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भाजपा उत्तराखंड में फिर निकला सफारी वाले का जिन्न बाहर

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

अपने जैसे ही रंगीन मिजाज आकाओं के कारण संरक्षण पाता रहा संजय कुमार बेइज्जत करके पार्टी से निकाल दिया गया संजय कुमार के एक के बाद एक पार्टी को शर्मिंदा करने वाले कारनामे वर्षों से पार्टी को शर्मिंदा कर रहे थे किंतु बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे जिनके कारण लंबे समय से उत्तराखंड भाजपा दिल्ली के  उस महानुभाव का उपनिवेश बनकर रह गई है।

देहरादून : भाजपा उत्तराखंड में सफारी सूट का जिन्न एक बार फिर बाहर निकलने को तैयार है। जहाँ देश में  भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड आजकल मीटू कांड के कारण शर्मिंदगी से गुजर रही है वहीं चाल चरित्र और चेहरा सहित राष्ट्रवाद के नाम पर जनता के बीच विशिष्ट पहचान बनाने वाली भाजपा के बड़े नेता आज संजय कुमार प्रकरण पर मुंह छुपाते नजर आ रहे हैं। अपने जैसे ही रंगीन मिजाज आकाओं के कारण अब तक संरक्षण पाता रहा संजय कुमार को बेइज्जत करके पार्टी से निकाल दिया गया। संजय कुमार के एक के बाद एक पार्टी को शर्मिंदा करने वाले कारनामे वर्षों से पार्टी को शर्मिंदा कर रहे थे, किंतु बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे, लंबे समय से उत्तराखंड भाजपा दिल्ली के उस महानुभाव के  का उपनिवेश बनकर रह गई है ।

बताया जा रहा है कि संजय कुमार  के विकल्प के रूप में  एक बार फिर एक  विवादित व्यक्ति को  कार्यवाहक संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी दिए जाने की तैयारी है । ताकि निकाय चुनाव के बजट और लोकसभा के बजट पर केंद्रीय निगरानी  बनी रहे। इसमें एक चर्चित नेता का नाम आ रहा है जो कि  पिछली भाजपा सरकार में जनरल खंडूरी के कार्यकाल में  सफारी वाले के नाम से चर्चित हुआ था  भले ही  पार्टी के सत्ता होने के कारण और दिल्ली के आशीर्वाद के कारण  सफारी वाला  बच गया  किंतु  आज भी  पार्टी के कार्यकर्ता के नाम पर जवान पर  दबी जुबान पर सफारी वाले की चर्चा होती रहती है।

सूत्रों ने बताया है अब संजय की जगह एक चर्चित सफारी वाले को  जिम्मेदारी दी जाने की तैयारी है इसके बाद उत्तराखंड भाजपा की वही स्थिति हो जाएगी कि ”आसमान से टपके खजूर में अटके”  प्रदेश की जनता को याद है  2012 13 में एक चर्चित प्रकरण में  भाजपा के कुछ नेताओं  के नाम उस विवाद में आए थे  उसी प्रकार प्रकरण में  पीड़िता द्वारा  किसी सफारी वाले  का वर्णन किया गया था ।

सफारी वाले के बारे में कुछ खुशी भी हुई किंतु सत्ता के प्रभाव  और एक चर्चित केंद्रीय नेता के आशीर्वाद  के कारण  तत्कालीन समय में यह फाइल ही दबा दी गई।  अब पुनः केंद्र ने  सफारी वाले जिनको  बैठाने की  जिम्मेदारी की  चर्चा हो रही है कि जिसके कारण संजय का जंगलराज कायम था।

”देवभूमि मीडिया” ने हर बार जनता की आवाज और संजय कुमार के कारनामों को प्रमुखता से उठाया संजय कुमार के गुरु द्वारा अनेक बार ”देवभूमि मीडिया” को सोशल मीडिया के माध्यम से धमकाया ही नहीं गया बल्कि  मानहानि का दावा भी किया गया लेकिन अंततः  ”देवभूमि मीडिया” को प्राकृतिक न्याय मिला और संजय कुमार की युग का अंत हो गया है ।

पार्टी में चर्चा है कि संजय कुमार ने जिसको चाहा उसको आगे बढ़ाया जिसको चाहा घर बैठाया। संजय कुमार के अहंकार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता था संजय कुमार के सामने पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री पार्टी के अध्यक्ष पूर्व अध्यक्ष और अपने को 23 तर्रार  युवा हृदय सम्राट बताए जाने वाले लोग भी उसका बाल बांका नहीं कर सके। जीरो टॉलरेंस वाले मुख्यमंत्री को डेढ़ साल से संजय कुमार चुनौती देता रहा दिल्ली के दम पर उत्तराखंड भाजपा पर राज करने वाले संजय अपने कर्मों की सजा पाकर आज कुछ उपाय फिर रहा है ।

उसकी ऑडियो सीडी से खुद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संघ के प्रचारक परंपरा भी शर्मिंदा है कि क्यों आखिर प्रचारकों को भाजपा में भेज कर के संगठन का कार्य दिया जा सकता है क्योंकि अभी तक उत्तराखंड का अनुभव संगठन मंत्रियों की दृष्टि से संतोषजनक नहीं रहा संगठन मंत्री केवल मनमानी करना मनपसंद लोगों को आगे बढ़ाना और जिन से चढ़ गए उन्हें घर बैठाने वाला पद बंद कर रह गया है ।

बताया जा रहा है कि संजय कुमार  के विकल्प के रूप में  एक  विवादित व्यक्ति को  कार्यवाहक जिम्मेदारी दी जाने की तैयारी है  ताकि निकाय चुनाव के बजट और लोकसभा के बजट पर केंद्रीय निगरानी  बनी रहे  इसमें एक चर्चित नेता का नाम आ रहा है जो कि  पिछली भाजपा सरकार में जनरल खंडूरी के कार्यकाल में  सफारी वाले के नाम से चर्चित हुआ था ।

भले ही  सत्ता होने के कारण दिल्ली के आशीर्वाद के कारण  सफारी वाला  बच गया  किंतु  आज भी  पार्टी के कार्यकर्ता के नाम पर जवान पर  दबी जुबान पर सफारी वाले की चर्चा होती है  सूत्रों ने बताया है अब संजय की जगह  सफारी वाले को  जिम्मेदारी दी जाने की तैयारी है इसके बाद भाजपा की वही स्थिति हो जाएगी कि आसमान से टपके खजूर में अटके ।

प्रदेश की जनता को याद है  2012 13 में एक चर्चित प्रकरण में  भाजपा के कुछ नेताओं  के नाम उस विवाद में आए थे  उसी प्रकार प्रकरण में  पीड़िता द्वारा  किसी सफारी वाले  का वर्णन किया गया था  सफारी वाले के बारे में कान्हा खुशी भी हुई किंतु सत्ता के प्रभाव  केंद्रीय आशीर्वाद  के कारण  फाइल ही दबा दी गई । अब पुनः केंद्र ने  सफारी वाले जिनको  बैठाने की  जिम्मेदारी  चर्चा के कारण संजय का जंगलराज कायम था ।

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