ब्लैक कार्बन एरोसोल ग्लेशियरों की बिगाड़ रहा है सेहत : शोध
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों का शोध
हिमालयी क्षेत्र में कमजोर हो रहे हैं ग्लेशियर पर शोध में सामने आईं यह जानकारी
यूरोप से होते हुए काफी मात्रा में ब्लैक कार्बन हिमालयी क्षेत्रों में पहुंच रहा
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
उत्तराखंड समेत देश के तमाम हिमालयी राज्यों के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में विभिन्न माध्यमों से पहुंच रहा ब्लैक कार्बन एरोसोल ग्लेशियरों की सेहत बिगाड़ रहा है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों की ओर से किए गए शोध में यह बात सामने आई है।
शोध में सामने आया है कि भारत और एशिया महाद्वीप के साथ की यूरोपीय देशों से हिमालयी क्षेत्रों में पहुंच रहे ब्लैक कार्बन एरोसोल की वजह से हिमालयी क्षेत्रों में कृत्रिम गर्मी पैदा हो रही है। परिणाम स्वरूप ग्लेशियरों के पिघलने की गति में तेजी आई है और ग्लेशियर कमजोर हो रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्लैक कार्बन एरोसोल का सीधा असर न सिर्फ ग्लेशियर, वरन हिमालयी क्षेत्र की पूरी पारिस्थितिकी पर पड़ रहा है। शोध के अनुसार हिमालयी क्षेत्रों में 0.01 से लेकर 04.62 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर की दर से ब्लैक कार्बन पहुंच रहा है।
संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पीएस नेगी के मुताबिक ब्लैक कार्बन एरोसोल सूर्य की पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करने के बाद उन्हें इंफ्रारेड किरणों के रूप में उत्सर्जित कर रहे हैं, जिससे कृत्रिम गर्मी पैदा हो रही है। इसकी वजह से हिमालयी क्षेत्रों में तमाम ग्लेशियरों की स्नो लाइन ऊपर की ओर खिसक रही है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक गंगोत्री ग्लेशियर में पहुंच रहे ब्लैक कार्बन के अध्ययन के लिए भोजवासा और चीड़वासा में मॉनीटरिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं। इन स्टेशनों से ब्लैक कार्बन की मॉनीटरिंग की जा रही है। वाडिया इंस्टीट्यूट की ओर से ऐसा पहली बार हुआ है जब गंगोत्री ग्लेशियर में मॉनीटरिंग स्टेशन स्थापित करने के साथ ही ब्लैक कार्बन की निगरानी की जा रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार ग्रीन हाउस गैसों के बाद ब्लैक कार्बन एरोसोल ग्लेशियर को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रहे हैं।
सेटेलाइट के जरिए किए गए अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि पश्चिमी विक्षोभ के जरिए यूरोप से होते हुए काफी मात्रा में ब्लैक कार्बन हिमालयी क्षेत्रों में पहुंच रहा है। वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की ओर से ब्लैक कार्बन को लेकर किए गए शोध को अंतरराष्ट्रीय जर्नल एटमॉस्फेरिक साइंस में प्रकाशित किया गया है। शोधपत्र में ब्लैक कार्बन से हिमालय क्षेत्र की पारिस्थितिकी को होने वाले नुकसान के बारे में भी जानकारी दी गई है।