देहरादून : उत्तराखंड में हुए एनएच-74 घोटाले की सीबीआइ जांच को लेकर केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गड़करी की ओर से भेजे गए पत्र से सरकार में हड़कंप मचा हुआ है। मीडिया के जरिये सामने आए पत्र से ऐसा लगा कि केंद्र इस मामले में किसी भी अधिकारी पर कार्यवाही नहीं चाहता।
हालांकि, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह मामला नेशनल हाइवे अधिकारियों से नहीं जुड़ा है। नेशनल हाइवे प्राधिकरण एक फंडिंग एजेंसी है। राजस्व से जुड़े अधिकारियों ने जैसा कहा उन्होंने वैसा किया है। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार इस मामले में जांच के लिए सीबीआइ को संस्तुति भेज चुकी है।
केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की ओर से हाल में एक पत्र राज्य सरकार को भेजा गया। इस पत्र में उन्होंने इस मामले में एफआइआर दर्ज किए जाने और इसकी सीबीआइ जांच पर चिंता जताई थी। इससे यह कयास लगाए जाने लगे कि कहीं इस पत्र का अर्थ यह तो नहीं कि केंद्र इस मामले की सीबीआइ जांच नहीं चाहता।
सचिवालय पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस पत्र को लेकर स्थिति स्पष्ट की। मुख्यमंत्री के मुताबिक पत्र में कहा गया है कि ऐसे काम से एनएच के अधिकारियों के मनोबल पर फर्क पड़ेगा। एनएच का काम किसानों को मुआवजा प्रदान करना है। मामले की उच्च स्तरीय जांच के संबंध में उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही इसकी सीबीआइ की संस्तुति कर चुकी है।
सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि राज्य के धन का दुरुपयोग हुआ है। दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। जल्द ही केंद्र को सीबीआइ जांच के लिए तीसरा रिमाइंडर भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि जांच बदलने का कोई विचार नहीं है, सीबीआई से ही मामले की जांच कराई जाएगी।
केंद्रीय मंत्री से मिले थे एनएच अधिकारी
सूत्रों की मानें तो हाल ही में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की थी। इसमें उन्होंने मामले में राष्ट्रीय राजमार्ग का नाम सामने आने पर आपत्ति दर्ज की थी।
इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री की ओर से राज्य सरकार को पत्र भेजा गया। पत्र में सरकार को सुझाव दिया गया था कि इस मामले से प्राधिकरण के अधिकारियों का कोई लेना देना नहीं है, इसलिए उनके नाम को न घसीटा जाए। इससे उनका मनोबल प्रभावित होता है।
यह था NH -74 का मामला
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के ऊधमसिंह नगर जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-74 के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहित की गई जमीन में मुआवजे के नाम पर भारी घोटाला हुआ था। प्रदेश में विधानसभा चुनाव आचार संहिता के दौरान कमिश्नर कुमाऊं ने इस घोटाले का खुलासा किया था। इसके बाद यह जांच एसआइटी को भी सौंपी गई।
भाजपा ने सरकार बनाने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में इस मामले में आरोपी छह पीसीएस अधिकारियों को निलंबित करते हुए एक अन्य सेवानिवृत एसडीएम को भी इसमें आरोपी बनाया। इसके बाद एक और एसडीएम को मामले में आरोपी बनाया गया, लेकिन उस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। सरकार ने इस मामले में सीबीआइ जांच की संस्तुति करते हुए केंद्र को पत्र लिखा था। इस पर अभी तक केंद्र से कोई जवाब नहीं मिला है।
कांग्रेस ने लपका मुद्दा, मुश्किल में भाजपा
एनएच-74 चौड़ीकरण मुआवजा घपले के संबंध में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के पत्र ने राज्य सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे सरकार और सत्तारूढ़ दल भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मुद्दे को लपक लिया है। पार्टी सड़क से सदन तक सरकार की घेराबंदी में जुट गई है।
नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने आरोप लगाया कि 500 करोड़ के घपले पर केंद्र और राज्य सरकार का रुख बड़ी मछलियों को बचाने का है।
एनएच-74 मुआवजा घपले की सीबीआइ जांच की सिफारिश कर चुकी राज्य सरकार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के पत्र ने प्रदेश की सियासत को गर्मा दिया है। ऊधमसिंह नगर जिले में एनएच-74 चौड़ीकरण मुआवजा प्रकरण की प्रारंभिक जांच में अब तक 250 करोड़ का घपला सामने आ चुका है। माना जा रहा है कि विस्तृत जांच में यह घपला और बड़ा हो सकता है।
इसे देखते हुए राज्य सरकार इसकी सीबीआइ जांच की सिफारिश केंद्र सरकार से कर चुकी है। इस संबंध में रिमाइंडर भी केंद्र को भेजे गए। पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान इस चर्चित मसले को भाजपा ने भी विधानसभा चुनाव के दौरान भुनाने में कसर नहीं छोड़ी थी।
यह दीगर बात है कि भाजपा की सरकार बनने के बाद इस मसले पर कांग्रेस ने जवाबी हमला तेज करते हुए विधानसभा में भी हंगामा किया था। अब गडकरी के पत्र ने कांग्रेस को सरकार के खिलाफ सियासी हथियार थमा दिया है। सरकार अगले माह जून में बजट सत्र आहूत करने जा रही है। सत्र से पहले इस मुद्दे पर सदन का एक बार फिर गर्माना तय है।
नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि सीबीआइ जांच की सिफारिश को केंद्र का नजरअंदाज करना केंद्र और राज्य की सरकारों की नीयत पर सवाल खड़े कर रहा है। 500 करोड़ के घपले को हल्के में लिया जा रहा है। इस मसले को सदन में पुरजोर तरीके से उठाया जाएगा। सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर वह किसे बचाना चाह रही है।
उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें एनएच घोटाले में लिप्त नेताओं और अधिकारियों को बचाने का काम कर रही हैं। स्पष्ट है कि कांग्रेस की ओर से लगाए गए आरोप सही हैं। पार्टी ने इस घोटाले को सदन व सदन से बाहर मजबूती के साथ उठाया था।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस मात्र एक शिगूफा बनकर रह गया है। घोटाले में लिप्त नेताओं और अधिकारियों को पारितोषिक देकर मलाईदार पदों पर नियुक्ति करने का काम किया जा रहा है। ये जाहिर हो रहा है कि प्रदेश और केंद्र सरकार निश्चित रूप से किसी बड़ी मछली को बचाना चाहती है। कांग्रेस देहरादून महानगर अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौहान ने कहा कि इस मसले पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।