गंगा में न्यायालय के आदेश के बाद राफ्टिंग बंद होने से लौटे हज़ारों पर्यटक

- प्रशासन ने बंद करवाई अवैध रूप से चलती राफ्ट
- न्यायालय के अग्रिम आदेशों तक राफ्ट गंगा में न उतारने की दी हिदायत
- अब तक लगभग 5 हज़ार से ज्यादा वापस लौट चुके हैं पर्यटक
- प्रदेश में राफ्टिंग और पैराग्लाइडिंग पर हाई कोर्ट ने लगाई है रोक
ऋषिकेश: गंगा नदी में राफ्टिंग सहित पैरा ग्लैडिंग के लिए नियम व कानून बनाने के नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश के बाद कौडियाला से ऋषिकेश तक गंगा नदी में प्रशासन ने राफ्टिंग पर रोक लगा दी है। प्रशासन द्वारा राफ्टिंग रोकने के यह आदेश अगले आदेशों तक जारी रहेगा। रविवार होने के कारण जहाँ कौडियाला, शिवपुरी , ब्रह्मपुरी और ऋषिकेश में राफ्टिंग करने वाले पर्यटकों के हाथ यहाँ पहुंचकर निराशा तब हाथ लगी जब उन्हें वहां न्यायालय के आदेशों का पता चला। राफ्टिंग का व्यवसाय करने वाले गढ़वाल हिमालयन एक्सप्लोरेशन के प्रबंध निदेशक राजीव तिवारी ने बताया कि शनिवार को आदेश के बाद अब तक लगभग 5 हज़ार से ज्यादा पर्यटक वापस लौट चुके हैं।
गौरतलब हो कि पिछले दिनों ऋषिकेश निवासी हरिओम कश्यप ने हाई कोर्ट नैनीताल में डाली गयी एक जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार ने 2014 में भगवती काला व विरेंद्र सिंह गुसाई को राफ्टिंग कैंप लगाने के लिए कुछ शर्तों के साथ लाइसेंस दिया था। याचिका में विपक्षीगणों की ओर से शर्तों का उल्लंघन करते हुए राफ्टिंग के नाम पर गंगा नदी के किनारे कैंप लगाने शुरू कर दिए गए। साथ ही उस कैंप में गंगा के किनारे असमाजिक कार्य भी किए जाने लगे।
याचिका में कहा गया है कि कैंप की आड़ में गंगा गंगा नदी किनारे मांस, मदिरा का सेवन, डीजे बजाना, बाथरूम का मुहाना नदी में खोलना और कूड़ा कचरा नदी में बहाया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने इस संबंध में कुछ फोटोग्राफ याचिका के साथ हाई कोर्ट को दिए हैं। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिए हैं कि वे नदी के किनारे रीजनेबल फीस चार्ज किए बिना लाइसेंस जारी नहीं कर सकती और खेल गतिविधियों के नाम पर अय्याशी करने की स्वीकृति भी नहीं दे सकती।
कोर्ट ने कहा कि सरकार द्वारा राफ्टिंग कैंप को नदी किनारे स्वीकृति दी गई है। जिससे नदियों का पर्यावरण दूषित हो रहा है। साथ ही राफ्टिंग के नाम पर लांचिक प्वाइंट पर ट्रैफिक जाम की स्थिति बन रही है। छोटी-छोटी राफ्ट को बड़ी-बड़ी गाड़ियों को ढोया जा रहा है। इस प्रकार की गतिविधियों की स्वीकृति नहीं देनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि राफ्ट को गाड़ियों के बजाय मानव शक्ति द्वारा ले जाया जाए।
वहीँ याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने प्रदेश में राफ्टिंग और पैराग्लाइडिंग पर रोक लगाई है। अदालत ने कहा कि साहसिक खेलों के लिए सरकार पहले नियमावली बनाए, इसके बाद ही ऐसे खेल शुरू कराए जाएं। अदालत के आदेश के बाद टिहरी की जिलाधिकारी सोनिका ने नरेंद्रनगर के एसडीएम को ऋषिकेश भेजा था।
राफ्टिंग बंद होने से जहाँ पर्यटकों को मायूस लौटना पड़ा तो वहीँ इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के सम्मुख रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। राफ्टिंंग के प्रमुख केंद्र मुनिकीरेती, कौडियाला में राफ्टिंग करवाने वाली कंपनियों ने अपनी-अपनी राफ्ट को नदी से निकाल कैंपों रखने को मजबूर हो गए हैं। वहीँ उच्च न्यायालय के आदेशों के पालन करने को रविवार को पुलिस और प्रशासन की टीम ने नीमबीच, शत्रुघ्न घाट और खारास्रोत में चली रहीं राफ्टों को रोक दिया गया और उन्हें अग्रिम आदेशों के आने तक गंगा में राफ्ट न उतारने की हिदायत दी है।
वहीँ दूसरी ओर राफ्टिंग कारोबार से जुड़े लोगों ने रविवार को तपोवन में ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर जाम लगाकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार पर्यटन व्यवसाय से जुड़े हजारों लोगों की पैरवी नहीं कर रही है। इससे 22 हजार लोगों की रोजी पर संकट खड़ा हो गया है। उनका कहना है कि सरकार की उदासीनता राफ्टिंग व्यवसाय से जुड़े लोगों पर भारी पड़ रही है। साहसिक खेलों को लेकर नियमावली न होने से अदालत ने राफ्टिंग समेत ऐसे खेलों पर रोक लगा दी है। इससे अकेले ऋषिकेश क्षेत्र में 22 हजार लोगों का रोजगार प्रभावित है। उनके अनुसार ऋषिकेश में 281 कंपनियां राफ्टिंग व्यवसाय से जुड़ी हैं। ये कंपनियां यहाँ 600 राफ्ट संचालित करती हैं। इनमें गाइड और चालक और अन्य सहायकों के रूप में 7000 कर्मचारी और 15 हजार अप्रत्यक्ष तौर रोगार से पर जुड़े हुए हैं।