-दिल्ली की तर्ज पर क्या उत्तराखण्ड की सरकार भी करेगी पहल
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । पिछले 19 वर्षों से मालिकाना हक की बाट जोह रही उत्तराखण्ड की मलिन बस्तियों को आखिर कब मालिकाना हक मिलेगा यह बड़ा सवाल चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं दिल्ली की तर्ज पर क्या प्रदेश सरकार भी मलिन बस्तियों को मालिकाना हक देने की पहल करेगी।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड में मलिन बस्तियों को मालिकाना हक देने की मांग लंबे समय से उठती आई है। इस मामले में कांग्रेस सरकार ने सन 2016 में मलिन बस्ती पुनर्वास एवं सुधार समिति का गठन किया था जिसने मलिन बस्तियों को नियमित किए जाने की रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी थी।
वहीं देहरादून नगर निगम के तत्कालिन मेयर एवं धर्मपुर से विधायक विनोद चमोली ने भी इस और कदम बढ़ाए थो। बता दें कि दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वालों लोगों को बड़ा तोहफा मिलने जा रहा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली की सभी अनधिकृत कॉलोनियां को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। इससे करीब 60 लाख की आबादी को सीधा फायदा होगा। नियमित होने के बाद कॉलोनियों में रजिस्ट्री हो सकेगी। लोगों को उनके मकान का मालिकाना हक मिलेगा।
मुख्यमंत्री केजरीवाल का कहना है कि दो नवंबर, 2015 को दिल्ली कैबिनेट ने कॉलोनियों को नियमित करने का एक प्रस्ताव पास किया था। 12 नवंबर को इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेज दिया गया था। बीते दिनों केंद्र सरकार से जवाब मिल गया है। केंद्र ने दिल्ली के प्रस्ताव पर सहमति जताई है। दिल्ली में सरकारी व निजी जमीन पर बसीं सभी 1797 कॉलोनियां नियमित होंगी। इसके लिए कट ऑफ डेट एक जनवरी 2015 तक की गई है। इससे पहले दिल्ली की पूरी बसावट को मौजूदा प्रक्रिया के तहत नियमित किया जाएगा। अब तक कच्ची कॉलोनी में कभी कोई विकास कार्य नहीं हुआ था।
केजरीवाल का दावा है कि दिल्ली में आप की सरकार बनने पर बड़े पैमाने पर कॉलोनियों में विकास का काम शुरू किया गया। सड़क, नाली, गलियों आदि के निर्माण पर करीब 3,500 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसके अलावा करीब 2,500 करोड़ रुपये से इन कॉलोनियों में पानी और सीवर की लाइन डालने का काम चल रहा है।
वहीं इस मामले में केंद्र सरकार की अपनी दलील है। इस मामले में केंद्रीय आवास व शहरी कार्य मंत्रालय अधिकारियों का कहना है कि अनाधिकृत कालोनियों को नियमित करने की संभावना तलाशने के लिए चुनाव से पहले उपराज्यपाल की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने 90 दिन के भीतर अपनी सिफारिशें दे दी हैं। इसके आधार पर मंत्रालय इस मसले पर कैबिनेट नोट तैयार किया है। इसका एक प्रस्ताव मंजूरी के लिए दिल्ली सरकार केे भेज दिया गया है। दिल्ली से जवाब मिलने के बाद केंद्र सरकार आगे बढ़ेगी।