Uttarakhand

चुनाव से पहले पिछली सरकार द्वारा जारी स्टोन क्रशर व खनन पट्टे निलंबित

देहरादून : सरकार ने प्रदेश में खनन के लिए नियम विरुद्ध लाइसेंस दिए जाने की शिकायत पर विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से 15 दिन पूर्व जारी स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट, खनिजों के भंडारण एवं निजी नाप भूमि में स्वीकृत उपखनिज एवं गौण खनिज के खनन पट्टे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिए हैं।

इन निलंबित लाइसेंसों के परीक्षण के लिए सचिव औद्योगिक विकास विभाग शैलेश बगौली की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। इसमें मुख्य वन संरक्षक, मुख्यालय देहरादून और केंद्रीय मृदा व जल संरक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान देहरादून के विषय विशेषज्ञों को सदस्य के रूप में नामित किया गया है। यह समिति 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी।

प्रदेश में खनन को लेकर सरकार इन दिनों सख्त रवैया अपनाए हुए है। सरकार केवल वैधानिक व वैज्ञानिक तरीके से ही खनन पर फोकस किए हुए है। इसके लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ओर से लिए गए तमाम फैसलों का अध्ययन किया जा रहा है और विवादित फैसलों को पलटा जा रहा है।

इस कड़ी में शासन ने कुछ दिनों पूर्व प्रदेश में उपखनिज भंडारण के तकरीबन 250 लाइसेंस निरस्त कर दिए थे। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने गंगा नदी में खनन पर लगी रोक हटा दी थी। इस दौरान शासन को ऐसी शिकायतें मिली थी कि पूर्ववर्ती सरकार ने विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से ठीक पहले नियमों को ताक पर रखने हुए स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट व खनन पट्टे जारी किए थे।

इसका संज्ञान लेते हुए सरकार ने मुख्य सचिव एस रामास्वामी को इस संबंध में कार्यवाही के निर्देश दिए थे। कुछ दिनों पूर्व मुख्य सचिव ने इस मसले पर विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसके बाद अब शासन ने आचार संहिता लागू होने, यानी चार जनवरी से 15 दिन पूर्व जारी लाइसेंसों को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं।

सूत्रों की मानें तो इस अवधि में प्रदेश में कुल 40 स्टोन क्रशर, पांच स्क्रीनिंग प्लांट व तकरीबन 20 से अधिक खनन पट्टों के लाइसेंस जारी किए गए थे। शासन ने इस अवधि में जारी सभी लाइसेंसों का परीक्षण करने का निर्णय लेते हुए इसके लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है।

मुख्य सचिव एस रामास्वामी के निर्देश पर सचिव खनन शैलेश बगौली ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। बगोली ने बताया कि समिति को 30 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है लेकिन समिति इससे पहले अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपने का प्रयास करेगी।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »