आखिरकार कबीना मंत्री सुबोध ने माना नहीं सुधर पाया शिक्षा का स्तर

- प्रदेश में विज्ञान की स्थिति बेहद ही चिंतनीय
- संवाद के दौरान स्मार्ट सिटी के बारे में छात्राओं ने पूछे सवाल
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : कहते हैं ना कि आख़िरकार दिल की बात जुबां पर आ ही जाती है प्रदेश मंत्रिमंडल में शामिल कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने एक कार्यक्रम में यह स्वीकारा कि उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद अब भी प्रदेश में शिक्षा के स्तर में कोई खास सुधार नहीं आया है। वैसे तो नाम के लिए शिक्षा की दर चरम पर है, लेकिन असल में धरातल पर अभी कुछ काम नहीं हुआ है। उम्मीद है कि सेमिनार में इसके लिए जरूर कुछ उपाय सामने आएंगे।
वे यहां एसजीआरआर पीजी कॉलेज में राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। बदलते समय के साथ विज्ञान की बढ़ती चुनौतियों और प्रगति को मद्देनजर रखते हुए सेमिनार का विषय था ‘इमर्जिंग ट्रेंड्स एंड फ्यूचर चैलेंजेस इन साइंस’। यहां आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल रहे जिन्होंने इस संगोष्ठी का उद्घाटन किया।
श्री उनियाल ने अपने दिल की पीड़ा को श्रोताओं से साझा करते हुए कहा कि आज प्रदेश की कैमिस्ट्री बिगड़ती जा रही है। सबसे पहले सभी लोगों को इसे सुधारने के लिए काम करना होगा। राज्य जिस उद्देश्य के साथ बना था, वह पूरा नहीं हो सका है।
कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि प्रदेश में विज्ञान और कृषि की स्थिति बेहद ही चिंतनीय है। पलायन जैसी समस्या का समाधान पहाड़ में रोजगार पैदा करना है। वैज्ञानिक कृषि एक बेहतर विकल्प बन कर सकता है, लेकिन पहाड़ और मैदान के खेतों की प्रोडक्टिविटी में बहुत फर्क है। कहा कि वैज्ञानिकों के सिर पर यह जिम्मेदारी है कि वह पहाड़ के खेतों की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने का काम करें।
कॉलेज प्राचार्य डा. वीए बौड़ाई ने कहा कि बदलते समय के साथ जिस तरह से चुनौतियां बढ़ी हैं, उसी तरह विज्ञान जगत ने भी प्रगति की है। उन्होंने सेमिनार के सफल आयोजन के लिए सभी को बधाई दी। कॉलेज डीएसडब्लू डा. एके गुप्ता ने कहा कि सेमिनार का उद्देश्य छात्रों को विज्ञान से जोड़ना है। गढ़वाल विवि के पूर्व कुलपति प्रो. एमएसएम रावत ने कहा कि विज्ञान बहुत तेजी से तरक्की कर रहा है। डा. फारुख ने कहा कि देश में पेटेंट की बहुत कमी है। जबकि आयुर्वेद में कई प्रयोग किए जा सकते हैं। कार्यक्रम का संचालन मुख्य नियंता डा. संदीप नेगी ने किया।
कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि प्रदेश में विज्ञान और कृषि की स्थिति चिंतनीय है। पलायन जैसी समस्या का समाधान पहाड़ में रोजगार पैदा करना है। वैज्ञानिक कृषि एक बेहतर विकल्प बन कर सकता है, लेकिन पहाड़ और मैदान के खेतों की प्रोडक्टिविटी में बहुत फर्क है। कहा कि वैज्ञानिकों के सिर पर यह जिम्मेदारी है कि वह पहाड़ के खेतों की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने का काम करें।
संगोष्ठी में दिल्ली विवि से पहुंचे डा. रमेश चंद्रा ने बताया कि उन्होंने भांग के पौधे से ‘नॉसकैपीन’ अलग किया है, जो कि ब्रेस्ट कैंसर, लंग कैंसर और ब्रेन कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों के इलाज में काम आएगा। वहीं आईआईटी रुड़की के डा. केआर जस्टिन थॉमस ने आम जीवन की वस्तुओं में इस्तेमाल हो रही ओएलईडी की महत्ता को समझाया।
देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से स्मार्ट सिटी संवाद कार्यक्रम के तहत एमकेपी पीजी कालेज में संवाद आयोजित किया गया। इसमें छात्राओं ने स्मार्ट रोड, वाटर एटीएम, स्मार्ट स्कूल आदि के बारे में विशेषज्ञों से सवाल पूछे। बुधवार को कालेज के हॉल में विशेषज्ञ के तौर पर गति फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल, सूर्य कोटनाला रहे। संवाद कैडेट्स ने प्रतिभाग कर विशेषज्ञों से सवाल पूछे। एनसीसी कैडेट सुप्रिया, बबीता ने कई सवाल किए। विशेषज्ञों ने छात्राओं से पूछे सवालों का जवाब दिए। इस दौरान उन्होंने एमकेपी की 10 छात्राओं को कार्यक्रम के तहत ब्रांड एंबेसडर बनाया गया। इस दौरान कालेज की प्राचार्या डा. सुनीता कुमार, डा. चेतना पोखरियाल्, अनूप नौटियाल आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मेयर सुनील उनियाल गामा, विशिष्ट अतिथि देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीईओ आशीष कुमार श्रीवास्तव को आना था। लेकिन वह नहीं पहुंच पाए।
संगोष्ठी में डा. एवी पंत, डा. राकेश ढौंडियाल, डा. सुमंगल नेगी, डा. श्यामवीर सिंह, डा. आनंद कुमार, डा. मुधु डी सिंह, डा. यूसी मनाली, मेजर प्रदीप सिंह, डा. आनंद सिंह राणा, डा. ज्योती पांडे, डा. अनुराधा वर्मा, डा. एचएस रंधावा, डा. अंजू भटनाकर, डा. दीपाली सिंघल, प्रो. जीएस पुंडीर, डा. हिम्मत सिंह, डा. सोनू सिंह, डा. डीके त्यागी, डा. सत्यव्रत त्यागी, डा. राकेश शामिल हुए ।