चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुई सोनिया आनंद रावत ने अपनी हार का जिम्मा कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के मत्थे मढ़ दिया है। सोनिया आनंद ने अपने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा है जिसमें देंवेद्र यादव पर कई सवाल खड़े किए गए हैं।
सोनिया आनंद ने अपनी पोस्ट के जरिये आरोप लगाया है कि कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव उन लोगों में से हैं जो दिल्ली से आते हैं और उत्तराखंड को लूट के निकल जाते हैं। अपनी पोस्ट में सोनिया आनंद ने देवेंद्र यादव को इंगित करते हुए लिखा है कि देवेंद्र यादव हो तो आप हारे हुए विधायक ही लेकिन,घमंड आपका प्रधानमंत्री से भी ऊपर दर्जे का है। आपको मुंह की खानी पड़ी।
सोनिया आनंद ने देवेंद्र यादव के लिए लिखा कि आपने उत्तराखंड की राजनीति में कांग्रेस का बेड़ा गर्क करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मुझे यह लिखने में जरा सी भी हिचक नहीं हो रही कि आप महा झूठे इंसान हैं। क्या आपने मुझे कांग्रेस जॉइन करने का ऑफर किया, अन्यथा सोनिया आनंद अपने में सक्षम थी है और रहेगी आप जैसे नेताओं के पीछे घूमने की आवश्यकता मुझे कभी नहीं थी और जनता बहुत समझदार है।
जनता ने आप का बोरिया बिस्तर बांध ही दिया। आपने मुझे कांग्रेस ज्वाइन कराई। लेकिन आज तक मुझे कांग्रेस का ज्वाइनिंग लेटर तक नहीं मिला आपने मुझसे गीत बनवाया, जिस गीत को बनाने में मेरा काफी समय खर्च हुआ। उसके बाद आपने उस गीत को रिलीज तक नहीं होने दिया। केवल इसलिए कि मैं आपकी जी हुजूरी करूं । माफ कीजिए यादव जी मैं कलाकार हूं और आप जैसे लोगों की लाइन मेरे पीछे बहुत लंबी लगती है।
सोनिया आनंद ने कहा प्रियंका से मिलना होगा या मोदी जी से मिलना होगा तो मुझे आप जैसे लोगों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। दुर्भाग्य है उत्तराखंड का कि आप जैसे लोग दिल्ली से आ कर के उत्तराखंड को लूट कर निकल जाते हैं और सुना है आपकी अपनी दुकान तो अच्छी चल गई। लेकिन, उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी का बेड़ा गर्क करने में आपकी सहभागिता को भुलाया नहीं जा सकेगा। उन्होंने लिखा है कि चुनाव कुछ समय पहले प्रभारी देवेंद्र यादव और प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल की उपस्थिति में उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की थी।
सबसे बड़ी बात यह है कि सोनिया आनंद रावत ने अपनी इस पोस्ट में प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, सोनिया गांधी, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और गणेश गोदियाल के साथ साथ हरक सिंह रावत को भी टैग किया है।
कांग्रेस को कल के आये हुए लोग इस तरह से बेइज्जत कर रहे ये सबक है कांग्रेस के बड़े बड़े नेताओं के लिए कि जमीनी कार्यकर्ता को नजरअंदाज कर बाहरी व्यक्ति को कांग्रेस में लाकर सिर पर बैठा देने का नतीजा क्या होता है।