बढ़ रही माओवादी गतिविधियों के बाद खुफिया विभाग पर उठे सवाल !
लाखों की तनख्वाह, 28 कर्मचारी फिर भी नाकामी
अल्मोड़ा। अल्मोड़ा में पुलिस विभाग का खुफिया तंत्र कमजोर हो गया है। दिनभर सूचनाएं एकत्र करने का दंभ भरने वाले खुफिया विभाग की नाक के नीचे लगातार बढ़ रही माओवादी गतिविधियों के बाद सवाल उठने लगे हैं। हैरानी की बात यह भी है जिला मुख्यालय में डीआईजी मौजूद रहते हैं। महकमे के कर्मचारियों और अफसरों को सोमेश्वर तहसील में माओवादी पोस्टर लगने की जानकारी तक होती। डीएम ने भी खुफिया विभाग के काम पर नाराजगी जताई है।
जिले में सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद रखने के उद्देश्य से एलआईयू, एसआईयू और आईबी के दो दर्जन से अधिक कर्मचारी तैनात हैं। जो सादी वर्दी में जिले में हो रही गतिविधियों पर नजर रखते हैं, लेकिन जिले में हो रही माओवादी गतिविधियों से पार पाने में खुफिया विभाग के ये कर्मचारी भी नाकाम ही साबित हो रहे हैं।
माओवादी गतिविधियों की बात करें तो अब तक जिले के द्वाराहाट, सोमेश्वर, बाड़ेछ़ीना, पनुवानौला और बसोली का क्षेत्र मुख्य रूप से इनका कार्यक्षेत्र रहा है। माओवादी विचार धारा के लिए चुनाव बहिष्कार के अलावा, नानीसार भूमि आवंटन, भ्रष्ट अधिकारियों ने नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोलने समेत अब शराब के प्रति लोगों में जनयुद्ध छेडऩे का प्रयास करते आए हैं, हालांकि माओवादी घटनाओं के बढऩे के बाद पुलिस और खुफिया एजेंसियां कुछ लोगों को गिरफ्तार करने और दबिश देने जैसी कार्रवाई कर चुकी है। आज तक माओवादियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पुलिस और खुफिया एजेंसियों के हाथ नहीं लग सका है।
संसाधनों की कमी भी एक वजह
सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रखने के लिए शासन ने जिले में खुफिया विभागों में कर्मचारियों की तैनाती की है। खुफिया विभाग सदैव से ही संसाधनों का रोना रोता रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि उनके पास आज भी वाहनों का टोटा है। एलआईयू के कांस्टेबिलों को आज भी सिर्फ साइकिल भत्ता दिया जाता है, जबकि दारोगा रैंक के अधिकारियों को मोटरसाइकिल भत्ता।
ऐसे में विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले पर्वतीय क्षेत्र में खुफिया एजेंसियां कैसे अराजक तत्वों तक पहुंचेंगी, बड़ा सवाल है। अल्मोड़ा के एसएसपी दलीप सिंह कुंवर का कहना है कि मैंने खुफिया विभाग के सभी कर्मचारियों को इस बारे में निर्देशित किया है। सभी कर्मचारी माओवादी गतिविधियों में शामिल लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं।