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दो आईएएस अधिकारी भी नहीं कर पाये जिसकी जांच, अब तीसरा तैनात !

आईएएस अधिकारी  सेमवाल मामले में तीसरे जांच अधिकारी बदले
एडीएम उधम सिह नगर रहते नजूल भूमि की श्रेणी परिवर्तन का है आरोप

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून। उत्तराखंड के इतिहास में ब्यूरोक्रेसी जो न कर दे वह कम है आम आदमी की जांच में जहाँ सूबे की ब्यूरोक्रेसी कुछ ही घंटे का समय लगाकर जांच पूरी कर देती है लेकिन सूबे का एक आईएएस ऐसा भी है जिसकी जांच के लिए उत्तराखंड शासन को मज़बूरी में तीसरा आईएएस तैनात करना पड़ा है । अब एक बार फिर इस आईएएस की जांच तीसरे आईएएस अधिकारी को सौंपी गयी है। जबकि इससे पहले के दो अधिकारी जांच क्यों नहीं कर पाये यह चर्चा का विषय बना हुआ है। 

गौरतलब हो कि  उधमसिंहनगर जिले में तत्कालीन अपर जिलाधिकारी  एवं वर्तमान में आईएएस अधिकारी  हरीशचंद्र सेमवाल पर अवैध् कब्जेदारों को भूमि के संक्रमणीय अधिकार  देने के संबंध् में सरकार ने एक और जांच अधिकारी बदल दिया है। अब प्रमुख सचिव डा. उमाकांत पंवार को मामले की जांच सौंपी गई है।

कार्मिक विभाग के प्रभारी सचिव अरविंद सिंह हयांकी ने एक कार्यालय आदेश के माध्यम से आईएएस अधिकारी हरीशचंद्र सेमवाल के विरुद्ध  12 जुलाई 2013 को जारी अनुपूरक आरोप पत्र के आरोपों की जांच प्रमुख सचिव डा. उमाकांत पंवार को सौंपी है।सबसे पहले इस आईएएस की जांच तत्कालीन प्रमुख सचिव एस. राजू को सौंपी गई थी, लेकिन वे जांच पूरी नहीं कर पाए। 31 मार्च 2016 को राजू के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद जांच तत्कालीन अपर मुख्य सचिव एस. रामास्वामी को 29 जुलाई 2016 को सौंपी गई थी , लेकिन वह भी जांच पूरी नहीं कर सके। अब एस. रामास्वामी मुख्य सचिव हैं,वे भी जांच पूरी नहीं कर पाये अब सेमवाल प्रकरण की जांच  डा. उमाकांत पंवार को सौंपी गई है। जांच अधिकारी अखिल भारतीय सेवाएं (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1969 के नियम 8 में निर्धरित प्रक्रिया के अनुसार जांच पूरी करेंगे।

उल्लेखनीय है कि उधमसिंहनगर जनपद में तत्कालीन अपर जिलाधिकारी हरीशचंद्र सेमवाल पर कथित रूप से नजूल भूमि का श्रेणी परिवर्तन कर अवैध् कब्जेधारियों को भूमि के संक्रमणीय अधिकार देने का फैसला करने का आरोप था। उनके साथ दो अन्य पीसीएस अधिकारी भी आरोपी थे। दोनों को पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने लघु दंड देकर छोड़ दिया था। सेमवाल के विरुद्ध भी निलंबन की कार्यवाही की गई थी, लेकिन वे केंद्रीय प्रशासनिक अभिकरण से निलंबन के विरुद्ध  स्थगन आदेश लेने में सफल रहे थे।

यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि सेमवाल कांग्रेस शासन काल में सरकार की नाक बाल के रूप में चर्चित रहे थे यही कारण था कि तमाम विवादों में घिरे रहने के बाद भी सेमवाल को हरिद्वार से लेकर पिथौरागढ़ व अन्य जिलों में जिलाधिकारी का मलाईदार पद मिलता रहा जबकि कई ऐसे ईमानदार छवि के अधिकारी इस दौरान फ्रिज में लगा दिए गए थे। 

अब सरकार बदलने के बाद यह मामला एक बार फिर  जीवित हो गया है। जांच अधिकारी बदले जाने के बाद प्रकरण फिर से ताजा हो गया है। हालांकि जांच के बाद ही तय हो पाएगा कि सेमवाल मामले में दोषी हैं या नहीं।  यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हरीशचंद्र सेमवाल वर्तमान में पदोन्नत होने के बाद आईएएस अधिकारी  हैं और शासन में अपर सचिव के रूप में तैनात हैं।

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