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राज्य कर्मचारी बीमा निगम 10 से 20 बैड के अस्पतालों को भी करेगा अपने साथ सम्बद्ध

पांच कर्मचारी तक के संस्थानों को भी ई.एस.आई.सी. के दायरे में लाने का फैसला

प्रत्येक जिले में ई.एस.आई.सी. डिस्पेन्सरी एवं अस्पताल के लिए भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : राज्य कर्मचारी बीमा निगम (ई.एस.आई.सी.) की बैठक में कोटद्वार में 300 बैड के सुपर स्पेशियल हाॅस्पिटल की स्वीकृति के साथ पर्वतीय क्षेत्रों में ऐसे संस्थानों को भी ई.एस.आई.सी. के दायरे में लाने का फैसला लिया गया, जिनमें 5 कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके अलावा स्वैच्छिक ई.एस.आई.सी. के लिए भी प्रोत्साहन देने का निर्णय लिया गया। बोर्ड बैठक में पर्वतीय क्षेत्रों की विषम भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए 10 से 20 बैड के अस्पतालों को भी सम्बद्धता देने का फैसला लिया गया।

विशेष कार्याअधिकारी, विनोद रावत ने बताया कि रिस्पना पुल, हरिद्वार रोड स्थित एक होटल में श्रम मंत्री डा. हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में कर्मचारी राज्य बीमा निगम की 7 वीं क्षेत्रीय परिषद की बैठक आहूत हुई।  उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश से अलग होते समय ई.एस.आई.सी. के तहत लगभग 30 हजार कर्मचारी लाभान्वित होते थे जबकि इस वक्त लगभग 28 लाख कर्मचारियों को ई.एस.आई.सी. से चिकित्सकीय सुविधायें प्रदान की जा रही हैं जबकि कर्मचारियों का ढांचा वही है जो उत्तर प्रदेश के समय था। बोर्ड ने सर्वसम्मिति से वर्तमान परिस्थिति के अनुरूप कर्मचारियों-अधिकारियों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया। यह भी निर्णय लिया गया कि ई.एस.आई.सी. अस्पताल रूद्रपुर का उद्घाटन फरवरी, 2019 में हो गया था किन्तु अभी तक अस्पताल में मात्र ओ.पी.डी. कार्य कर रही है। इसके लिए भारत सरकार से तुरन्त परामर्श कर वहां यथोचित् सुविधाओं की व्यवस्था करने के लिए कहा जायेगा जिससे 100 बैड में से कम से कम 50 बैड अगले 03 महीने में कार्य करने लगे और राज्य के कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सके।

डा. रावत की अध्यक्षता में बोर्ड बैठक में कोटद्वार के अन्दर 300 बैड के सुपर स्पेशियल अस्पताल के निर्माण को भी हरी झण्डी दी गयी। हाल में नई दिल्ली में केन्द्रीय श्रम मंत्री श्री संतोष गंगवार की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस अस्पताल के निर्माण का निर्णय लिया गया था। स्मरण रहे कि राज्य सरकार पहले ही इस अस्पताल के लिए भूमि अधिग्रहित कर उस पर चारदीवारी करवा चुकी है।

यह भी निर्णय लिया गया कि हरिद्वार में 100 बैड के ई.एस.आई.सी. अस्पताल के लिए शीघ्र ही कार्य शुरू कर दिया जायेगा, इसके लिए आंवटित भूमि में सिडकुल द्वारा कुछ भूमि वापस मांगे जाने के सम्बन्ध में उच्चस्तरीय वार्ता कर इसका निराकरण कर लिया जायेगा। बोर्ड अध्यक्ष एवं श्रम मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने अपर सचिव, श्रम को निर्देश दिया कि प्रत्येक जिलाधिकारी को पत्र लिखकर जिले में ई.एस.आई.सी. डिस्पेन्सरी एवं अस्पताल के लिए भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जायेगा। बैठक में कर्मचारी राज्य बीमा सोसायटी के साथ कोटद्वार, ऊद्यमसिंह नगर, हरिद्वार एवं देहरादून में स्थानीय कमेटी के गठन को स्वीकृति प्रदान की गई। कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधा देने के लिए आईटी पार्क और नेहरू काॅलोनी स्थित डिस्पेन्सरी में पैथौलाजी लैब भी शुरू की जायेगी।

श्रम मंत्री ने प्रोजेक्ट धनवन्तरी के अन्तर्गत ई.एस.आई.सी. को प्रत्येक डिस्पेन्सरी के साथ निदेशालय और क्षेत्रीय कार्यालय से हाईटेक आनलाईन व्यवस्था बनाने के लिए कहा जिससे प्रत्येक डिस्पेन्सरी के आंकडे सभी सम्बन्धित जिम्मेदार लोगों तक पहुंच सके एवं कर्मचारियों और अधिकारियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जा सके।

बोर्ड बैठक में फैसला लिया गया कि अनुबन्धित अस्पतालों में ई.एस.आई.सी. से आच्छादित कर्मचारियों के भर्ती होने पर अधिकतम 72 घंटे के अन्दर सम्बन्धित जिलों के कार्यालयों को सूचित करना पडे़गा नहीं तो उनका बिल भुगतान रोक दिया जायेगा। पर्वतीय जनपदों की विषम भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए अब 5 कर्मचारियों वाले संस्थानों को भी ई.एस.आई.सी. में अपने श्रमिकों को पंजीकृत कराना होगा अन्यथा उनका पंजीकरण नहीं होगा।

श्री रवि चन्द्रा के संचालन में हुई बोर्ड बैठक में अपर सचिव उमेश नारायण पाण्डे, क्षेत्रीय निदेशक मौहम्मद इरफान सहित बोर्ड के अन्य सदस्य मौजूद थे।

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