HISTORY & CULTURE

लोक जात 2017 : मां नंदा देवी है कैलाश जाने को तैयार

यात्रा पूर्ण करने के बाद  देवराड़ा गांव में छह माह के लिए माँ नंदा करेगी प्रवास 

थराली (देवाल) :  प्रत्येक साल आहूत होने वाली नंदा लोक जात यात्रा का अपना धार्मिक महत्व है। स्थानीय लोग  मां नंदा की इस यात्रा का बेसब्री से इंतजार करते  हैं। प्रत्येक साल चलने वाली इस लोकजात में मां नंदा के कैलाश रवाना होने की घड़ी नजदीक आ गई है।

परंपानुसार चलने वाली नंदा लोक जात यात्रा  का इस वर्ष शुभ मुहूर्त 15 अगस्त को निकला है यह यात्रा विकासखंड घाट के कुरूड़ स्थित सिद्धपीठ नंदा देवी मंदिर से निकलकर शुरू होगी। मां नंदा की डोली यात्रा 180 किमी पैदल चल कर वेदनी बुग्याल  कुंड पहुंचेगी। जहां 28 अगस्त को पूजा-अर्चना के बाद यात्रा संपन्न होगी। जबकि हर 12 साल में  होने वाली नंदा राजजात होम कुंड और शिला समुद्र जैसे विकट स्थानों से होते हुए हिमालय के कैलाश की तरफ चौसिंग्या खाडू के साथ रवाना होती है लेकिन यह लोक जात यात्रा केवल वेदनी बुग्याल स्थित वेदनी कुंड तक ही जाती है।

क्षेत्रवासियों घाट विकास खंड से लेकर समूची पिंडर घाटी और कुमायूं के इलाकों में मां नदा की इस यात्रा को लेकर ध्याणियों सहित श्रद्धालुओं में जबदस्त उत्साह है। इस बार नंदा लोक जात यात्रा का दिन पंडित योगेश्वर प्रसाद गौड़ ने तय किया है। मेला कमेटी के अध्यक्ष जीत सिंह दानू ने बताया कि नंदा लोक जात यात्रा विशुद्ध रूप से धार्मिक यात्रा है। कुरूड़ में मां नंदा का मायका है। लिहाज़ा उन्हें यहां ध्याणी अथवा  बेटी के रूप में पूजा जाता है।

उन्होंने बताया कि 11 साल तक छोटी जात यात्रा होती है जो इस बार की तरह वेदनी कुंड तक जाती है। जबकि हर 12वें साल में बड़ी जात यानी प्रमुख राज जात होती है। मां नंदा का डोला छह माह देवराड़ा और छह माह सिद्धपीठ कुरूड़ गांव में प्रवास करता है। जन्माष्टमी के दिन नंदा के डोले को यात्रा के लिए विधिविधान से मंदिर से बाहर निकलता है। अगले दिन यात्रा का शुभारंभ होता है। नंदा सप्तमी को वेदनी कुंड में समापन होता है। यात्रा स्वचालित एवं पैदल चलती है। यात्रा के दौरान पूरा क्षेत्र नंदामय देवी के जयकारों से गुंजायमान हो जाता है।

इस बार की यात्रा का कार्यक्रम एवं पड़ाव :-  

यात्रा 15 अगस्त को कुरूड़ से शुरू प्रथम पड़ाव चरबंग, 16 अगस्त दूसरा पड़ाव मदकोट, 17 अगस्त तीसरा पड़ाव उस्तोली, 18 अगस्त चौथा भेटा, 19 अगस्त पांचवा कोलपुरी, 20 अगस्त छटा पड़ाव डुंगी, 21 अगस्त सातवां पड़ाव सूना, 22 अगस्त आठवां पड़ाव चेपड़ों, 23 अगस्त नवां पड़ाव घरातल्ला, 24 अगस्त दसवां पड़ाव फल्दीयागांव, 25 अगस्त ग्यारवां पड़ाव मुंदोली, 26 अगस्त बारवा पड़ाव वांण, 27अगस्त तेरवां पड़ाव गैरोली पातल, 28 अगस्त वेदनी में पूजा के बाद वापस चौदवें पड़ाव बांक गांव जाएगी। पांच सितम्बर को देवराड़ा गांव में छह माह के लिए माँ नंदा प्रवास करेगी।

devbhoomimedia

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