SC का कार्यवाहक प्रिंसिपलों के हक में बड़ा फैसला अब पाएंगे समान वेतन
अवमानना याचिका के बाद दिया था सरकार ने वेतन
देहरादून : वर्ष 2003 के बाद समय-समय पर उत्तराखंड के इंटर कॉलेजों में भर्ती किए गए 40 से अधिक कार्यवाहक प्रिंसिपलों को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने इन कार्यवाहक प्रिंसिपल को स्थायी प्रिंसिपल के समान वेतन देने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है।
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए तमाम कार्यवाहक प्रिंसिपल को स्थायी प्रिंसिपल के समान वेतन देने के लिए कहा है। कार्यवाहक प्रिंसिपल की ओर से पेश मनोज गोरकेला ने पीठ से कहा कि वर्ष 2002 के नियम के तहत अस्थायी प्रिंसिपल को स्थायी प्रिंसिपल के समान वेतन देने का प्रावधान है। बावजूद इसके सरकार इसकी अनदेखी कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड के कॉलेजों में शिक्षकों की कमी है। कई कॉलेजों में अभी भी प्रिंसिपल के पद रिक्त हैं।
मालूम हो कि राज्य के कई इंटर कॉलेजों में प्रिंसिपल पद रिक्त होने के कारण सरकार ने वर्ष 2003 के बाद समय-समय पर इन कॉलेजों में कार्यवाहक प्रिंसिपल की नियुक्ति की थी। लेकिन इन्हें स्थायी प्रिंसिपल के समान वेतन नहीं मिल पा रहा है। जबकि वर्ष 2002 के नियम के तहत कार्यवाहक प्रिंसिपल को स्थायी प्रिंसिपल के समान वेतन देने का प्रावधान है।
सरकार की इस मनमानी के खिलाफ कार्यवाहक प्रिंसिपल ने नैनीताल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट ने वर्ष जुलाई, 2012 में अस्थायी प्रिंसिपल के हक में फैसला देते हुए राज्य सरकार से सभी को स्थायी प्रिंसिपल के समान वेतन देने का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की थी। इस बीच कार्यवाहक प्रिंसिपल की ओर से हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी। इसके बाद राज्य सरकार ने सभी को नियम के तहत वेतन का भुगतान कर दिया था। हालांकि राज्य ने कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट उसके हक में फैसला देता है सभी को वह रकम लौटानी होगी।