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CBI जांच की तर्ज पर संजीव की जांच से भ्रष्टों वन अधिकारियों की नींद गायब!

  • संजीव चतुर्वेदी ने सरकार को सौंपी दो सौ  पन्नों की जांच रिपोर्ट की पहली कॉपी
  • रिपोर्ट सौंपने के बाद से वन मुख्यालय से सचिवालय तक मचा हुआ है हड़कंप !
  • दीपावली के बाद पता चलेगा सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस है या केवल है जुमलेबाज़

देहरादून। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली राज्य सरकार के पास वन अनुसंधान में तैनात अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने 200 पन्नों की अपनी जांच रिपोर्ट की पहली कॉपी सौंप दी है। इसके बाद अब सरकार के पाले में गेंद पहुँच गयी है कि वह चम्पावत के डीएफओ को सजा देकर सूबे में भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस का सन्देश देने में कामयाब होती है या जीरो टालरेंस केवल जुमला बनकर रह जाता है यह दीपावली के बाद पता चलेगा।

गौरतलब हो कि चम्पावत वन प्रभाग में वर्षों से तैनात रहे डीएफओ अशोक कुमार गुप्ता का जब भ्रष्टाचार को लेकर ऑडियो स्टिंग सामने आया जिसमें वे किसी व्यापारी से बिल भुगतान को लेकर सौदेबाजी करते साफ़ सुनाई दे रहे हैं। ऑडियो के सार्वजनिक होने के बाद शासन ने सख्त कदम उठाते हुए उन्हें डीएफओ पद से हटाकर उन्हें देहरादून वन प्रभाग मुख्य संरक्षक कार्यालय में तैनात होने के आदेश दिये और उसके बाद इसकी जांच हल्द्वानी के वन अनुसंधान में तैनात आईएफएस संजीव चतुर्वेदी को सौंप दी गई थी ।

उल्लेखनीय है कि देश के तेज़ तर्रार आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने कुछ ही दिनों में ही सीबीआई की तर्ज पर अपनी जांच को आगे बढाते हुए पूर्व डीएफओ के सभी काले कारनामों को बेनकाब करने का ऑपरेशन चलाया और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस वाली सरकार को भ्रष्ट डीएफओ का काला सच 200 पन्नों की पहली रिपोर्ट देकर त्रिवेन्द्र सरकार के हवाले कर दिया है। संजीव चतुर्वेदी के रिपोर्ट को शासन को सौंपते ही इस जांच से कुमांऊ वन प्रभाग डिवीजन में तैनात उन भ्रष्ट अफसरों की नींद उड गई है जो कहीं न कहीं भ्रष्टाचार में शामिल रहे हैं। वहीँ इस रिपोर्ट को उत्तराखंड का शासन भी रिपोर्ट को देखकर भौंचक हैं कि कहीं इस रिपोर्ट के खुलने के बाद उसकी आंच में वे भी न झुलस जाएँ । क्योंकि 200 पन्नों की इस प्राथमिक रिपोर्ट में संजीव चतुर्वेदी ने वन विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर भी अंगुली तो उठाई ही है वहीँ विभाग को भ्रष्टाचार रोकने के कई टिप्स भी दिए हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार संजीव चतुर्वेदी ने जांच हाथ में आते ही चम्वावत वन प्रभाग में हुए भ्रष्टाचार को बेनकाब करने के लिए रात-दिन एक कर दिया यहाँ तक कि उन्होंने छुट्टी के दिन भी अपनी जांच बंद नहीं की और चर्चा है कि उन्होंने इस भ्रष्टाचार को बेनकाब करने के लिए मामले से जुड़े दर्जनों कर्मचारियों से पूछताछ व उनके बयान लिये तथा बरेली में रहने वाले लीसा व्यापारी से भी चार घंटे तक कई कोणों से पूछताछ की और उसके बयान और फ़ोन रिकॉर्डिंग की सच्चाई को भी बारीकी से परखा।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संजीव चतुर्वेदी ने मामले में चर्चित डीएफओ अशोक कुमार गुप्ता को अपनी जांच में तार-तार कर दिया है और चर्चा है कि उन्होंने रिपोर्ट में टेंडर प्रक्रिया सहित अवैध कटान, लाईसेंस, जंगलात में तस्करी, अनियमितताओं को लेकर अपनी 200 पेज की पहली रिपोर्ट तैयार की है। वहीँ उन्होंने इस रिपोर्ट में फॉरेस्ट कानून के तहत भ्रष्ट डीएफओ पर कार्यवाही करने के लिए भी शासन को लिखा गया है। एक जानकारी के अनुसार संजीव चतुर्वेदी ने अपनी दूसरी फाइनल रिपोर्ट भी शासन को देनी है यह कितने पन्नों की होगी यह तो अभी तय नहीं है लेकिन उत्तराखण्ड के इतिहास में पहली बार किसी भ्रष्टाचार की जांच सैकडों पन्नों में होने से चम्पावत वन प्रभाग के वन अफसरों सहित देहरादून के राजपुर रोड में वन मुख्यालय तक के अधिकारियों में हडकंप मचा हुआ है।

devbhoomimedia

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