शहर में घूमने, घर से दफ्तर, कॉलेज जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करें तो एक शहर में ही हजारों लीटर पेट्रोल, डीजल बचा सकते हैं
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
आज भी याद है कि बचपन में हमें साइकिल कितनी पसंद थी। स्कूल की छुट्टी के बाद हम और हमारी साइकिल खूब घूमते थे। कई बार साइकिल से गिरे, चोट खाई और फिर साइकिल की सवारी शुरू हो गई। आज भी साइकिल हमारे साथ है, पर उतनी नहीं, जितनी कि कार और मोटरसाइकिल हैं।
आज विश्व साइकिल दिवस है, इसी बहाने अपनी साइकिल को याद कर लिया जाए, वैसे भी पूरे विश्व में मोटर वाहनों के धुएं से जितना प्रदूषण और इससे बीमारियां बढ़ रही हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि वो दिन दूर नहीं, जब एक बार फिर अधिकतर लोग साइकिल पर ही सवार होकर दफ्तर, कॉलेज और घूमने के लिए जाएंगे।
तीन जून को साइकिल दिवस है। यह दिन है साइकिल की विशेषताओं को जानने तथा बेहतर सेहत के लिए इसका उपयोग करने के लिए जागरूकता का। अगर हम शहर में घूमने, घर से कुछ ही दूरी पर दफ्तर, कॉलेज जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करें तो एक शहर में ही भारी मात्रा में यहां तक कि हजारों लीटर पेट्रोल, डीजल की खपत को कम किया जा सकता है। वहीं प्रदूषण भी काफी कम होगा।
एक बात और, हर कोई अपनी सााइकिल पर सवार होगा तो सार्वजनिक परिवहन में यात्रियों की संख्या कम हो सकती है, जिससे सोशल डिस्टेसिंग का पालन किया जा सकेगा। कोरोना संक्रमण के दौर में सोशल डिस्टेंसिंग ही सबसे बड़ा बचाव है।
अब हम आपको साइकिल दिवस के बारे में बताते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने पहला आधिकारिक विश्व साइकिल दिवस 3 जून, 2018 को मनाया था। साइकिल परिवहन का सरल, सस्ता, भरोसे वाला और पर्यावरण की सुरक्षा करने वावा साधन है। साइकिल के इतिहास के बारे में बताया जाता है कि 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में साइकिल का विचार आ चुका था, लेकिन इसको सबसे पहले 1816 में पेरिस के एक कारीगर ने बनाया।
कारीगर ने जो मशीन यानी साइकिल बनाई, उसे हॉबी हॉर्स यानी काठ का घोड़ा करते थे। पैर से घुमाने वाले पैडल वाले पहियों की खोज वर्ष 1865 ई. में पेरिस निवासी ने की। इस यंत्र को वेलॉसिपीड कहते थे।
इस पर चढ़ने वाले को बहुत थकावट हो जाती थी, इसलिए इसको हाड़तोड भी कहने लगे। इसकी सवारी लोगों को खूब पसंद आती थी। इसकी डिमांड बढ़ गई तो इंग्लैंड, फ्रांस और अमेरिका के निर्माताओं ने इसमें कई सुधार करके वर्ष 1872 में सुंदर रूप दे दिया।
भारत में 1960 से लेकर 1990 तक भारत में ज्यादातर परिवारों के यातायात का साधन साइकिल ही था। कहीं भी आने जाने के लिए अधिकतर लोग साइकिल इस्तेमाल करते थे।
अब आपको साइकिल चलाने के फायदे भी बता देते हैं।
रोजाना आधा घंटा साइकिल चलाने से पेट की चर्बी कम होती है। रोजाना सुबह साइकिल चलाने से आपकी फिटनेस बरकरार रहती है।
साइकिल चलाने से शरीर का इम्यून सिस्टम ठीक तरीके से काम करता है। एक रिपोर्ट के अनुसार रोजाना आधा घंटा साइकिल चलाने से इम्यून सेल्स एक्टिव हो जाते हैं और बीमार होने का खतरा कम हो जाता है।
लगातार साइकिल चलाने से घुटने और जोड़ों के दर्द की समस्या में राहत पहुंचती है।
एक रिसर्च के अनुसार जो व्यक्ति प्रतिदिन 30 मिनट साइकिल चलाता है, उसका दिमाग साधारण इंसान के मुकाबले ज्यादा एक्टिव रहता है। ब्रेन पाॅवर बढ़ने की संंभावना भी 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ती है।
साइकिल सबसे सस्ता साधन है। जबकि आपको दूसरी गाड़ियों में तेल के लिए पैसे खर्च करने होते हैं। आपको साइकिल में ऐसा कुछ करने की आवश्यकता ही नहीं है। स्वास्थ्य के साथ-साथ साइकिल आपके पैसे भी बचाती है।
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