डॉ. हरक के बयान से सत्ता के गलियारों में कशमकश!

- यूँ ही कुछ नहीं बोलते डॉ. हरक सिंह रावत !
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : मंगलवार को विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. नारायण दत्त तिवारी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए सूबे के वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने उस समय के तख्ता पलट की कोशिशों के खुलासे को लेकर सत्ता के गलियारों में कशमकश जारी है कोई उनके इस बयान का तत्कालीन समय के आलोक में अर्थ निकाल रहा है तो कोई उनकी मौजूदा अपनी ही सरकार को इशारों ही इशारों में चेतावनी।
डॉ. रावत का राजनीतिक इतिहास जहां विवादों और स्वाभिमान से भरा रहा है वहीं उनके बोल के कहीं न कहीं कुछ अर्थ भी जरूर होते हैं। कोई बताता है कि वो कोई भी बात बिना मतलब नहीं बोलते । तो कोई कह रहा है जिस तरह वर्तमान सरकार में वे हासिये में हैं या उन्हें हासिये पर लगाने का प्रयास किया जा रहा है यह बयान उसी की परिणीति है।
इतना ही नहीं कुछ का कहना है कि जिस तरह की बयानबाज़ी सत्ता के नजदीकी विधायकों द्वारा की जा रही है, उससे कहीं ना कहीं वे आहत हैं । सत्ता के गलियारों में यह भी माना जाने लगा है कि यह ठीक वैसी ही परिस्तिथियां हैं जैसी हरीश रावत के नजदीकी लोगों द्वारा उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देने की सलाह दी गयी थी और जिसकी परिणीति के चलते कांग्रेस दो फाड़ हुई थी ।
मंगलवार को जब विधानसभा में श्रद्धांजलि देने के बाद मंत्री हरक सिंह अपने कक्ष में जाने के बजाय सीधे कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के कक्ष में गए, तो वहां भाजपा के दो दर्जन से अधिक विधायक उनका इंतजार कर रहे थे। ये विधायक यहां ऐसे ही नहीं दिखाई दे रहे थे ये सब किसी न किसी रणनीति के तहत सुबोध के कार्यालय में एकत्रित हुए थे।
डॉ. हरक सिंह रावत के मंगलवार को स्व. तिवारी के संदर्भ में दिए बयान और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और स्व. तिवारी के विपरीत परिस्थिति में भी राजनीति में टिके रहने के हुनर सीखने की सलाह के भी सत्ता के गलियारों में कई निहितार्थ निकाले जा सकते हैं ।
अलबत्ता यह साफ है कि भाजपा के अंदर खामोश दिख रहे माहौल के पीछे कहीं आने वाले तूफान की सरसराहट तो नहीं सुनाई दे रही है, जो 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कोई नया गुल न खिला दे।