ELECTION
मंगलौर बसपा में बड़ी बग़ावत के आसार!

सरवत करीम अंसारी को चित करने में कामयाब रह सकते हैं शहज़ाद!
एम हसीन
रुड़की। निकाय प्रमुख के टिकट को लेकर मंगलौर में जो हालात निकालकर सामने आ रहे हैं वे बसपा में बड़ी बग़ावत का आधार भी बन सकते हैं। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष व हाल तक पार्टी टिकट के दावेदार रहे डॉ. शमशाद ने ‘ परम नागरिक’ के साथ बातचीत में अपना टिकट कट जाने के बावजूद चुनाव में जाने का ऐलान किया है। साथ ही यह भी दावा किया कि पूर्व विधायक सरवत करीम अंसारी चुनाव में उनके ही साथ रहेंगे।
दूसरी और इस बात को खुद सरवत ने भी स्वीकार किया कि ‘पार्टी ने उनसे पूछे बग़ैर टिकट की घोषणा करके उन्हें पार्टी की चुनाव प्रक्रिया से अलग कर दिया है।’ यदि हालात ऐसे ही रहते हैं तो इसे सिर्फ डॉ. शमशाद की ही नहीं बल्कि सरवत की भी बग़ावत के रूप में दर्ज किया जाएगा। इसका असर 2022 के विधानसभा चुनाव तक पर पड़ेगा और पूर्व विधायक मुहम्मद शहज़ाद के लिए यह आदर्श स्थिति रहेगी।
डॉ. शमशाद 2008 में अपनी माता जी के चेहरे पर बसपा के टिकट पर ही स्थानीय नगर पालिका अध्यक्ष चुने गए थे। तब वे तत्कालीन बसपा विधायक क़ाज़ी निजामुद्दीन के खास थे। इसी कारण वे बसपा के तत्कालीन बसपा नेता विधायकदल मु. शहज़ाद की पसंद नहीं थे। लेकिन 2009 में वे क़ाज़ी का साथ छोड़कर शहज़ाद के साथ आ गए थे और 2012 में उन्होंने व शहज़ाद ने क़ाज़ी के मुकाबले सरवत को विधायक निर्वाचित कराया था। लेकिन जब 2014 में बसपा ने शहज़ाद को बाहर का रास्ता दिखाया था तब सरवत और शमशाद दोनों ने ही शहज़ाद को टाटा-बाय बाय कह दिया था।
बदलाव यह भी आया था कि तब सरवत ने बतौर मुस्लिम नेतृत्व शहज़ाद की कुर्सी थामने की भरपूर कोशिश की थी। यह ऐसी खलिश है जो शहज़ाद के अंदर क़ायम दिखती है। बहरहाल, अब निकाय चुनाव के निर्णायक दौर में सरवत-शमशाद की जोड़ी को तगड़ा झटका लगा है। बसपा ने चाहे किसी भी कारण से ऐसा किया हो लेकिन उसने डॉ. शमशाद का टिकट काटकर ज़ुल्फ़िक़ार अंसारी को दे दिया है। इससे न केवल डॉ. शमशाद बल्कि सरवत भी आक्रोशित हैं।
ज़ाहिर है कि अगर डॉ. शमशाद चुनाव में जाते हैं और सरवत उनका साथ देते हैं तो यह बड़ी बग़ावत बन जायेगी। इससे, सरवत के बसपा से बाहर जाने की, शहज़ाद की एक बड़ी मुराद पूरी हो जाना लाज़मी होगा। वैसे, इस चुनाव में उन लोगों के बीच ज़बरदस्त राजनीतिक समझदारी विकसित हुई दिख रही है जो खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। चुनावी बिसात पर मोहरों के साथ खेले जा रहे खेल की बेहद दिलचस्प स्थिति देखने में आ रही है।