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हरदा के ‘तीर’ से त्रिवेंद्र ने साधा ‘निशाना’

त्वरित टिप्पणी

2016 में राष्ट्रपति के भाषण में था गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी का जिक्र

अतुल बरतरिया 

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आखिरकार गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का एलान कर ही दिया। अहम बात यह है कि त्रिवेंद्र ने ये सियासी निशाना पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ही तीर से साधा है। हरीश रावत पिछले दिनों सोशल मीडिया में इस बात पर मलाला जाहिर कर चुके हैं कि चाहने के बाद भी वे गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी नहीं बना सके।

गैरसैंण में राजधानी अलग राज्य आंदोलन की शुरुआत से ही एक मुद्दा रहा है। लेकिन कांग्रेस औऱ भाजपा दोनों ही इस पर कोई स्टैंड लेने की बजाय इसका सियासी लाभ लेती रहीं। कभी घोषणा पत्र में इसका जिक्र हुआ तो कभी दोनों दल सियासत करते रहे। 2016 में उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार थी। इस सरकार के मुखिया हरीश रावत भी इसी मुद्दे पर सियासत करते रहे। लेकिन 2016 में हरदा इस मामले में आगे बढ़े। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणवदा ने उत्तराखंड विधानसभा के एक विशेष सत्र को संबोधित किया। इसमें उन्होंने गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी का भी जिक्र किया। यहां बता दें कि राष्ट्रपति या राज्यपाल जब किसी सदन को संबोधित करते हैं तो उसमें राज्य या केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं का ही जिक्र होता है। उस समय लगा कि हरीश रावत अपने कार्यकाल में ही गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर देंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पता नहीं क्यों वे ये साहस नहीं जुटा पाए।

2017 के चुनाव में भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने के जिक्र किया। तीन साल तक त्रिवेंद्र सरकार इस पर मौन साधे रही। इसी बीच हरीश रावत को इसकी याद आ गई। उन्होंने सोशल मीडिया में लिखा कि काश वो गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का ऐलान कर सके होते। हालांकि उन्होंने अपनी पोस्ट में इस घोषणा को तुगलकी फरमान करार दिया था। लेकिन शायद उन्हें इस बात का अहसास था कि त्रिवेंद्र सरकार उनके ही सियासी तीर का इस्तेमाल कर सकती है।

त्रिवेंद्र ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा करके हरदा के तरकश से एक सियासी तीर निकाल कर ही निशाना साधा है।

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