबसे बड़े सम्मान विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित गया। सबसे कम उम्र में विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित होने वाले शहीद गब्बर सिंह नेगी थे। तब से हर साल 21 अप्रैल को चंबा में उनके स्मारक स्थल पर गढ़वाल राइफल द्वारा रेतलिंग परेड कर उन्हें सलामी दी जाती है। गढ़वाल राइफल का नाम विश्वभर में रोशन करने वाले वीर गब्बर सिंह नेगी की शहादत को याद करने के लिए हर चंबा में मेले का आयोजन होता है।