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स्मार्ट पार्किंग, हताश अधिकारी और निराश पब्लिक

  • राजधानी में पार्किग का सूरतेहाल, लोग बेहाल 

राजेंद्र जोशी 

देहरादून : स्मार्ट पार्किंग उन व्यवसायिक भवनों में पार्किंग के स्थानों को कब्जाने वालों के लिए छूट है जिन्होंने पार्किंग की जगह बेसमेंट में दुकान या गोदाम बना दिए हैं। जहां आम जनता को खरीददारी या उन भवनों में कोई काम के वक़्त फ्री पार्किंग मिलनी चाहिए थी। कई बार MDDA  ने  शहर के ऐसे व्यावसायिक भवनों में बनायीं गयी पार्किंग को खाली करवाने का अभियान चलाया लेकिन एक – दो भवनों तक चलने के बाद यह अभियान दम तोड़ता नज़र आया। इसके बाद अब  विभागों ने जनता से स्मार्ट  पार्किंग शुल्क के नाम पर लूट का नायाब तरीका निकाला है। ताकि  व्यावसायिक भवनों द्वारा कब्जा किये गए भूतल की पार्किंग को खाली न कराना पड़े, जिससे इनका भी काम हो गया और उनका भी। लोगों का कहना है कि यह MDDA, यातायात पुलिस , नगर निगम और व्यावसायिक भवनों के स्वामियों द्वारा जनता को लूटने का एक नया तरीका है। 

पार्किग तो सम्राट बन गयी लेकिन पार्किंग चलाने वाले महकमे स्मार्ट नहीं हो पाए उन्होंने नगर निगम और यातायात पुलिस द्वारा चिन्हित पार्किंग स्थलों पर कर्मचारी भी शुल्क वेंडिंग मशीन के साथ तैनात भी कर दिये हैं लेकिन जिनकी गाड़ियां इन स्मार्ट पार्किंग पर खड़ी हो रहीं है उनकी जिम्मेदारी लेने से साफ़ हाथ खींच लिए हैं यानी आपकी गाड़ी यहाँ भगवान भरोसे कड़ी है। गाड़ी गायब हो जाय या गाडी में रखा सामान ही क्यों न गायब हो जाय इससे इनको कोई मतलब नहीं। क्योंकि इन्होने साफ़ लिखा है गाड़ी और सामान की हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं, हां तो केवल गाड़ी खड़ी करने के शुल्क तक से ही इनका वास्ता है जो वाहन स्वामियों की जेब पर डाका नहीं तो और क्या है ? 

इतना ही नहीं दिलाराम बाज़ार पर स्थित राज प्लाजा पर तो नया ही कारनामा कर दिखाया इस सब संस्थानों ने मुख्य सड़क के एक हिस्से को ही पार्किंग के रूप में प्रयोग किया जाने लगा है जो नितांत अवैध और गैरकानूनी है। चर्चा है कि यह सब पुलिस और MDDA की मिली भगत से ही संभव हुआ है क्योंकि राज प्लाजा के बेसमेंट में जो पार्किंग के लिए स्थान नियत था वहां राजप्लाज़ा बनाने वाले ने दुकानें बनाकर बेच डाली है अब आखिकरकार यहाँ आने वाले अपनी गाड़ियां खड़ी करें तो कहाँ करें लिहाज़ा सड़क के बीचों बीच का स्थान यहाँ के दुकानदारों के लिए अवैध रूप से पार्किंग के लिए आरक्षित कर  दिया गया है। चर्चा तो यहाँ तक है इस अवैध पार्किग के लिए भी दुकानदार पुलिस को हर महीने निर्धारित नज़राना पेश करते हैं। वरना बीच सड़क पर कैसे गाडी पार्क हो सकती है ? 

देश -दुनिया में यातायात मार्ग से इतर पैदल यात्रियों या वाक करने वालों के लिए एक अलग से फुट पाथ  बना होता है जिससे होकर लोग आवाजाही करते हैं ताकि वे किसी वाहन की चपेट में आएं।  लेकिन  राजपुर रोड पर  एनआईवीएच से लेकर मसूरी डायवर्जन तक का फुटपाथ बड़े-बड़े व्यवसायिक भवनों वालों ने लील दिया है। पैसिफिक माल वालों ने तो PWD और नगर निगम सहित विश्व बैंक की मदद से पैदल चलने वालों या सुबह -शाम वाक करने वालों की सुविधा के लिए जो फुट पथ बनाया था उसपर ही कब्जा कर डाला है। कोई भी सरकारी महकमा इस तरफ देखने को तैयार नहीं है क्योंकि जिन्होंने इस अवैध कब्जे पर कलम चलानी है उनकी गाड़ियों को मॉल वाला फ्री पार्किंग की सुविधा दे देता है बाकी जनता को ये अपने यहाँ भीतर बनाई गयी पार्किंग में पैसे लेकर गाडियां पार्क करवाता है।

ठीक इसी तरह शहर के बीचों बीच स्थित क्रॉस रोड माल का भी यही हाल है यहां ओल्ड डालनवाला रोड और कॉफी हाउस के बीच सड़क पर काफी जगह पार्किंग की होने की बाद भी  CPU पुलिस द्वारा चालान किया जाता है ताकि लोग अपने वाहनों कि पार्किंग क्रॉस रोड माल की पार्किंग में करें और इसके स्वामी को उस पार्किंग का पैसा मिले , जबकि ठीक क्रॉस रोड़ माल के सामने नैनी बेकरी के सामने भी कई गाड़ियां पार्क होती है इस पर CPU की नज़र टेढ़ी नहीं  होती जबकि यह अवैध पार्किंग यातायात को भी अवरुद्ध करती है। सूत्र तो तह भी बताते हैं कि इन माल स्वामियों द्वारा पुलिस व अन्य संस्थानों को इसका नजराना दिया जाता है।

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