हरीश रावत की टीम राहुल में शामिल किये जाने की खासी चर्चाएँ
- हरदा की सक्रियता को देखते हुए सूबे के कांग्रेस नेताओं में कानाफूसी
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : केदारनाथ आपदा के बाद चार धाम यात्रा को पुरानी स्थिति में लौटाने का श्रेय हो या तमाम विपरीत परिस्थितियों में पूरे समय राज्य में कांग्रेस की सरकार चलाने का माद्दा रखने वाले उत्तराखंड के खांटी पहाड़ी नेता के रूप में विख्यात पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एक बार फिर राहुल गाँधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद चर्चाओं में आ गए हैं।
कयास लगाये जा रहे हैं कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री रावत की अचानक बढ़ती दिल्ली यात्रा कहीं किसी नए राजनीतिक समीकरण को तो जन्म नहीं दे रही है। उनकी इस सक्रियता को देखते हुए सूबे के कांग्रेस नेताओं में कानाफूसी शुरू हो गयी है। किसी का आकलन है कि उन्हें कांग्रेस के युवा अध्यक्ष राहुल गांधी की नई टीम में महत्वपूर्ण स्थान दिया जा सकता है तो कोई यह कहते हुए सुनाई दे रहा है कि राजनीति के इस मंझे खिलाड़ी को कांग्रेस के अन्य थिंक टैंकों के साथ कहीं राहुल सलाहकार की भूमिका में तो नहीं रखने जा रहे हैं । पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को लेकर चल रही चर्चाओं में एक यह चर्चा भी चल रही है कि उन्हें राष्ट्रीय महामंत्री जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी दी जा सकती है । कांग्रेसी सूत्रों के अनुसार पार्टी उनके राजनीतिक अनुभव का लाभ पार्टी की भविष्य की राजनीति में लेना चाहती है ।
उल्लेखनीय है कि गुजरात के चुनाव परिणामों और कांग्रेस को नए मिले युवा अध्यक्ष राहुल गाँधी को लेकर पार्टी में उत्साह का माहौल है । पार्टी का मानना है कि यदि केंद्रीय नेता मणिशंकर अय्यर ने यदि प्रधानमंत्री पर ”गंदा” तंज न कसा होता तो आज परिणाम कांग्रेस के पक्ष में हो सकते थे । वहीँ कांग्रेस का यह भी मानना है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावी नतीजों ने पार्टी को पस्त तो जरूर किया, लेकिन यह सबक भी दे दिया कि पार्टी को कुछ हासिल करना है तो अब जमीन पर और भी सक्रिय रहना पड़ेगा।
गौरतलब हो कि राहुल गाँधी के केंद्र में अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के बाद अब केन्द्रीय संगठन के साथ ही उत्तराखंड में भी पार्टी संगठन की नई टीम गठित की जानी हैं। हालाँकि प्रदेश के कांग्रेसी दिग्गजों की निगाहें अब केंद्र में नई बनने जा रही राहुल टीम पर भी गढ़ी हुई हैं। वजह ये है कि प्रदेश के जिस भी नेता को राहुल की इस टीम में शामिल किया जायेगा पार्टी में उसका कद और भूमिका दोनों ही अहम होना लगभग तय है।
वहीँ यह बात भी दीगर है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद भी उत्तराखंड की खासे सक्रिय हैं। और उन्होंने पार्टी में खुद भी अपनी सक्रियता में कहीं कोई कमी नहीं आने दी है। उनकी इसी सक्रियता को देखते हुए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें महत्वपूर्ण समझते हुए सूबे के पड़ोसी राज्य हिमाचल सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह प्रदेश गुजरात तक में दोनों ही मोर्चों पर चुनाव प्रचार में उतारा। इतना ही नहीं चर्चा तो यहाँ तक है कि दिल्ली में राहुल की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के दौरान खुद राहुल गाँधी की तरफ से उन्हें अहमियत दिया जाना अपने आप में उनके कद को प्रदर्शित करता है कि राहुल गाँधी की सूची में कहीं न कहीं वे महत्वपूर्ण स्थान पर हैं और वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर वे पार्टी की तरफ से किसी भी महत्वपूर्ण भूमिका में सामने लाये जा सकते हैं ।
वहीँ सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि उनकी ताजपोशी में उत्तराखंड कांग्रेस के एक पूर्व अध्यक्ष पूरी तरह से उनके राहुल गाँधी की टीम में शामिल किये जाने की खिलाफत पर खुलकर सामने आ गए हैं। लेकिन राजनीतिक बुझक्कड़ों का मानना है जिस व्यक्ति को राजनीती के पायदान पर पहुंचने से पहले नीचे गिरा देने वाले नारायण दत्त तिवारी जैसा व्यक्तित्व मात नहीं दे पाया तो यह नेता क्या मात दे पायेगा यह अपने आप में यक्ष प्रश्न है।