CRIME

बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी पर कौन बना रहा दबाव ?

  • सीएम से की बाल आयोग ने सीबीआइ जांच की मांग
  • आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी पर मामले को आगे न बढ़ाने का दबाव
  • चिकित्सक और स्कूल के मुख्य प्रबंधक की भूमिका पर भी उठे  सवाल 
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून :  रानीपोखरी के निकट भोगपुर स्थित चिल्ड्रन होम ऐकेडमी में सातवीं के छात्र वासु यादव की हत्या के मामले में बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र भेजकर सीबीआइ जांच की मांग की है। आयोग ने हिमालयन हॉस्पिटल के चिकित्सक और स्कूल के मुख्य प्रबंधक की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। इतना ही नहीं बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने उन पर भारी दबाव की बात भी कही है, उनका कहना है कि कुछ लोग उन पर मामले को आगे न बढ़ाने का दबाव बना रहे हैं लेकिन वे किसी भी तरह के दबाव के आगे झुकने वाली नहीं ।

आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्हें पुलिस से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है। इसीलिए मामला सीबीआइ को सौंपा जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने अभी तक स्कूल के मुख्य प्रबंधक स्टीफन सरकार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। आयोग की अध्यक्ष ने हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट के चिकित्सक की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि बेहोशी की हालत में जब छात्र वासु यादव को अस्पताल ले जाया गया तो एक चिकित्सक ने बताया कि वासु यादव की मौत फूड प्वाइजनिंग से हुई है। यह बात किस आधार पर कही गई।

उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ है कि मौत का कारण अत्याधिक मारपीट और रक्तस्राव है। उन्होंने सवाल उठाया कि वासु के शरीर पर चोट या खरोच के निशान रहे होंगे। आयोग की अध्यक्ष ने पंचनामा भरने वाले पुलिस अफसरों की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए।

गौरतलब है कि 10 मार्च को चिल्ड्रन होम ऐकेडमी में सातवीं कक्षा के छात्र वासु यादव की 12वीं कक्षा के दो छात्रों ने क्रिकेट के बल्ले व विकेट से पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। मिली जानकारी के अनुसार 10 मार्च को सभी बच्चे होस्टल से चर्च गए थे, जिसमे मृतक वासु यादव भी शामिल था। रास्ते मे वासु ने लेखपाल सिंह रावत की दुकान से बिस्कुट का पैकेट चोरी कर लिया, जिसकी सूचना लेखपाल सिंह ने चर्च मे जाकर वहा के सम्बंधित स्टाफ को दी गई। स्टाफ द्वारा वासु को डांटा गया और सभी बच्चों को बिना अनुमति के आउटपास जाने से रोकने को कहा गया।

इस पर सीनियर छात्र शुभांकर और लक्ष्मण जो 12वीं कक्षा के छात्र है। इन दोनों छात्रों पर आरोप है कि हॉस्टल आकर इन्होंने वासु के साथ क्रिकेट के बैट और विकेट से मारपीट करनी शुरू कर दी और उसको मार-पीटने के बाद छत में ले जाकर ठंडे पानी से नहलाया और गंदा पानी पिलाया। इसके बाद उसे जबरदस्ती खाना भी खिलाया गया और फिर पीटाई लगाई। इस पीटाई के कारण मासूम बेहोश हो गया।

आरोप है कि आरोपी छात्रों ने वासु को बेहोशी की हालात में स्टडी रूम में छोड़ दिया। जिस बेट से उन्होंने मासूम को पीटा था, उसे स्कूल में ही छुपा दिया और विकेट-किल्ली को जला दिया। वार्डन ने स्टडी हॉल में जब बच्चों की गिनती की, तो वासु बेहोशी की हालात में बैठा था। उसको उठाते ही उसने उल्टी करना शुरू कर दी। आनन-फानन में उसे हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

पुलिस द्वारा सभी अभियुक्तों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर न्यायालय में पेश करने की तैयारी की जा रही है। पुलिस आरोपी छात्र शुभांकर, लक्ष्मण, प्रवीन 51, अशोक सोलोमन पीटीआई टीचर और वार्डन अजय कुमार को गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर घटना मे प्रयुक्त क्रिकेट बैट और विकेट किल्ली की अधजली लकड़ी व राख को बरामद कर कब्जे में ले लिया है। पुलिस ने एकेडमी के संचालक स्टीफन सरकार के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की है, जिससे पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे है। वहीं, बेटे की मौत के बाद परिवार में मातम छाया हुआ है।

मृतक छात्र पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो उसमें साफ तौर पर चोट के निशान शरीर पर दिखाई दिए जाने की पुष्टि डॉक्टरों द्वारा की गई है। यही नहीं मृतक छात्र के शरीर से खून बह जाने के कारण बच्चे की मौत का जिक्र था। पीएम रिपोर्ट सामने आने के बाद पुलिस ने एकेडमी में पढ़ने वाले दो छात्रों और एकेडमी के वार्डन पीटी टीचर और एक अन्य व्यक्ति को इस हत्या का दोषी पाते हुए गिरफ्तार किया कर लिया है।

वहीं, एकेडमी के संचालक स्टीफन सरकार के खिलाफ कोई भी कार्रवाई न होने से पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध पाई जा रही है। पुलिस द्वारा पहले मामले को दबाने की कोशिश की गई। लेकिन अब पुलिस द्वारा मामले का खुलासा करने का दावा किया जा रहा है। वहीं, ऋषिकेश जौली ग्रांट अस्पताल के डॉक्टरों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं।

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