Uttarakhand

राज्य की महिलाओं के प्रयास से शराबमुक्त हुए गांव !

भले ही उच्च न्यायलय ने सूबे के उत्तरकाशी, चमोली व रुद्रप्रयाग जिलों में शराब बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया है लेकिन वहीँ अपनी संस्कृति व संस्कारों को पुनर्जीवित करने को लेकर रुद्रप्रयाग जिले की जखोली विकासखंड की ग्राम सभा दरमोला में महिलाओं ने शराब के खिलाफ ऐसी जंग छेड़ी कि गांव का माहौल ही बदल गया तो वहीँ देवप्रयाग के उनाना व बौंगा रामपुर ग्राम पंचायत ने शादी व अन्य समारोह में शराब न परोसने का निर्णय ने उत्तराखंड के उन गांवों को भी प्रेरणा देने का कार्य किया है जहाँ शादी या अन्य किसी समारोह पर शराब परोसने को स्टेटस सिम्बल माना जाता था।

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

रुद्रप्रयाग : जखोली विकासखंड की ग्राम सभा दरमोला में महिलाओं ने शराब के खिलाफ ऐसी जंग छेड़ी कि गांव का माहौल ही बदल गया। अब गांव में शादी समारोह हो या अन्य उत्सव। न तो यहां शराब पी जाती है और न ही किसी को परोसी जाती है। वहीँ देवप्रयाग के उनाना व बौंगा रामपुर ग्राम पंचायत ने शादी व अन्य समरोह में शराब न परोसने का निर्णय लिया है। ग्रामीणों ने तय किया कि इस दिन डीजे भी नहीं बजेगा। यदि कोई इसका उल्लंघन करेगा तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। बौंगा रामपुर स्थित शिवालय में हुई ग्रामीणों की बैठक में यह निर्णय लिया गया। ग्राम प्रधान उनाना संतोषी बिष्ट व प्रधान बौंगा रामपुर बिजोरा देवी के साथ ही क्षेत्र पंचायत सदस्य धन सिंह ने इसके लिए पहल की। इसके समर्थन में बड़ी संख्या में महिलाएं आ गई।

पांच साल पहले रुद्रप्रयाग जिले के जखोली विकासखंड की ग्राम सभा दरमोला में शराब पीना और पिलाना आम था। शराबियों के उत्पात के कारण गांव में स्थिति बिगड़ती जा रही थी। युवक ही नहीं बच्चों को भी शराब की लत पड़ती जा रही थी। इससे घर की महिलाएं परेशान थी।

इस परेशानी को देखते हुए महिला मंगल दल से जुड़ी महिलाओं ने शराब के खिलाफ आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया। तय किया गया कि कोई भी मांगलिक कार्यों में शराब न तो पिलाएगा न पिएगा। जो भी ऐसा करेगा, उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। नारी शक्ति के आंदोलन का छह माह में ही ऐसा असर पड़ा कि गांव की सूरत ही बदल गई है। गांव में अब कोई शराब न पीता है न पिलाता है। मांगलिक कार्य मंगलमय माहौल में होते हैं।

दरअसल, गांव की महिलाओं ने वर्ष 2011 में गांव में बुरी तरह फैल चुकी शराब की इस बुराई को खत्म करने के लिए महिला मंगल दल की अध्यक्ष अनीता देवी के नेतृत्व में संघर्ष छेड़ा। महिलाओं ने गांव में छापामारी की। शराब पीने वालों को समझाया। जो नहीं समझा उसका सामाजिक बहिष्कार करने की चेतावनी दी।

लगभग छह माह के आंदोलन के बाद 16 अक्टूबर 2011 को गांव में शराब पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया। महिला मंगल दल अध्यक्ष अनीता देवी कहती हैं कि गांव में शराब एक अभिशाप बनकर रह गई थी, जिसे जड़ से खत्म करने को नारी शक्ति ने सामूहिक संघर्ष छेड़ा। मुहिम रंग लाई और अब गांव शराब की बुराई से मुक्त है।

आसपास के गांवों के लिए भी यह आंदोलन मिसाल बना हुआ है। इस मुहिम में देवेश्वरी देवी, राजी देवी, बुधा देवी, शकम्बरी, दीका देवी, सुरमा देवी, विनीता, सुलोचना, राजुला, अंशी देवी, शांति देवी, मधु देवी, कस्तूरी देवी, माया देवी, रुचिता देवी, आदि शामिल रही।

वहीँ  देवप्रयाग के उनाना व बौंगा रामपुर ग्राम पंचायत ने बैठक में ग्रामीणों ने कहा कि शराब से गांव का शांत वातावरण दूषित हो रहा है। साथ ही युवाओं का भविष्य चौपट हो रहा है। डीजे संस्कृति से हमारी परपंरागत ढोल-दमाऊ की परंपरा खत्म हो रही है। इससे गरीब लोगों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है।

बैठक में पारित प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया है कि जो भी व्यक्ति फैसले के विरूद्ध जाएगा उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। बता दें कि टिहरी में अब तक करीब पचास शादियां बिना कॉकटेल की संपन्न हुई है। कई गांव अब इसके लिए आगे आने लगे हैं।  बैठक में पूर्व प्रधान रूकम सिंह बिष्ट, केशवानंद तिवाड़ी, कमल सिंह पयाल, जितेंद्र पंवार, सौवत सिंह, गैणा सिंह, भजनी देवी, सुभाग देवी, शिवानी पंवार, सब्बल लाल, आदि मौजूद थे।

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