भाजपा नेताओं की चाल से संघ की पेशानी पर बल !

- प्रत्याशियों को चेहरा दिखाने तक ही सीमित हैं कुछ नेता
- मतदान के प्रेरित करने पर नहीं तवज्जो
- अपने स्तर से तैयारियों में जुटने को मजबूर स्वयं सेवक
- मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक लाने का खुद ही उठाया बीड़ा
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। भाजपा के स्थानीय नेताओं की चाल से संघ की पेशानी पर बल पड़ रहे हैं। संघ ने पाया है कि ये नेत़ा पूरी तरह से मोदी मैजिक के सहारे चल रहे हैं। यही वजह है कि अधिकांश नेताओं ने खुद को प्रत्याशियों के साथ घूमने तक ही सीमित कर लिया है। संघ की चिंता इस बात को लेकर है कि वोटरों को मतदान केंद्रों पर कैसे लाया जाए। सूत्रों का कहना है कि अब स्वयं सेवकों को इस काम में लगाया जा रहा है।
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पहले चरण में मतदान होने और बीच में ही होली का पर्व आने की वजह से प्रत्याशियों को प्रचार के लिए बेहद कम वक्त मिल पाया है। ऐसे में कम समय में सभी वोटरों तक पहुंचने की चुनौती है। बताया जा रहा है कि अब तक के प्रचार की स्थिति की संघ के स्तर से समीक्षा की गई। इसमें चौकाने वाली बात यह सामने आई है कि स्थानीय नेता यह मानकर चल रहे हैं कि 2014 की तरह ही इस बार भी वोटर मोदी के नाम पर खुद ही मतदान करने को निकल पड़ेगे। संघ की चिंता इस बात को लेकर भी है कि कहीं हालात 2004 जैसे न हो जाएं।
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दरअसल, संघ ने पाया है कि स्थानीय नेता प्रचार में तो जा रहे हैं। लेकिन उन्होंने खुद को प्रत्याशिय़ों तक ही सीमित कर लिया है। जहां-जहां प्रत्याशी जा रहे हैं, वहीं तक ये नेता भी सीमित हो रहे हैं। इन नेताओं का मतदाताओं को मतदान करने के लिए जाने को प्रेरित करने पर कोई ध्यान नहीं है। इससे संघ चिंतित है। सूत्रों ने बताया कि अब संघ ने तय किया है कि वह अपने स्वयं सेवकों को वोटरों को मतदान केंद्रों तक लाने के लिए प्रेरित करने के काम पर लगाएगा। इसके लिए तैयारियां कर ली गईं है। तमाम इलाकों में इन स्वयं सेवकों को इस काम पर लगा भी दिया गया है।