गैरसैंण स्थायी राजधानी को लेकर आंदोलनकारियों का विधानसभा कूच

- शहीद स्थल से शुरू हुए मार्च को पुलिस ने विधानसभा के पास रोका
- पुलिस के साथ धक्का-मुक्की के बाद सड़क पर बैठे आंदोलनकारी
देहरादून। स्थाई राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर ‘स्थायी राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति’ की अगुवाई में प्रदेशभर से जुटे आंदोलनकारियों ने विधानसभा कूच किया। कूच में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों,उत्तराखंड महिला मंच, उत्तराखंड क्रांति दल, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी एवं वाम दलों समेत विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग शामिल हुए। कचहरी स्थित शहीद स्मारक से सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी नारे लगाते हुए और जनगीत गाते हुए विधानसभा की तरफ बढ़े। प्रदर्शनकारियों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी मौजूद थी।
रिस्पना पुल के पास पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोक लिया । प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेटिंग हटाने का प्रयास किया। इस दौरान पुलिस के साथ उनकी जबरदस्त धक्का-मुक्की हुई। बाद में प्रदर्शनकारी सड़क पर बैठ गए। यहां भी प्रदर्शनकारियों ने गैरसैंण के पक्ष में नारेबाजी की और जनगीत गाये। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) नेता इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि यह सरकार घोटालेबाजों और भ्रष्टाचारियों की सरकार है। हम अपनी जायज़ मांगों को लेकर आए हैं, लेकिन पुलिस बल को आगे करके हमें रोका गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस को पहले अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को रोकना चाहिए। हम कानून का पालन करने वाले लोगों को रोकने की जरूरत नहीं है
स्थायी राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति के अध्यक्ष चारु तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड बनने के बाद हमारी दो उपलब्धियां है, एक तो 18 सालों में नौ मुख्यमंत्री और दूसरे पहाड़ों में सूअर और बंदरों की भरमार। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनाने वाली इस भाजपाई कांग्रेसी फ़ैक्ट्री को राज्य से उखाड़ फ़ैकने के लिए बड़ी लड़ाई लड़ी जाएगी।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि हमने लड़कर उत्तराखंड लिया हमने लड़कर उत्तराखंड लिया था और अब लड़कर राजधानी भी लेंगे। हमें कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि पुलिस के बेरीकेड्स हमारे लिए कोई मायने नहीं रखते, लेकिन हम कानून के मानने वाले लोग हैं, इसलिए कानून सम्मत काम ही करेंगे। महिला मंच की नेत्री कमला पंत ने कहा कि ग़ैरसैण की लड़ाई मात्र स्थान विशेष की लड़ाई नहीं है बल्कि यह पूरे पहाड़ को बचाने की लड़ाई है। पलायन एक चिंतन से जुड़े रतन सिंह असवाल ने खाली होते गांवों पर चिंता जताते हुए कहा कि पलायन रोकने के लिए सत्ता का केंद्र पहाड़ में स्थापित करना बेहद जरूरी है। सभा का संचालन प्रदीप सती ने किया।
प्रदर्शन में शामिल लोगों में उक्रांद नेता और पूर्व विधायक काशी सिंह ऐरी, वरिष्ठ पत्रकार दिनेश जुयाल, वरिष्ठ पत्रकार एवं राज्य आंदोलनकारी योगेश भट्ट, जयदीप सकलानी, सतीश धौलाखंडी, निर्मला बिष्ट, मोहित डिमरी, गंगाधर नौटियाल, डीके पाल, नमन चंदोला, अंकित उछोली, नितिन मलेठा, रमेश नौटियाल, विनोद डिमरी, परमानंद गौड़, लुशुन टोडरिया, नरेश देवरानी, बलवीर सिंह रावत, गणेश धामी, प्रमोद असवाल, अमन रावत, प्रदीप कुकरेती, चंद्रबल्लभ, नारायण सिंह रावत, समेत सैकड़ों लोग मौजूद थे।