VIEWS & REVIEWS

देश की मजबूती,अखंडता के लिए समय की माँग…..

चीन को कूटनीतिक एवं आर्थिक रूप से तोड़ने की शुरुआत हो चुकी

हेमा उनियाल
कहा जाता है …”यदि कोई व्यक्ति स्वभाव से दुष्ट है तो विद्या का प्रयोग विवाद में,धन का प्रयोग घमंड में और ताकत का प्रयोग दूसरों को तकलीफ देने में करता है।” इस विचार को कुछ मायनों में चीन के संदर्भ में भी देखा जा सकता है।
भारत ,चीन के साथ सीमा पर विगत 45 वर्षों से, जिस उदारता को निभाता आ रहा था उसे पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में, चीनी सेना के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए 20 भारतीय जवानों की शहादत ने ध्वस्त कर दिया।अपने 20 जवानों की शहादत से भारतीय जनता ,हम सभी बेहद आहत एवं आक्रोशित हैं।पूर्व के इतिहास को इस वक्त छोड़ भी दें फिर भी दशकों से चीन से लगी सरहद पर शांति थी ,जिसे अपने रवैये से चीन ने ही सर्वप्रथम भंग किया।
अब सुखद पहलू यह है कि चीन को कूटनीतिक एवं आर्थिक रूप से तोड़ने की शुरुआत हो चुकी है ,जिनमें 59 चीनी एप का प्रतिबंधित होना,राजमार्ग परियोजनाओ में चीनी कंपनियों को ठेके के लिए आवेदन करने की अनुमति न देना,BSNLऔर MTNL द्वारा 4जी टेंडर रद्द कर देना आदि। इसी के तहत रेलवे द्वारा चीनी कंपनी का 471 करोड़ रुपये का करार रद्द कर देना वहीं कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी)द्वारा पांच सौ चीनी उत्पादों के बहिष्कार की सूची जारी कर देना भी रहा है। बहिष्कार की और भी खबरें दिन प्रतिदिन आ रही हैं।किसी गलत राह पर जा रहे देश को सही रास्ता बताने का यह सबसे कारगर उपाय है कि आर्थिक और कूटनीतिक रूप से उसे सर्वप्रथम गिराया जाए।
चीन को नीतिगत एवं आर्थिक रूप से कमजोर करने का एक जवाब यह भी हो सकता है कि भारत अपने रिश्ते अमेरिका,जापान,फ्रांस,दक्षिण कोरिया जैसे लोकतंत्रों के साथ खूब मजबूत बनाये।
भारत की ओर से एक कड़ा संदेश इस वक्त यह भी है कि, वह मित्रता करना जानता है तो सबक सीखाना भी जानता है।कोई भी देश भ्रम एवं संदेह की स्थिति में न रहे।
जिस देश की रक्षा,सुरक्षा को लेकर सीमा पर तनाव हो,देश कोविड-19 जैसे वायरस से जूझ रहा हो,उस स्थिति में देश को लेकर सबका एकजुट होना इस समय की बड़ी जरूरत है।हमारे देश के जवानों की शहादत को भी इससे निश्चल सम्मान मिलेगा।

Related Articles

Back to top button
Translate »