ELECTION

उत्तराखंड के मूड के बिना नहीं बनती केंद्र में सरकार !

  • मतदाताओं का यही मिज़ाज़ रहता है या कुछ और बदलाव होगा ?

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून । पिछले दो लोकसभा चुनावों के  रिकॉर्ड ने अभी तक तो यही प्रदर्शित किया है कि उत्तराखंड भले ही देश के मूड के साथ चलता है लेकिन देश में उसी दल की सरकार अस्तित्व में आती है जिस  दल को उत्तराखंड बहुमत से सांसद देता है। उत्तराखंड  में हुए पिछले दो लोक सभा चुनावों के आये नतीजों पर यदि नज़र दौड़ाई जाय तो यहां की जनता ने वर्ष 2009  में हुए लोक सभा चुनाव में कांग्रेस  को तो वर्ष 2014 में भाजपा को पांचों सीटें दी थी। अब यह देखना होगा कि आसन्न लोकसभा  चुनाव में 2019 में प्रदेश में मतदाताओं का यही मिज़ाज़ रहता है या कुछ और बदलाव होगा ?

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड राज्य की पांचों सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच जबरदस्त कांटे की टक्कर थी। तत्कालीन समय में सूबे  में भाजपा की सरकार थी और मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी के नेतृत्व में पार्टी तथा मंत्रियों ने अपने प्रत्याशियों को जिताने में पूरी ताकत झोंक दी थी। चुनाव का परिणाम आया तो भाजपा को बड़ा झटका लगा। पांचों सीट कांग्रेस के खाते में क्या चली गई कि सूबे में पार्टी को प्रदेश का मुख्यमंत्री तक बदलना पड़ा था। इस चुनाव के बाद देश में फिर से मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी। 

इसके बाद वर्ष 2014 में पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी और उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं रहा। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लोकसभा चुनाव जीतने के लिए दिनरात एक कर दिया था। मुख्यमंत्री हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत हरिद्वार से तो पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे साकेत बहुगुणा टिहरी सीट से चुनाव लड़ रहे थे। कांग्रेस के कद्दावर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत पौड़ी गढ़वाल सीट से उम्मीदवार थे। भारी-भरकम उम्मीदवार होने के बाद भी  प्रदेश से कांग्रेस का पत्ता साफ हो गया  और  उत्तराखंड की पांचों सीटें भाजपा की झोली में आई और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने।

अब यह तीसरा चुनाव का महासंग्राम चल रहा है। देश की जनता का मूड क्या है और वह किसे देश की सत्ता सौंपने जा रही है, इसका पता चुनाव परिणाम के दिन ही चलेगा लेकिन इतना तय है कि देश का मूड और मुद्दे उत्तराखंड के मतदाताओं का मिज़ाज़ क्या गुल खिलायेगा यह तो 23 मई को ही पता चल पायेगा कि उत्तराखंड में जिसकी सरकार होती है वही पांचों लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त करेगा या परिणाम बेहद ही चौंकाने वाले होंगे। 

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