UTTARAKHAND

मकर संक्रांति पर करेंगे प्रत्याशियों की घोषणा दोनों राजनीतिक दल

पार्टी एक साथ घोषित करेगी उम्मीदवार: किशोर

देहरादून  : सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही दोनों ही प्रतिद्वंदी दल कांग्रेस और भाजपा अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करेंगे. जहाँ के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने इस तरह के संकेत दिए हैं तो वहीँ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने भी मकर संक्रांति के दिन पार्टी प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने की बात कही है।

दून में भाजयुमो के टोल-फ्री नंबर की लांचिंग में पहुंचे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि टिकटों को लेकर विधानसभावार सर्वे लगभग पूरा हो चुका है। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि पहली सूची मकर संक्रांति पर जारी कर दी जाएगी।

पहली सूची में अधिकतर मैदानी क्षेत्रों के प्रत्याशियों के नाम रहेंगे। इसके बाद दूसरी सूची पर्वतीय क्षेत्रों की सीटों पर फोकस रहेगी। प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने यह भी कहा कि विभिन्न सीटों पर दावेदारी को लेकर भले ही कार्यकर्ता प्रदेश संगठन से भी लगातार संपर्क में हैं और अपने-अपने तर्क रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि किस व्यक्ति को टिकट दिया जाना है, इस पर आलाकमान ही अंतिम निर्णय कर रहा है। विधानसभा क्षेत्रवार किए जा रहे सर्वे टिकट बंटवारे में अहम भूमिका निभाएंगे।

इस सबसे इतर यह बात भी सामने आ रही है कि कई वरिष्ठ कार्यकर्ता टिकट की दावेदारी को लेकर सीधे केंद्र में दस्तक दे रहे हैं। हालांकि इनके ट्रैक रेकार्ड पर भी फीडबैक प्रदेश से ही मांगा जा रहा है। यानी कि केंद्र में अच्छी पैठ के बावजूद टिकट बंटवारे में सर्वे के परिणाम अहम रोल अदा करेंगे।

वहीँ बीते दो दिन में करीब बारह घंटे की मशक्कत के बाद भी उत्तराखंड के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों पर स्क्रीनिंग कमेटी में आम सहमति नहीं बनी है। कहने को सभी वर्तमान विधायकों के टिकट पक्के हैं लेकिन सभी 26 के नाम पर स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य भी मौन हैं। यानि एक दो विधायकों के टिकट कट भी सकते हैं।

स्क्रीनिंग कमेटी में सहयोगी पीडीएफ विधायकों को लेकर भी कोई फैसला नहीं हो सका। लिहाजा पीडीएफ के विधायकों से कमेटी की अध्यक्ष शैलजा कुमारी अलग से बातचीत कर अंतिम फैसला लेंगी। पार्टी टुकड़ों में नाम घोषित न करके सभी उम्मीदवारों की घोषणा मकर संक्राति के बाद एक साथ करेगी।

पार्टी में सबसे बड़ी समस्या पीडीएफ विधायकों को लेकर है। हरीश चंद्र दुर्गापाल और हरिदास कांग्रेस के उम्मीदवार बनने को तैयार हैं। पांच साल तक कांग्रेस की गोद में बैठकर सत्ता की मलाई खाने वाले मंत्री प्रसाद नैथानी, दिनेश धनै तथा प्रीतम पंवार कांग्रेस का साथ तो चाहते हैं लेकिन अपने आप अलग -अलग दलों से चुनाव भी लड़ना चाहते हैं। जानकारी के अनुसार जहाँ प्रीतम पंवार यू के डी से चुनाव लड़ना चाहते हैं तो मंत्री प्रसाद नैथानी और दिनेश धनै निर्दलीय मैदान में उतरना चाहते हैं लेकिन वहीँ सभी यह भी चाहते हैं कि कांग्रेस उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार न उतारे।

वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सभी 70 सीटों पर अपने चुनाव निशान पर लड़ना चाहते हैं। इस पेंच को देखते शैलजा कुमारी ने इसका समाधान खुद निकालने का जिम्मा लिया है। जल्द ही पीडीएफ से जुड़े नेता उनसे मुलाकात करेंगे। सरकार के सहयोगी रहे सरवत करीम अंसारी फिर से बसपा के उम्मीदवार हैं लिहाजा उनके मुकाबले कैसा उम्मीदवार उतारा जाए, पार्टी इसे लेकर भी धर्म संकट में है। जबकि काजी निजामुद्दीन कांग्रेस के दावेदार हैं।

स्क्रीनिंग कमेटी के सामने सबसे बड़ी चुनौती उत्तराखंड के मैदानी जिले हैं हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जहां से सर्वाधिक दावेदार हैं। इतना ही नहीं पार्टी के कुछ बड़े नेताओं की भी नजर इन सीटों पर है। बैठक में इस बात पर भी चर्चा नहीं हुई कि मुख्यमंत्री हरीश रावत किस सीट से लड़ेंगे।

वहीं प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को पार्टी मैदान में उतारेगी कि नहीं। स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों के मुताबिक पार्टी क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष को भी मैदान में उतार सकती है। हालांकि इस पर कोई फैसला आलाकमान पर ही छोड़ा गया है।

पार्टी में एक वर्ग चाहता है कि कांग्रेस छोड़कर जाने वाले दस विधायकों के खिलाफ सभी बड़े नेताओं को उतारा जाए। मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और रावत सरकार के मंत्री खुद इन सीटों पर मोर्चा संभाले। ऐसा करने से पार्टी उन नेताओं को टफ फाइट देगी और उनके मूल विधानसभा क्षेत्रों में उनकी ओर से कराए गए काम से पार्टी उम्मीदवार को जिताया जा सकेगा। हालांकि इस पर सहमति बनती नहीं दिख रही है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का कहना है कि पार्टी अपने सभी 70 उम्मीदवारों की सूची एक साथ घोषित करेगी। पार्टी हर हाल में उन्हें चुनाव तैयारियों का एक महीना देगी। उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया चल रही है। टिकटों को लेकर संगठन और सरकार में कोई मतभेद नहीं है। हम दोनों ही चाहते हैं कि जिताऊ उम्मीदवार मैदान में उतरे।

devbhoomimedia

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