नैनी झील का गिरता जलस्तर कहीं खतरे की आहट तो नहीं !

- खतरा : लगातार 14 वर्षों से शून्य के स्तर तक पहुंचती रही है नैनी झील
- प्राकृतिक जल श्रोतों के मुहाने पर हो रहे अतिक्रमण भी है जिम्मेदार
- झील के पानी का अंधाधुंद उपयोग भी है इसके लिए जिम्मेदार
- झील के कैचमेंट एरिया पर भू -माफियाओं द्वारा लगातार अतिक्रमण भी जिम्मेदार
नैनीताल : नैनी झील के लगातार गिरते जल स्तर को लेकर देश व प्रदेश के पर्यावरणविद हैरान और परेशान हैं क्योंकि पिछले 14 सालों में नैनी झील का जलस्तर कई बार शून्य के स्तर तक जा पहुंचा है। सेंटर फॉर इकोलॉजी डेवलपमेंट एंड रिसर्च (CEDAR) ने नैनी झील को लेकर पिछले 14 साल की जो रिसर्च की जो ताज़ा रिपोर्ट पेश की है उससे झील के अस्तित्व पर खतरे की आहट की बात तो सामने आती है साथ ही इसे विश्व प्रसिद्ध झील के अस्तित्व पर भी लगातार खतरे के बादल का अलार्म भी कहा जा सकता है।
हालाँकि इस साल बरसात के बाद नैनी झील लबालब भरी नज़र आई थी। लेकिन इससे पिछले साल भी नैनी झील के गिरते जल स्तर को लेकर जहाँ पर्यावरणविद परेशान नज़र आये थे वहीँ नैनीताल की झील के दीवानों के चेहरों पर भी झील के गिरते जलस्तर का गम साफ़ झलकता नज़र आ रहा था। हालाँकि बरसात के दौरान और बाद में यह नैनीताल को पसंद करने वालों और रहने वालों के लिए बड़ी राहत थी । इसी साल मई में झील के किनारे तक सूख चुके थे और पानी सतह से इतना नीचे जा चुका था कि आवारा कुत्ते झील के छिछले पानी में मछलियों का शिकार करने तक उतर पड़े थे।
बीते साल और वर्तमान में झील के शून्य स्तर पर जाने की ये कोई पहली घटना नहीं है। सेंटर फॉर इकोलॉजी डेवलपमेंट एंड रिसर्च (CEDAR) की रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2003 से 2017 के बीच भी नैनी झील का जल स्तर 10 बार शून्य पर जा पहुंचा था। सीईडीएआर की रिपोर्ट के अनुसार झील की सतह स्तर 90.99 फीट मानी जाती है. जब पानी इससे 12 फीट नीचे चला जाता है तो इसे शून्य स्तर माना जाता है।
सीईडीएआर की रिपोर्ट के अनुसार बीते सालों 2003, 2005, 2007, 2008, 2010, 2011, 2013, 2014, 2016, 2017 में झील का जल स्तर 12 से 18 फीट तक गिर चुका है। इतना ही नहीं इतिहासकार प्रयाग पाण्डे के अनुसार वर्ष 1923 और 1980 में भी झील के जलस्तर के शून्य पर जाने की बात सामने आई है।
नैनीताल को जानने वालों के अनुसार हालाँकि गर्मियों के बाद होने वाली बरसात नैनी झील के लिए हमेशा नैनी झील के लिए वरदान साबित हुई है लेकिन झील के कैचमेंट एरिया और झील को जीवित रखने वाले प्राकृतिक जल श्रोतों के मुहाने पर हो रहे अतिक्रमण और इस तरह के अतिक्रमण से सूखते प्राकृतिक जल स्रोतों के कारण झील हर साल शून्य स्तर पर पहुंच रहा है। जानकारों के अनुसार नैनी झील के शून्य स्तर पर पहुंचने की वजह नैनीताल की लगातार बढ़ती आबादी और अतिक्रमण इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है,तो वहीँ नैनी झील से रोज़ 14 से 16 एमएलडी पानी का शहर के लिए उपयोग भी इसके लिए जिम्मेदार बताया गया है।