Uttarakhand

सिविल सेवाओं को नई दिशा तथा व्यवस्था को अधिक मजबूत करने की आवश्यकता : डॉ.पॉल

सैंतालीस वर्ष पुराने अपने अनुभव भी साझा किये प्रशिक्षणार्थियों के साथ 

देहरादून : विकास की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए प्रधानमंत्री के ‘नवभारत निर्माण’ के आह्वाहन के परिप्रेक्ष्य में सिविल सेवाओं को नई दिशा देने तथा व्यवस्था को अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि लोगों में विश्वास जागृत हो और युवाओं, महिलाओं तथा गरीब से गरीब व्यक्ति तक विकास का लाभ पहुँच सके। जनसाधारण के लाभ के लिए व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और सहज सुलभ बनाने पर भी विशेष ध्यान केन्द्रित करना होगा।

उत्तराखण्ड के राज्यपाल डा0 कृष्ण कांत पाल ने शुक्रवार को  लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक, अकादमी, मसूरी में चतुर्थ ‘इन्टर सर्विस मीट’ ‘संगम-2017’ के उद्घाटन अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यअतिथि संबोधित कर रहे थे।  इस अवसर पर  राज्यपाल द्वारा टाॅपर्स प्रशिक्षु अधिकारियों को गोल्ड मेडल और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया।

‘संगम-2017’ के अन्तर्गत देश की विभिन्न सेवाओं की अकादमी से आये युवा अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि अकादमी में प्राप्त प्रशिक्षण अधिकारियों में, आम आदमी को बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए व्यक्तिगत और पेशेवर प्रतिबद्धता विकसित करता है। उन्होंने प्रशासनिक तंत्र और सरकार की जटिलताओं के दृष्टिगत विभिन्न नागरिक सेवाओं के बीच मजबूत सामंजस्य और रचनात्मक साझेदारी आवश्यक बताया। पारदर्शी, त्रुटिविहीन तथा साफ-सुथरी व्यवस्था पर बल देते हुए हए राज्यपाल ने कहा कि आज के डिजिटलीकरण के समय में सूचना प्रौद्यौगिकी का प्रयोग करके सरकारी तंत्र में विभिन्न स्तरों पर व्याप्त सभी विकृतियों को समाप्त किया जा सकता है।

‘संगम’ जैसे आयोजन को युवा अधिकारियों के लिए आपसी मेलजोल का एक शानदार अवसर बताते हुए राज्यपाल ने एक प्रशिक्षु के रूप में अकादमी में सैंतालीस वर्ष पुराने अपने अनुभव भी प्रशिक्षणार्थियों के साथ साझा किये। उन्होंने बताया कि अकादमी में आना उनके लिए सदैव एक सम्मान और आनन्द का अनुभव रहा है। राज्यपाल ने अखिल भारतीय सेवा परीक्षाओं में सफलता पाकर प्रशिक्षण हेतु अकादमी पहुँचे सभी अधिकारियों को बधाई दी।

उन्होंने कहा कि अकादमी सरदार बल्लभ भाई पटेल द्वारा विचारित मूल्यों पर टिकी है और लाल बाहदुर शास्त्री ने इसे आगे बढ़ाया है। आजादी के बाद लोकतंत्र की शुरूआत के बाद से ही देश के समक्ष नई चुनौतियां आई, सभी प्रकार की सेवाओं ने लोगों और देश के हितों की रक्षा के लिए खुद को परिवर्तित किया।

अकादमी के महत्व और प्रतिष्ठा पर प्रकाश डालते हुए राज्यपाल ने कहा कि इस अकादमी के पूर्व छात्रों द्वारा तैयार किए गए नवाचारों ने आम आदमी की प्रशंसा अर्जित की है व अपना सम्मानित स्थान बनाया है। उनके योगदान से सिविल सेवा दिवस ने मान्यता और पहचान प्राप्त की है।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में कई विरोधाभासों के बावजूद विभिन्न राज्य सरकार, विभागांे और केन्द्र सरकारों में लगभग सभी सुधारात्मक परिवर्तन अधिकारियों द्वारा किये गए हैं। बाधाओं और चुनौतियों के बावजूद, भारत के विकास और निष्पक्षता पर ध्यान देने के साथ तकनीकी, सामाजिक और आर्थिक प्रगति में तेजी प्रदान की। हमारे अधिकारियों ने प्रशासन के अलावा बुनियादी सेवाओं की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ाने में काफी योगदान दिया है।

उन्होंने ‘संगम’ को पेशेवरों के एक बहुरूपदर्शक के रूप में वर्णित किया है। उन्होंने कहा कि यहाँ होने वाले वाद-विवाद, क्विज और प्रबन्धन प्रतियोगिताओं के माध्यम से एक समान प्लेटफार्म पर योग्यताओं की प्रतिस्पर्धा होती है।

devbhoomimedia

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