TOURISM

13 दुर्गम गांवों में पंतवाड़ी के बाद अब बनेंगे और ”गोट विलेज”

  • 17 छानियां को बनाया गया गोट विलेज
  • ‘बकरी छाप’ नाम से बिक रहे स्थानीय उत्पाद

देहरादून : लगभग ढाई साल पहले ”गोट विलेज” को लेकर निम के प्रिंसिपल कर्नल अजय कोठियाल ने जो सपने संजोए थे, वह अब साकार होते दिख रहे हैं। नागटिब्बा ट्रैक पर पड़ने वाले पंतवाड़ी गांव में ”गोट विलेज” के बाद धनोल्टी के काणाताल और उसके बाद उत्तरकाशी के रैथल में तीसरा ”गोट विलेज” शुरू किया गया है। इन ”गोट विलेज” में पर्यटकों को पहाड़ की संस्कृति और परंपरा से रूबरू कराने के साथ ही उन्हें मांग के अनुरूप पहाड़ी उत्पाद भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।

पंतवाड़ी में ”गोट विलेज” शुरू होने के बाद पहले वर्ष करीब 1200 पर्यटक पहुंचे थे, जबकि इस वर्ष यह आंकड़ा 15 हजार पहुंच गया है। इस सफलता के बाद ग्रीन पीपुल्स और यूथ फाउंडेशन ने अब राज्य में 13 जिलों के दुर्गम गांवों में गोट विलेज स्थापित करने की योजना पर कार्य शुरू कर दिया है।

गौरतलब हो कि टिहरी गढ़वाल के पंतवाड़ी गांव में ढाई साल पहले शुरू हुई ”गोट विलेज” थीम को ग्रीन पीपुल्स संस्था राज्य के 13 जिलों के दुर्गम गांव तक ले जाएगी। इससे स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार और उत्पादों व परंपराओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई जाएगी। इसके लिए कोई भी सरकारी मदद नहीं ली जा रही है।

ग्रीन पीपुल्स के रूपेश राय, आमोद पंवार ने बताया कि हमारा उद्देश्य पहाड़ में जो उपलब्ध है, उसी को बेहतर तरीके से परोस कर देशी-विदेशी पर्यटकों को यहां लाना और स्थानीय लोगों को अपनी माटी से जोड़कर खेती-बाड़ी, पशुपालन से जोड़े रखना है। अच्छे परिणाम आने के बाद अब वृहद स्तर पर प्लान बनाया गया है। इसमें स्थानीय लोगों की मदद ली जा रही है। हमारा प्रयास हर वर्ष करीब 200 लोगों को रोजगार देना और 10 हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाना है।

पंतवाड़ी में ग्रीन पीपुल्स की इस पहल का स्थानीय ग्रामीणों को भी लाभ मिल रहा है। यहां सीजनल 17 छानियों को गांव वालों ने पहाड़ी घरों की तर्ज पर तैयार किया है। अब ग्रामीण 12 माह इन छानियों में रहकर पशुपालन करते हैं। इसके अलावा ”गोट विलेज” में आने वाले पर्यटकों को भी इन छानियों में ठहराया जाता है। इससे ग्रामीणों को आर्थिक लाभ भी हो रहा है।

गोट विलेज तैयार करने के बाद ग्रीन पीपुल्स ने स्थानीय उत्पादों को मार्केट दिलाने के लिए उन्हें ‘बकरी छाप’ नाम दिया है। देश के फाइव स्टार होटल, मॉल एवं आउटलेट में यह उत्पाद मिल रहे हैं। ”गोट विलेज” में बकरी पालन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

devbhoomimedia

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