उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि गंगा की पवित्रता को कायम रखने के लिए गंगा किनारे के 500 मीटर के दायरे में बूचड़खानों और मीट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाना असंवैधानिक नहीं है. मीट की दुकानों को लाइसेंस जारी न करने का उत्तरकाशी जिला पंचायत का फैसला गलत नहीं है.
हाईकोर्ट ने नवीद कुरैशी नाम के एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उत्तरकाशी जिला पंचायत ने 2016 में उसे एक नोटिस जारी किया था. नोटिस में कुरैशी को गंगा नदी के तट से 105 मीटर दूर स्थित उनकी मीट शॉप को शिफ्ट करने का आदेश दिया था. जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.
याचिकाकर्ता नवीद कुरैशी की याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकल न्यायाधीश पीठ ने सुनवाई की. जिसमें कोर्ट ने कहा कि उत्तरकाशी में कोई भी मीट शॉप संचालित करता है, तो उसे संबंधित प्राधिकरण से जिला पंचायत उप-नियमों द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा. साथ ही नामित प्राधिकारी से लाइसेंस भी लेना होगा.
कोर्ट ने यह भी माना कि उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट ने कुरैशी को गंगा किनारे बूचड़खानों और मीट की बिक्री के लिए ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ देने से इनकार करने में कोई गलती नहीं की.