COVID -19NATIONAL

मटकों पर संदेश लिखकर बता रहे कोरोना से बचाव का तरीका

व्यक्ति जितनी बार पानी पीएगा, उतनी बार इन संदेशों को पढ़ेगा और कोरोना से सचेत रहेगा

गर्मी बढ़ने के साथ ही मटकियों की बिक्री भी बढ़ेगी और संदेश भी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगा

बाड़मेर के कुम्भकारों ने मटकों के जरिये कोरोना जागरूकता फैलाने का बीड़ा उठाया

देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली। बारां जिले के किशनगंज ब्लाक के कुम्भकार परिवारों के बाद अब बाड़मेर जिले के विशाला गाँव के कुंभकार परिवारों ने भी अपने हुनर से कोरोना के प्रति जागरूकता फैलाने का बीड़ा उठाया है। इन परिवारों ने मटकों पर कोविड-19 से बचाव के संदेश उकेरा है।
मटकों पर “घर रहें सुरक्षित रहें”, “कोरोना को हराना है, बार-बार साबुन से हाथ धोना है”, “मास्क का प्रयोग करें” जैसे संदेश लिखे गए हैं। इन कुम्भकार परिवारों का मानना है कि व्यक्ति जितनी बार पानी पीएगा, उतनी बार इन संदेशों को पढ़ेगा और कोरोना से सचेत रहेगा। गर्मी बढ़ने के साथ ही मटकियों की बिक्री भी बढ़ेगी और उनका संदेश ज्यादा लोगों तक पहुँच सकेगा।
पहले जनजाति बहुल बाराँ जिले और अब सीमावर्ती जिले बाड़मेर के कुम्भकार परिवारों की ओर से की गई यह पहल छोटी ही सही, लेकिन असरदार और प्रशंसनीय है। किशनगंज और विशाला के यह परिवार केंद्र सरकार के खादी और ग्रामोद्योग आयोग की योजना “कुम्हार सशक्तिकरण कार्यक्रम” से जुड़े हैं।
यह कार्यक्रम राजस्थान के 12 जिलों में चलाया जा रहा है जिनमें जयपुर, कोटा, बाराँ, झालावाड़, श्रीगंगानगर, बाड़मेर प्रमुख है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कुम्हार समुदाय के हुनर को बेहतर बनाकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ना है। इसके लिए उन्हें मिट्टी को गूंथने के लिए मशीनें और मटके तथा अन्य उत्पाद बनाने के लिए इलेक्ट्रिक चाक दिए गए हैं।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने राजस्थान के कुम्भकार परिवारों की ओर से कोरोना को हराने के लिए की गई इस पहल की सराहना की है। उन्होंने कहा कि जागरूक बनाने का यह अनोखा तरीका कई अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बनेगा। सक्सेना ने बताया कि “कुम्हार सशक्तिकरण कार्यक्रम” से जुड़ने के बाद उनकी आय में सात से आठ गुना वृद्धि हुई है। इस कार्यक्रम से करीब 60 हजार परिवारों को फायदा हो रहा है।
गर्मी के मौसम में मटका लगभग हर घर की जरूरत है। मटकों पर माँड्णे और चित्रकारी करने की पुरानी परंपरा है। कोरोना के इस मुश्किल दौर में मिट्टी के शिल्पकारों ने माँड्णे और चित्रकारी के बजाय मटकों पर कोरोना महामारी से बचाव के संदेश लिख लिखकर न सिर्फ अपनी समझदारी का परिचय दिया है बल्कि लोगों को इस गंभीर बीमारी से सतर्क करने की ज़िम्मेदारी उठाई है।
समाज के लोगों ने इससे पहले भी प्रधानमंत्री के आह्वान पर कोरोना कर्मवीरों के सम्मान में दीपक जलाने के लिए लोगों को खादी ग्रामोद्योग आयोग के निर्देश पर मिट्टी के दीयों का निःशुल्क वितरण किया था। साथ ही पक्षियों के लिए परिंडे बनाकर उनका भी वितरण किया जा रहा है।

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