UTTARAKHAND

एक खबर ऐसी भी : किसी भी तरह की हिंसा की शिकार महिलाओं को एक ही जगह मिलेगी सारी सहायता

हिंसा की शिकार महिलाओं अब थाने, कोर्ट-कचहरी,अस्पताल आदि जाने की नहीं होगी जरुरत

देहरादून के बाद अब राज्य के अन्य जिलों में  जल्द शुरू करेंगे कार्य 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

OSC (वन स्टॉप सेंटर) पर मिलेगीं यह सुविधाएं 

सेंटर एडमिनिस्ट्रेटर-1,

केस वर्कर-दो,

पैरा लीगल-1,

काउंसलर-1,

पैरामेडिकल-2,

आइटी स्टाफ-2,

पुलिस फेसिलिटेशन अफसर (पीएफओ)-1,

एडवोकेट (फौजदारी)-1,

मल्टी परपज स्टाफ-दो,

सिक्योरिटी गार्ड-2

देहरादून ।  मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर उत्तराखंड में घरेलू या अन्य तमाम तरह की हिंसा का शिकार होने वाली महिलाओं अब थाने, कोर्ट-कचहरी,अस्पताल आदि जाने की जरुरत नहीं होगी। ऐसी महिलाओं को अब तुरंत राहत मिलेगी वह भी एक ही स्थान पर। राज्य सरकार ने ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई को सभी 13 जिलों में वन स्टॉप सेंटर (OSC) सक्रिय करने जा रही। अस्थायी राजधानी दून में यह केंद्र शुरू हो चुका है जबकि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद राज्य के अन्य जिलों में  यह केंद्र कार्य करने शुरू कर देंगे । 

प्राप्त जानकारी के मुताबिक इन केंद्रों पर पीड़ित महिलाओं को तुरंत पुलिस सुरक्षा, अस्पताल, विधिक मदद, काउंसलिंग मुहैया कराई जाएगी। इतना ही नहीं यदि जरूरत पड़ी तो पीड़िता इन केंद्रों पर रात्रि में पूरी सुरक्षा के साथ ठहरने की भी पूरी व्यवस्था की गयी है ।

गौरतलब हो कि दिल्ली में निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार की ओर से देश के सभी राज्यों को OSC  खोलने के लिए कहा जाता रहा है। इसी निर्देश के बाद उत्तराखंड राज्य में इसको खोलने की कवायद शुरू की गयी और देहरादून में OSC बनकर अपने भवन में शिफ्ट चुका है। राज्य सरकार इस केंद्र को अब प्रदेश के अन्य जिलों में सक्रिय करने जा रहा है। 

उल्लेखनीय है कि OSC खुलने से महिलाएं घरों, सार्वजनिक स्थानों, कार्य स्थलों में शारीरिक, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक शोषण, उत्पीड़न या हिंसा, एसिड अटैक जैसे मामलों में तुरंत सेंटर से संपर्क साध सकेंगी। सेंटर से संपर्क करने के बाद उन्हें इसी स्थान पर तमाम तरह की सहायता मुहैया कराई जाएगी। अधिकारियों के अनुसार पीड़िता को खुद कहीं जाने की आवश्यकता नहीं होगी। सेंटर के जरिये उन्हें हर प्रकार की मदद केंद्र पर ही मिल सकेगी। इतना ही नहीं पीड़िता को विभिन्न स्तर पर मदद हिंसा का शिकार महिलाओं को जरूरत के मुताबिक उपचार भी यहीं पर उपलब्ध होगा।

ऐसे केंद्रों पर भय से मुक्ति के साथ में हिंसा करने वालों से निपटने के लिए काउंसलिंग भी दी जाएगी। पुलिस फेसिलिटेशन अफसर यानी पीएफओ सुरक्षा तो फौजदारी अधिवक्ता कानूनी मदद मुहैया कराएंगे। इस कार्य के लिए ओएससी में एक सेंटर एडमिनिस्ट्रेटर समेत 14 कार्मिकों का स्टाफ होगा। अभी देहरादून और ऊधमसिंह नगर जिलों में ही ओएससी में पूरा स्टाफ तैनात है। शेष जिलों में स्टाफ की तैनाती की कार्रवाई तेज की जा रही है। महिला और बाल विकास सचिव सौजन्या ने बताया कि महिला सशक्तीकरण के लिए ओएससी को सक्रिय किया जा रहा है। 

उत्तरकाशी, टिहरी, रुद्रप्रयाग और बागेश्वर जिलों में ओएससी सक्रिय नहीं हैं। वहां काफी कम स्टाफ की तैनाती हो सकी है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की आचार संहिता हटने के बाद कई ओएससी में स्टाफ की तैनाती हो जाएगी। अधिकारियों के अनुसार प्रत्येक सेंटर के लिए केंद्र से 30 लाख रुपये की राशि राज्य को मिलनी है। कई जिलों में इन सेंटर के लिए अस्थायी भवनों की व्यवस्था की गई है। 

अधिकारियों के अनुसार हिंसा से पीड़ित महिला की जानकारी मिलने पर इमरजेंसी रिस्पांस के तहत उसे बचाया जाएगा, इसके लिए पुलिस के वाहन या 108 सेवा की मदद ली जा सकेगी। हिंसा का शिकार महिला का नजदीकी अस्पताल में इलाज या चिकित्सा सहायता। ओएससी एफआइआर दर्ज कराने, काउंसलिंग, कानूनी मदद, आश्रय भी दिया जाएगा।

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