हज़ारों श्रद्धालुओं ने लगाई बुद्धपूर्णिमा पर आस्था की डुबकी

हरिद्वार : बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी सहित अन्य गंगा घाटों पर आस्था की डुबकी लगाई। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने भगवान सूर्य को अर्ध्य देकर सुख समृद्धि की कामना की। इस दौरान लोगों ने दान आदि भी किया।
बैसाख मास समापन और बुध पूर्णिमा का स्नान के लिए देश के विभिन्न भागों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु एक रोज पहले ही हरिद्वार पहुंच गए थे। इसी दिन भगवान विष्णु के अवतार कूर्म की जयंती भी मनाई जाएगी। स्नान का मुहूर्त सूर्योदय से सूर्यास्त तक निकाला गया है।
वैशाख पूर्णिमा पर एक महीने से चल रहे बैसाख स्नान एवं पांच दिनों से चल रही गंगा पंच स्नानी का भी समापन हो जाएगा। गंगा स्नान के लिए राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और पंजाब से भारी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे हैं। अन्य राज्यों से भी आगमन जारी रहा। गंगा स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने यथोचित स्थलों पर जाकर बैसाख महात्म्य सुना और दान पुण्य किया। इसी दिन विष्णु के कूर्मावतार की जयंती भी विष्णु मंदिरों में मनाई जाती है।
शास्त्रों में पूरे बैशाख माह में गंगा स्नान को अधिक फलदायी बताया गया है। क्योंकि बैसाख माह की पूर्णिमा को ही भगवान बुद्ध का जन्म भी हुआ था। इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं। इसी के चलते श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी, सुभाष घाट, राम घाट, बिरला घाट, प्रेमनगर घाट सहित अन्य गंगा घाटों पर सुबह से ही स्नान करना आरंभ कर दिया था।
स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने भगवान सूर्य को अर्ध्य देकर घर परिवार में खुशहाली की कामना की। श्रद्धालुओं ने दान में दक्षिणा, वस्त्र व अन्य वस्तुएं भी प्रदान की।
बुद्ध पूर्णिमा पर 297 साल बाद आज बना है विशेष संयोग
वैशाख शुक्ल पूर्णिमा हिंदू और बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए विशेष महत्व का दिन है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा पर 297 वर्ष बाद एक विशेष संयोग बन रहा है। गौतम बुद्ध की जयंती और निर्वाण दोनों एक ही दिन हैं। भगवान बुद्ध भगवान विष्णु के नौवें अवतार थे।
बुधवार को भगवान बुद्ध की जयंती मनाई जा रही है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध को बौद्ध गया में बोधि वृक्ष के नीचे बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस दिन गंगा में स्नान करने पर मनुष्यों के कई जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं।
उत्तराखंड विद्वत सभा के पूर्व उपाध्यक्ष आचार्य भरत राम तिवारी के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा बुधवार अलसुबह 1.05 बजे पर शुरू होगी और बृहस्पतिवार को सुबह 3.15 बजे तक रहेगी। इस दौरान मेष राशि का सूर्य, तुला राशि का चंद्रमा व कन्या राशि का गुरु, सिंह राशि के नवांश में रहेगा।
आचार्य सुशांत राज ने बताया कि 297 वर्ष पूर्व वैशाख पूर्णिमा पर इस वर्ष बुद्धादित्य सहित कई ग्रहों एवं नक्षत्र की युति से विशेष संयोग बना था, जो इस बार भी बन रहा है। उन्होंने बताया कि शनि एवं बृहस्पति के वक्री काल में यह अति दुर्लभ योग माना जाएगा।
गुरु-मंगल का नव पंचम योग व्यापार में वृद्धि कारक है। गुरु-शुक्र का समसप्तक योग आने वाले समय में अच्छी वर्षा का कारक है। शनि-मंगल का षडाष्टक योग देश की सैन्य शक्ति बढ़ाने वाला माना जाता है। वहीं बुद्ध पूर्णिमा को तीर्थ स्थानों पर स्नान कर भगवान विष्णु का ध्यान करना विशेष माना जाता है।
मां जगदीशिला की डोली ने किया गंगा स्नान
टिहरी गढ़वाल से हरिद्वार पहुंची भगवान विश्वनाथ मां जगदीशिला डोली को श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान कराया। स्नान के बाद यात्रा ऋषिकेश के लिए रवाना हुई। इस यात्रा का समापन गंगा दशहरा के दिन भगवान विश्वनाथ मां जगदीशिला तीर्थ स्थल पर होगा।
टिहरी गढ़वाल के विशोन पर्वत पर स्थित भगवान विश्वनाथ मां जगदीशिला तीर्थ स्थल से प्रतिवर्ष डोली यात्रा का आयोजन पूर्व कैबिनेट मंत्री मंत्रीप्रसाद नैथानी के नेतृत्व में वर्ष 2000 से निरंतर होता चला आ रहा है।
इसी श्रृंखला में 18वीं बार मंत्रीप्रसाद नैथानी डोली यात्रा लेकर हरकी पैड़ी हरिद्वार पहुंचे। जहां पर स्थानीय डोली यात्रा के संयोजक भारत माता मन्दिर के श्रीमहंत ललितानंद महाराज, आमेश शर्मा, पं. जगदीश अत्री, मुकेश शर्मा, अंकुर पालीवाल, हरिओम पटुवर, एडवोकेट वरूनेश सहित तीर्थ पुरोहितों ने पं. श्रीकांत वशिष्ठ के साथ मिलकर डोली यात्रा का भव्य स्वागत किया।
इस मौके पर पूर्व कैबिनेट मंत्रीप्रसाद नैथानी ने कहा कि वर्ष 2000 से प्रारंभ डोली यात्रा का हरिद्वार में आगमन एक परंपरा बन गया है, जो भगवान विश्वनाथ और मां जगदीशिला की कृपा से ही संभव हो पाया है।
यात्रा का उद्देश्य विश्व शांति की कामना, देव संस्कृतियों को जिंदा रखना है। बताया कि शुरू के वर्षों में डोली यात्रा हरिद्वार से विशोन पर्वत टिहरी गढ़वाल तक ही सीमित रहती थी, लेकिन विगत कई वर्षों से इस यात्रा का विस्तार कुमाऊं मंडल में भी हो चुका है।
तिब्बती समुदाय ने की पूजा अर्चना
देहरादून में क्लेमेंटाउन सहित राजपुर रोड के बौद्ध मठों सहित नैनीताल में बुद्ध पूर्णिमा पर तिब्बती समुदाय ओर से सुख निवास स्थित बौद्ध मठ में विशेष पूजा अर्चना कर विश्व शांति की कामना की गई। पर्व की वजह से तिब्बती व भोटिया बाजार दोपहर बाद तक बंद रहा। इस मौके पर मुख्य पुजारी लोपसांग सेरेजा व 11 लामाओं द्वारा ढाई घंटे तक पाठ किया गया। समुदाय के लोगों द्वारा भी सामूहिक पूजा अर्चना की गई। कार्यक्रम में डुंदुप सेरिंग, ईसी थुपतैन, लोपसांग स्वेपा, पेंडल, जिग्मे समेत अन्य थे। इस दौरान दुनियां में शांति के लिए एक हजार दीये जलाए गए।