NATIONALUTTARAKHAND

वन मुख्यालय में हलचल क्यो, जानते है पूरी खबर…………

टाइगर सफारी निर्माण के मामले में विजिलेंस के अधिकारियों ने लगातार तीसरे दिन भी वन मुख्यालय में डेरा डाले रखा।  तो आईएफस अफसरों से लगातार की जा रही पूछताछ के बाद वन मुख्यालय में जांच को लेकर काफी हलचल है।बता दे की कालागढ़ टाइगर रिजर्व के पाखरो में वित्तीय और प्रशासनिक अनुमति मिलने से पहले टाइगर सफारी का निर्माण शुरू करने का आरोप है। तो कार्य के दौरान मिलीभगत कर तय संख्या से अधिक पेड़ काटे गए और बफर जोन में पक्के निर्माण कर दिए गए। इस मामले में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की टीम ने भी स्थलीय निरीक्षण किया है। 



 तो शिकायतों के सही पाए जाने पर एनटीसीए ने जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद सबसे पहले पाखरो के वन क्षेत्राधिकारी को निलंबित कर दिया गया, जबकि तत्कालीन कॉर्बेट निदेशक को मुख्यालय से संबद्घ कर दिया गया था।

 राजीव भरतरी और अन्य से पूछताछ


 तो वही सोमवार को इस मामले में विजिलेंस वन मुख्यालय पहुंची, जहां टीम ने प्रमुख वन संरक्षक पीसीसीएफ विनोद कुमार सिंघल से अकेले में करीब साढ़े चार घंटे पूछताछ की। इसके बाद चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन डॉ. समीर सिन्हा से भी पूछताछ की गई। वहीं दूसरे दिन पूर्व पीसीसीएफ (हॉफ) राजीव भरतरी और अन्य से पूछताछ की गई। तो तीसरे दिन कार्बेट टाइगर रिजर्व के पूर्व निदेशक राहुल और अन्य को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। बताते चलें कि नवंबर 2020 में जब पाखरो टाइगर सफारी का काम शुरू हुआ था, उस वक्त विनोद कुमार सिंघल प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव और जेएस सुहाग मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के पद पर कार्यरत थे। 



वन मुख्यालय में विजिलेंस की टीम वन अफसरों से बंद कमरे में पूछताछ कर रही है, जबकि बाहर का माहौल हलचल भरा बना हुआ है। हालांकि कोई भी इस मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं है। तो मामले की कड़ियों को जोड़ने के लिए विजिलेंस की ओर से वन अफसरों से अलग-अलग पूछताछ की जा रही है,

उपस्थित हुए उत्तराखंड के अफसर 


 बता दे की पाखरो मामले में दो दिन पहले नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय उच्चाधिकार प्राप्त समितिइस मामले में सुनवाई कर चुकी है। तो  इसमें प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. समीर सिन्हा ने समिति के समक्ष उपस्थित होकर मामले में अब तक की गई कार्रवाई का ब्योरा रखा।  बताया जा रहा है कि उत्तराखंड के अफसरों की ओर से सीईसी को करीब दो हजार पन्नों की रिपोर्ट सौंपी गई, लेकिन, सीईसी की ओर से पूर्व में उपलब्ध कराए गए अभिलेखों के मद्देनजर कुछ और अभिलेख तलब किए गए हैं।

Related Articles

Back to top button
Translate »