UTTARAKHAND

सीमांत सड़कों की अधिकतम चौड़ाई का मामला तय होने के करीब

रक्षा मंत्रालय ने चाही 7 मीटर चौड़ी सड़क : सर्वोच्च न्यायालय ने दिए मानक तय करने के निर्देश

रमेश पहाड़ी 
रुद्रप्रयाग । चारधाम परियोजना में 12 मीटर चौड़ी सड़क बनाने के केंद्र सरकार के फैसले पर अनिश्चय के बादल छँटने का रास्ता सर्वोच्च न्यायालय ने दिखा दिया है। गत 2 दिसम्बर को रक्षा मंत्रालय के इस शपथ-पत्र, कि सीमा की सुरक्षा के दृष्टिगत उसे 7 मीटर चौड़ी सड़क की आवश्यकता है और गंगोत्री, माणा और टनकपुर राजमार्ग इस मानक के हिसाब से बनने दिये जायें, सर्वोच्च न्यायालय ने हाई पावर कमेटी को 2 सप्ताह में इस सम्बंध में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
हिमालयी क्षेत्रों की कमजोर भूसंरचना को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 2018 में स्वयं पहाड़ों में कोलतार वाली सड़कों की अधिकतम चौड़ाई 5.5 मीटर रखने का मानक तय किया था। इसके बाद भी कुछ लोगों की सलाह पर सड़क परिवहन मंत्रालय ने 10 मीटर ब्लैक टॉप सड़कों के निर्माण का प्रस्ताव प्रधानमंत्री को दिया। इसमें पूर्व निर्धारित चौड़ाई का हवाला नहीं दिया गया और प्रधानमंत्री ने ऑल वेदर रोड के नाम पर इसकी घोषणा कर दी। इसी परियोजना को चारधाम परियोजना के नाम से संचालित किया गया और फटाफट निर्माण कार्य भी आरम्भ किये गए। जब पर्यावरण के जानकारों ने इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाया तो उस पर लीपापोती होने लगी। मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँचा तो तथ्यों की पड़ताल व काफी बारीकी से विचार करने के लिए उसने पर्यावरणविद डॉ. रवि चोपड़ा की अध्यक्षता में एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति (हाई पावर कमेटी – एच पी सी) गठित की। समिति ने काफी दौड़भाग व विचार-विमर्श के बाद अपनी रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत की, जिसमें ध्यान दिलाया गया कि इसमें रा राजमार्ग प्राधिकरण के निर्धारित मानकों का ही उल्लंघन किया जा रहा है।
रा. राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा 2018 में निर्धारित मानकों से उच्च स्तर को अनभिज्ञ रखने की गलती से ध्यान हटाने के लिए कुछ लोगों ने मोर्चा खोल दिया और समिति के कुछ सदस्यों सहित एक खेमे ने इसे विकास-विरोधी बताने की एक सुनियोजित होड़ शुरू कर दी। इस दौरान पर्यावरणवादियों और अधिक चौड़ी सड़कों को हिमालय की सेहत के लिए खतरा बताने वाले लोगों को विकास का दुश्मन तक बताया गया। कुछ अतिज्ञानियों ने इसे तोपों को सीमा तक पहुँचाने में बाधा भी करार दिया, बिना यह जाने कि देश में बड़े वाहनों की अधिकतम चौड़ाई 2.8 मीटर से अधिक रखने का मानक ही नहीं है! इस सबसे अप्रभावित सर्वोच्च न्यायालय ने 8 सितंबर 2020 को निर्णय दिया कि 2018 के निर्धारित मानक के अनुसार सड़कों की चौड़ाई केवल 5.5 मीटर (ब्लैक टॉप) और नाली व फुटपाथ तक सीमित रखी जाय। इसके अलावा जो पहाड़ काटे गए हैं, उनमें वृक्षारोपण किया जाय। इस पर अगली सुनवाई 2 दिसम्बर 2020 को हुई।
इसमें रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सीमा की जरूरतों की पूरा करने के लिए 7 मीटर चौड़ी सड़कों की आवश्यकता है। मंत्रालय ने तीनों सीमांत सड़कों का नामोल्लेख करते हुए न्यायालय से निवेदन किया कि इन सड़कों की पक्की चौड़ाई 7 मीटर रखने की अनुमति दी जाय, जिसे न्यायालय ने आपसी सहमति से तय कर 2018 के मानकों को इस सीमा तक संशोधित कर प्रस्ताव न्यायालय में प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं। उसके बाद उस पर अंतिम निर्णय आने की आशा है।
इससे साफ हो गया है कि सैन्य आवश्यकताओं वाली 3 सड़कों को 7 मीटर ब्लैक टॉप करने की माँग स्वीकार हो सकती है, जबकि अन्य सड़कों की चौड़ाई 5.5 मीटर ही रहेगी। इन सब तथ्यों को गहराई से समझने और न्यायालय के समक्ष मजबूती से रखने के लिए हाई पावर कमेटी के विशेषज्ञों के प्रयासों की प्रशंसा की जा रही है।

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