Uttarakhand
100 दिन सरकार के 100 दिन विकास के


मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एक सरल एवं सहज व्यक्तित्व के मुख्यमंत्री है। प्रदेश की कमान संभालते ही अपनी प्राथमिकता स्पष्ट करते हुए श्री त्रिवेन्द्र ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये गये कि सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है। किसी भी प्रदेश के विकास में वहां के आधारभूत अवस्थापना सुविधाओं का अहम योगदान होता है। राज्य गठन के बाद से यह पहला मौका है, जब किसी सरकार ने अवस्थापना सुविधाओं के विकास पर फोकस किया है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने सबसे पहले इसी दिशा में अपने कदम बढ़ाये। उनके इस प्रयास में केन्द्र सरकार का भी पूरा सहयोग मिला। जिसका परिणाम यह रहा कि राज्य के महत्वपूर्ण स्थलों को रेल सेवा से जोड़ने की योजना पर कार्य शुरू हो गया है। पहले ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेलवे लाइन की घोषणा हुई थी, लेकिन सरकार के प्रयासों से अब यह परियोजना बद्रीनाथ धाम व सोनप्रयाग तक स्वीकृत हो चुकी है। इसके साथ ही मुज्जफरनगर-देवबंद के मध्य भी रेल लाइन शीघ्र पूरी होने वाली है। इन सब प्रयासों को यदि देखा जाय तो आने वाले समय में दिल्ली से जोशीमठ तक सीधी रेल सेवा प्रदेशवासियों

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने एक और अहम कदम उठाया है, जिसके

राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं को अपनी शीर्ष प्राथमिकता में रखा है, जिसके लिए राज्य गठन के बाद पहली बार ऐसा निर्णय लिया गया, जिसमें मैदानी क्षेत्रों में वर्षों से तैनात डाॅक्टरों को पहाड़ों पर भेजा गया है। इसके साथ ही सरकार द्वारा शीघ्र ही 200 डाॅक्टरों के पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। इसके लिए चिकित्सा चयन बोर्ड के माध्यम से कार्य किया जा रहा है।
वर्तमान राज्य सरकार ने एक और अहम निर्णय लिया है जिसके अनुसार सीमंात एवं लघु किसानों को 2 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जायेगा। इससे किसानों के आजीविका में वृद्धि होगी, जिसके लिए राज्य सरकार द्वारा पूरा सहयोग दिया जायेगा। हमारा लक्ष्य है कि इस योजना से 1 लाख किसानों को स्वरोजगार से जोड़ा जा सके। इसके तहत फ्लोरीकल्चर, प्रोसेसिंग, बागवानी, फल-फूल सब्जी उत्पादन एवं विपणन आदि कार्य किये जा सकेंगे। मुख्यमंत्री श्री रावत ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये है कि 2021 तक सबको आवास उपलब्ध होना चाहिए। साथ ही वर्ष 2017 तक प्रत्येक गांव, 2018 तक हर तोक तथा 2019 तक हर घर को बिजली से जोड़ा जाय। राज्य सरकार द्वारा यह भी लक्ष्य रखा गया है कि जो बी.पी.एल. परिवार उज्जवला योजना से लाभान्वित नही हो पाये है, उन परिवारों को गैस कनैक्शन उपलब्ध कराये जायेंगे। वर्ष 2022 तक हर बेघर को घर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।

राज्य का हित देखते हुए राज्य सरकार ने एक और अहम निर्णय लिया, जिसके तहत 5 करोड़ रुपये धनराशि तक के कार्य राज्य के मूल निवासियों को ही दिये जायेंगे। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने रोजगार के अधिक से अधिक अवसर सृजित करने के उद्देश्य से सभी विभागों को निर्देश दिये है कि विभागवार रिक्त पदों की रिपोर्ट सरकार को भेजी जाय। वर्तमान में लगभग पटवारी के 1100 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही अन्य विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया भी शीघ्र शुरू कर ली जायेगी। उच्च शिक्षा में शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए उच्च शिक्षा चयन आयोग का गठन किया गया है। पशुपालन विभाग में 100 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जायेगी, जिसमें पशुधन प्रसार अधिकारी एवं पशु चिकित्सक के पद शामिल है। भर्ती प्रक्रियाओं में पूर्णतः पारदर्शिता रखी जायेगी।

राज्य गठन के बाद से उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड सरकार के मध्य लंबित परिसंपत्तियों के प्रकरण पर कोई ठोस कार्यवाही नही हुई। लेकिन मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कार्यभार संभालते ही सबसे पहले इस प्रकरण पर राज्य के नौकरशाहों के साथ विचार-विमर्श कर निर्देश दिये कि इस प्रकरण का समाधान शीघ्र किया जाय। मुख्यमंत्री स्वयं इस मामले पर निगरानी रख रहे है। इसका परिणाम यह रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार व उत्तराखण्ड सरकार के मध्य एक सकारात्मक वार्ता आगे बढ़ी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि परिसंपत्तियों के लंबित मामले का समाधान शीघ्र होगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र के कुशल नेतृत्व में वर्तमान सरकार आगे बढ़ रही है। आशा की जानी चाहिए कि जनता के विश्वास पर खरा उतरते हुए त्रिवेन्द्र सरकार विकास के नये आयाम स्थापित करेगी। उत्तराखण्ड को विकास के पथ पर अग्रसर करेगी। राज्य की मूलभूत समस्याओं का समाधान होगा और राज्य देश के अग्रणी राज्यों में शुमार होगा।