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समाज कल्याण विभाग के पेंशन योजनाओं में करोड़ों का फर्जीवाडा!

  • एक ही व्यक्ति को तीन-तीन योजनाओं का मिला पैसा !
  • केन्द्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की जांच में हुआ घोटाले का खुलासा 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : राज्य के समाज कल्याण विभाग द्वारा बांटे जाने वाली पेंशन योजनाओं में जांच के बाद करोड़ों के घोटाले की आशंका सामने आयी है । अभी तक पकड़ में आये ये माले वृद्धावस्था पेंशन , विकलांग और विधवा पेंशन से जुड़ा ही सामने आया है । इतना ही नहीं जांच के बाद यह भी सामने आया है कि विभाग ने जिन बैंक खातों में लाभार्थियों को रकम सरकार भेजी है उन बैंक खातों पर ही सवालिया निशान लग गए हैं कि  वह लाभार्थियों के ही बैंक खाते हैं कि नहीं । 

अब तक जांच के बाद सूबे  में 36 हजार 330 ऐसे बैंक खातों की पहचान की गई है जो डुप्लीकेट हैं। इतना ही नहीं लगभग 30 हजार ऐसे बैंक खातों को पकड़ा गया है जिनमें आवेदक और आवेदक के पिता का नाम भी लगभग समान दर्शाये गए हैं । जांच के बाद अब इस  बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पेंशन की राशि हड़पने के लिए विभाग के अधिकारियों अथवा कर्मचारियों ने न जाने किस-किस से मिलकर  किस स्तर तक का फर्जीवाड़ा किया है।

गौरतलब हो कि समाजकल्याण विभाग वृद्धावस्था पेंशन सहित विकलांग और विधवा पेंशन के मिलने वाले एक हज़ार रूपये की रकम को सूबे के हर उस लाभार्थी को सरकार उसके बैंक खाते में भेजती है जिनका विभाग में इन योजनाओं के लिए पंजीकरण होता है । इस एक हज़ार रुपये की धनराशि में से दो से तीन सौ रुपये केन्द्र सरकार वहन करती है जबकि शेष राज्य सरकार वहन करती है।

उल्लेखनीय है कि इस घोटाले का  खुलासा राज्य के समाज कल्याण विभाग ने नहीं बल्कि केन्द्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने किया है। मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार सुधाकर शुक्ला ने पत्र लिखकर संदिग्ध बैंक खातों की जानकारी राज्य सरकार को दी है, जिसमें पेंशन की राशि हर माह डाली जाती रही है। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार सुधाकर शुक्ला ने बताया कि लाभार्थियों के डिजिटलाइजेशन के क्रम में यह गड़बड़ी सामने आई है और इस गड़बड़ी के बारे में उत्तराखंड सहित कुछ और राज्यों से भी जानकारी मांगी गई है ।

उन्होंने बताया कि मामले के सामने आ जाने के बाद अब इन राज्यों को इस बात की भी जांच करनी होगी कि संदिग्ध इन खातों में पेंशन की कितनी राशि अब तक भेजी गई है और इसे तुरंत बन्द करने को राज्यों को कहा जाएगा। उनके अनुसार केन्द्र सरकार के नेशनल सोशल असिस्टेंट प्रोग्राम के तहत ही वृद्धावस्था, विकलांग और विधवा पेंशन लाभार्थियों को दी जाती है और  पात्र व्यक्ति को हर महीने एक हज़ार रुपये पेंशन के रूप में उसके बैंक खाते में सरकार को डालना होता है। उन्होंने बताया कि यह पेंशन किसी भी लाभार्थी को इन तीनों योजनाओं में से किसी भी एक योजना के तहत ही  मिल सकती है। लेकिन अब तक की जांच में उत्तराखंड सहित कुछ राज्यों ने एक ही व्यक्ति को इन तीनों योजनाओं की पेंशन बाँट दी है यह जांच के बाद सामने आया है। हालाँकि मामले की अभी बारीकी से जांच की जा रही है कि कितने लोगों को यह मिलनी चाहिए थी और राज्यों ने कितने लोगों को यह बांटी है।  उनके अनुसार करोड़ों के घोटाले की आशंका इसलिए भी क्योंकि कई राज्यों के समाज कल्याण विभाग ने  इन योजनाओं के तहत पहले भी पैसों की लूट की जो सामने आ चुकी है।

गौरतलब हो कि इससे पहले राज्य के समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृति में हुए सौ करोड़ से अधिक के घोटाले की जांच विशेष जांच दल (एसआइटी) से की जा रही है। सौ करोड़ से अधिक के इस घोटाले की जांच के लिए मुख्यमंत्री ने बीते  कुछ माह पूर्व अनुमति देते हुए जल्द ही जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए थे।

 

 

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