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भाजपा के खिलाफ भाजपा की उपलब्धियों का प्रचार यानि कांग्रेस है लाचार!

  • उपलब्धियां तो भाजपा की और उसे भुनाने पर जुटी हुई है कांग्रेस !

राजेन्द्र जोशी 

देहरादून : चुनावी समर में सब कुछ जायज है,लेकिन जब भाजपा की उपलब्धियों को नकारते हुए कांग्रेस उसे चुनावी मुद्दे बना दे इसे क्या कहा जायेगा । इस विडियो को देखिये तो आपको पता चल जायेगा  कि उत्तराखंड के गढ़वाल लोक सभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी मनीष खण्डूरी इन दिनों अपने पिताजी यानि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खण्डूरी के शासन काल की उपलब्धियों को गिनाते हुए चुनाव मैदान में हैं। हाँ ये बात भी सच है कि मनीष खण्डूरी पहली बार चुनाव मैदान में बतौर प्रत्याशी खड़े हैं लेकिन उनके पास बोलने के लिए कुछ है नहीं , लिहाज़ा वे अपने पिताजी की उपलब्धियों का पिटारा लिए घूम रहे हैं वह भी कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में , बात कुछ अटपटी सी लगती है उपलब्धियां तो भाजपा की और उसे भुनाने पर कांग्रेस जुटी हुई है ।

लेकिन एक बात तो जरुर है वे जो पांच मुद्दे उठा रहे हैं उनको तो भाजपा को अपनी उपलब्धियों के रूप में उठाना चाहिए था लेकिन इस लोकसभा चुनाव में भाजपा ने खुद अपने उस जनरल से किनारा कर दिया है जो कभी भाजपा के लिए जरुरी हुआ करता था । भाजपा ने बीते दो चुनावों में उनकी उपलब्धियों का जमकर प्रचार किया और कहा था ” खण्डूरी हैं जरूरी ” बीते एक लोकसभा चुनाव और एक विधानसभा चुनाव में भाजपा को खण्डूरी जरुरी नज़र आते थे लेकिन अब नहीं।

अब जब भाजपा को ”खण्डूरी जरुरी नहीं” लग रहे हैं तो वही खण्डूरी अब कांग्रेस के लिए जरुरी हो गए हैं। खण्डूरी द्वारा प्रदेश में लोकायुक्त स्थापित करने का मामला हो या राष्ट्रीय राज मार्ग का मामला देखा जाय तो यह दोनों ही भुवन चन्द्र खण्डूरी सरकार की उपलब्धियों में शुमार होता रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल विहारी बाजपेयी के प्रधानमंत्रित्वकाल में भुवन चन्द्र खण्डूरी सड़कों के स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के लिए जाने जाते हैं वे तत्कालीन केंद्र सरकार में भूतल परिवहन मंत्री थे उसी दौरान हरिद्वार -नजीबाबाद मार्ग पर पांच नदियों के बड़े-बड़े पुल बनाये गए थे ।इसके अलावा उन्होने सूबे का मुख्यमंत्री बनते ही राज्य में पारदर्शी प्रशासन और शासन स्थावित करने के लिए लोकायुक्त की नियुक्ति की थी । वहीं स्वास्थ्य सुधार की दिशा में 108 योजना को राज्य में लाने वाले वही थे, जिससे दूर दराज के स्थानों से गंभीर बीमार लोगों को अस्पताल तक पहुंचने में राहत मिल रही थी ।वही उन्होंने प्रदेश की जमीनों को भू-माफिया के हाथों से बचाने के लिए 300 गज से अधिक की भूमि खरीद पर राज्य से बाहर के लोगों पर प्रतिबन्ध लगा दिया था हालाँकि वर्तमान सरकार ने इस प्रतिबन्ध को हटाते हुए यहाँ जमीनों की खरीद को खुली छूट देदी। इसका सूबे के मूल नागरिकों ने विरोध किया है । वहीं भुवन चन्द्र खण्डूरी को रक्षा समिति से निकाले जाने का भी गढ़वाल की जनता में आक्रोश है जो भाजपा के खिलाफ मतदान के रूप में बाहर निकल सकता है ।क्योंकि भाजपा के पास कांग्रेस के इस मुद्दे का कोई जवाब फिलहाल अभी तक तो नहीं है कि भुवन चन्द्र खण्डूरी को एकाएक रातों -रात रक्षा समिति से बाहर क्यों किया गया।

कुल मिलाकर कांग्रेस इस लोकसभा चुनाव में भुवन चन्द्र खण्डूरी के शासनकाल की उप्लाब्धियों को लेकर गढ़वाल लोकसभा के चुनावी समर में है । गढ़वाल लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी और भुवन चन्द्र खण्डूरी के पुत्र मनीष खण्डूरी भाजपा सरकारों की उपलब्धियों को अपने पिताजी की उपलब्धियों के रूप में कुछ इस तरह प्रचारित कर रहे हैं जैसे वे कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और लोकसभा सदस्य रहे हों। वहीँ दूसरी तरफ उनकी बहन अपने पिताजी की उपलब्धियों को भाजपा सरकार की उपलब्धियों के रूप में जनता के बीच भाजपा प्रत्याशी तीरथ सिंह रावत के पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहीं हैं ।

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