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प्राचीन व अर्वाचीन मूल्यों के सांमजस्य से ही पूरा होगा न्यू इण्डिया व विश्व शान्ति का सपना : त्रिवेंद्र

‘शान्ति, सामंजस्य और प्रसन्नता के लिए परिवर्तनकाल से परिवर्तन’
विषय पर आयोजित द्वी -दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन का उद्घाटन
- हमारे मूल में ही हैं सुख,शांति और समृद्धि : डॉ. जोशी
देवभूमि मीडिया ब्यूरो

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत शुक्रवार को जौलीग्राण्ट स्थित स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय में प्रणव मुखर्जी फाउण्डेशन द्वारा आयोजित ‘‘शान्ति, सामंजस्य और प्रसन्नता के लिए परिवर्तनकाल से परिवर्तन’’ विषय पर आयोजित द्वी -दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे ।
- पश्चिम इधर आ रहा है तथा हम जा रहे पश्चिम की ओर
- हमारी सनातनी परम्परा को उतार रहे अपने जीवन में पश्चिम के देश

- योग से वेलनेस व वेलनेस से हैप्पीनेस सम्भव
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि योग से वेलनेस व वेलनेस से हैप्पीनेस सम्भव है। हमारा सौभाग्य है कि हम देवभूमि, वीरभूमि उत्तराखण्ड में है। उत्तराखण्ड में ऋषिकेश अध्यात्म व योग की राजधानी के रूप में जाना जाता है। दुनियाभर के लोग यहां योग व ध्यान के लिए आते है। आदि गुरू शंकराचार्य ने उत्तराखण्ड में ज्योर्तिमठ की स्थापना की। सनातन धर्म का पैगाम दुनिया को देने वाले स्वामी विवेकानन्द ने 1893 में शिकागो धर्म सम्मेलन में जाने से पहले उत्तराखण्ड में अल्मोड़ा, अगस्तमुनि तक उन्होंने यात्रा की। स्वामी विवेकानन्द ने यहां की दिव्य ऊर्जा को लेकर पश्चिम देशों में भारत के अध्यात्म का परचम लहराया तथा मानव कल्याण व विश्व शान्ति का सन्देश दिया। गांधी जी भी छः बार उत्तराखण्ड आए तथा अध्यात्मिक ऊर्जा अनुभव की।
- समाज में परिवर्तन होना चाहिए रचनात्मक व हितकारी : डॉ. जोशी

- मानवीय सम्बन्ध फंक्शनल होते जा रहे हैं इमोशनल नहीं
डा. जोशी ने कहा कि मानवीय सम्बन्ध फंक्शनल होते जा रहे है। अब मानवीय सम्बन्ध इमोशनल नही रहे। मोबाइल की भाषा ने साहित्य, पुस्तकों व भाषाओं के महत्व को बदल दिया है। ग्लोबलाइजेशन का विस्तार हो चुका है। मानवीय संवेदनाओं में भी अस्थिरता आई है। आज की पीढ़ी भी नैतिक मूल्यों व सम्बन्धों की अस्थिरता में विश्वास करने लगी है। यह चिन्ताजनक है कि आज विश्व के विभिन्न देशों में हिंसा, तनाव, अक्रामकता, विषमताएं, अल्प मानव विकास, निम्न शैक्षणिक व पोषण स्तर व विभिन्न समस्याएं व्याप्त है। हमें मानव व पर्यावरण की आपसी निर्भरता को भी समझने की जरूरत है व पर्यावरण संरक्षण को गम्भीरता से लेना होगा। मात्र जीडीपी वृद्धि पर ध्यान नही देना होगा बल्कि सर्वागीण मानवीय विकास पर बल देना होगा।
- नेचर फ्रेण्डली टेक्नोलाॅजी को अपनाने की जरूरत
उन्होंने कहा कि मात्र तकनीकी के अन्धानुकरण को रोकना होगा। नेचर फ्रेण्डली टेक्नोलाॅजी को अपनाने की जरूरत है। सामाजिक व राजनैतिक व्यवस्था को भी पर्यावरणीय हितों के अनुरूप ढालना होगां आज हमें भारतीय संस्कृति के सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की अवधारणा को फिर से अपनाने की जरूरत है।
इस अवसर पर श्री विजय धस्माना, कर्नल बक्शी, मेयर ऋषिकेश श्रीमती अनिता मंमगाई, विभिन्न विश्वविद्यलायों के कुलपति व छात्र-छात्राएं भी उपस्थित थे।