Uttarakhand

दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारियों का धरना जारी

आंदोलनकारियों को उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी का दर्जा दिया जाए

देहरादून। चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति का आंदोलनकारियों को चिन्हित किये जाने की मांग को लेकर धरना जारी है। समिति से जुड़े आंदोलनकारी शहीद स्मारक स्थल पर इकट्ठा हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। 

समिति से जुडे़ आंदोलनकारियों द्वारा मांग की गयी है कि दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ राज्य आंदोलनकारियो व आश्रितों को दिया जाये। सभी राज्य आंदोलनकारियों को ससम्मान एक समान पेंशन के दायरे में लाया जाये। आज तक जारी शासनादेश सख्ती से लागू करने के निर्देश जारी किये जायें। परिवहन निगम की बसों में आंदोलनकारियों के आश्रितों को भी निशुल्क यात्रा की सुविधा दी जाये। राज्य आंदोलन की गरिमापूर्ण ऐतिहासिक भूमिका को समझते हुए राज्य आंदोलनकारियों की इन मांगों पर शीघ्र नीतिगत निर्णय लिये जायें। उनका कहना है कि सरकार उनके हितों के लिए गंभीर नहीं दिखाई दे रही है जिसके लिए जनांदोलन किया जायेगा।

जिलाधिकारी कार्यालय में आंदोलनकारियों की पेंशन का ड्राफ्ट आने के बाद भी आज तक आंदोलनकारियों के खाते में नहीं डाला गया है। पेंशन राशि को शीघ्र ही खातों में नहीं डाला गया तो इसके लिए भी मोर्चा खोला जायेगा। लगातार आंदोलनकारियों के हितों के लिए किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई है और जिससे आंदोलनकारियों में रोष बना हुआ है। दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही सरकार की ओर से नहीं की जा रही है यह खेदजनक है। आंदोलनकारियों ने कहा कि यदि शीघ्र ही उनके हितों के लिए और उनकी मांगों पर ठोस कार्यवाही शीघ्र नहीं की गई तो सचिवालय कूच कर घेराव किया जायेगा और इसके लिए जल्द ही रणनीति तैयार की जायेगी।

इस दौरान अशोक कटारिया, जी डी डंगवाल, अनिल वर्मा, जबर सिंह रावत पावेल, गौरा देवी पुण्डीर, धनेश्वरी देवी ध्यान, विनोद असवाल, लोक बहादुर थापा, प्रभा नैथानी, सुरेश कुमार, अभय कुकरेती, बैपारी भुराठा आदि मौजूद रहे।

वहीँ दूसरी ओर  उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी मंच ने अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर शहीद स्मारक स्थल पर धरना-प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि समूचे उत्तराखंड को आरक्षित किया जाये और मुजफ्फरनगर व रामपुर तिराह कांड के दोषियों को फांसी की सजा दी जाए।

उनका कहना था कि आंदोलनकारियों को उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी का दर्जा दिया जाए। सेनानियों के आश्रितों को रोजगार में समायोजित किये जाने तथा समीवर्ती जिलों से पलायन पर पूर्ण रूप से रोक लगाये जाने और आंदोलनकारियों को दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को शीघ्र ही प्रदान किया जाना चाहिए। लगातार आंदोलनकारियों के हितों के लिए संघर्ष किया जा रहा है लेकिन प्रदेश सरकार इस ओर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं कर पा रही है। उनका कहना है कि लगातार आंदोलनकारियों का उत्पीड़न किया जा रहा है। उनके हितों के लिए किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है जिससे आंदोलनकारियों में रोष बना हुआ है।

धरने में नंदा बल्लभ पांडेय, विनोद असवाल, प्रेम सिंह नेगी, विश्म्बरी रावत, पुष्पा रावत, हिमानंद बहुखंडी, सुनील जुयाल, सत्येन्द्र नौगांई, वीर सिंह, राधा तिवारी, पुष्पा नेगी, बना रावत, कीर्ति रावत, गोदाम्बरी भटट, प्रभात डंडरियाल, जानकी भंडारी, मनोहरी रावत, प्रभा वोरा, कमला थापा, फूला रावत, संध्या रावत, रेखा पंवार, विमला रावत, जगदम्बा नैथानी, आरती ध्यानी, सैमर सिंह नेगी, सुशीला भटट, जयंती पटवाल, सरोज थ्पलियाल, एम एस भंडारी, विरेन्द्र कुकशाल, पुष्पा राणा, सुधा रावत, विमला पंवार, नीमा हरबोला, काति काला, तारा पांडेय, राम प्यारी, एम एस रावत आदि शामिल हुए।

devbhoomimedia

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