कौशल विकास के बाद अब ”हूनर से रोज़गार तक”योजना में घोटाला !

भ्रष्टाचार जीरो टॉलरेंस और सरकार के एक्शन के बाद अब जनता भी हुई सजग
- श्रम मंत्री डॉ. रावत ने जांच के लिए राज्य शासन को लिखा पत्र
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में घोटाले के बाद अब सूबे में ”हूनर से रोज़गार तक” योजना में भी घोटाला किया जाने को लेकर प्रदेश के श्रम मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को एक पत्र मिला है जिसमें गढ़वाल मंडल विकास निगम के आला अघिकारियों पर आरोप लगाया गया है कि गढ़वाल मंडल में इस योजना को बंद हुए सात माह से अधिक हो चुके हैं लेकिन ”हूनर से रोज़गार तक” (HSRT) के तहत निगम बिना कार्य के सलाहकार को प्रति माह एक लाख 10 हज़ार रूपये का भुगतान कर रहा है जो कि एक बहुत बड़ा घोटाला है। पत्र के मिलने के बाद श्रम मंत्री डॉ. रावत ने कौशल विकास योजना के तरह जांच के लिए मुख्यमंत्री सहित राज्य शासन को पत्र लिखा है।
श्रम मंत्री कार्यालय को मिले इस पत्र से साफ़ है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की सरकार की नियत पर अब राज्य वासी भी सजग हो गए हैं और वे विभिन्न विभागों में किया जा रहे भ्रष्टाचार की जानकारी से शासन सहित मंत्रियों तक को अवगत करा रहे हैं। सूबे के श्रम मंत्री को भेजे गए इस पत्र में आरोप लगाया गया है कि निगम के सलाहकार की ओपोर्चुनिटी नाम से एक कम्पनी है जिसमें उनकी पत्नी निदेशक हैं और वे स्वयं भी सलाहकार हैं इसके अलावा प्लेसमेंट और एक्ट कम्पनी भी इन्ही की है। वहीं नियमानुसार निगम से एक बच्चे के प्रशिक्षण करने पर जहाँ 20 हज़ार रुपये भारत सरकार से मिलते हैं वहीँ निगम द्वारा संचालित इस प्रशिक्षण में प्रशिक्षणदाता कम्पनी को केवल 35 रुपये प्रति बच्चे का लाभ होता है।
प्लेसमेंट कंपनी एवं एक्ट कंपनी वर्ष 20 14 से लगातार कार्य कर रही है जबकि इनकी बिलिंग 15 लाख से 30 लाख रुपये के बीच होती है। निगम के आलाधिकारियों और प्लेसमेंट व प्रशिक्षण कम्पनी के बीच मधुर संबंधों का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है कि निगम के आलाधिकारियों ने 2014 से अब तक इतने बड़े कार्य के लिए कोई निविदा ही आमंत्रित नहीं की। जबकि राज्य प्रीक्योरमेंट रूल के अनुसार ढाई लाख रुपये से अधिक के कार्यों के लिए निविदा की जानी आवश्यक है। इससे साफ़ होता है कि निगम के आलाधिकारियों की मिलीभगत से विनीत बहुगुणा सलाहकार द्वारा लेखा से सम्बन्धित गवन किया गया है।
पत्र में कहा गया है कि बच्चे प्रशिक्षण करने के बाद जब नियुक्ति पत्रों के आधार पर जब विभिन्न कंपनियों में नौकरी के लिए जाते हैं तो कंपनी द्वारा उन्हें कहा जाता है कि यह नियुक्ति हमारे द्वारा नहीं किया गया है। पत्र में निगम के सलाहकार पर आरोप लगाए गए हैं कि उनके द्वारा विभिन्न कंपनियों के लेटर पैड पर नियुक्ति पत्र बनाकर प्रशिक्षणार्थियों से धोखाधड़ी की जा रही है। जिसकी जांच होनी आवशयक है।