HARIDWAR
आरएसएस प्रमुख के साथ कुलपतियों की मीटिंग पर हरदा ने उठाये सवाल
- आरएसएस पर सियासी हमले शुरु
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
हरिद्वार । आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत चार दिनों के दौरे पर उत्तराखंड पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कई कार्यक्रमों में शिरकत की। कई महानुभावों से मुलाकात कर संघ की सोच साझा की। लेकिन इस बीच उनका एक कदम सियासी चर्चा का विषय बन गया। इस मसले को लेकर पूर्व सीएम और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने कई गंभीर सवाल खड़े किये हैं। दरअसल आरएसएस प्रमुख ने संघ के देहरादून ऑफिस में विभिन्न कुलपतियों और प्राचार्यों की बैठक ली। जिसको लेकर आरएसएस पर सियासी हमले भी शुरु हो गए हैं।
पूर्व सीएम व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत की मानें तो आरएसएस शिक्षा का भगवाकरण करने की कोशिश कर रही है। शनिवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिये हरीश रावत ने सवाल उठाया कि आखिर किस हैसियत से संघ प्रमुख ने संघ कार्यालय देहरादून में बुलाकर कुलपतियों और प्रधानाचार्यो की मीटिंग ली और संघ की विचारधारा बताई। पूर्व सीएम ने सरकार को भी कटघरे में खड़ा करते हुए अपनी पोस्ट में लिखा कि जिस विचारधारा का भारत के संविधान पर यकीन नहीं रहा है ।वो विचारधारा अब शिक्षा और विभिन्न शिक्षण संस्थाओं का भगवाकरण कर भारत की संवैधानिक सोच को बदल देना चाहती है। मुझे ये जानकर आश्चर्य हुआ कि कुछ सेवानिवृत्त मुख्य सचिव गण भी मोहन भागवत का कृपा प्रसाद लेने के लिए संघ कार्यालय में पहुंचे हैं, ये वैचारिक समर्पण है, स्वार्थों का समर्पण है या सत्ता के दबाव का समर्पण है, मैं समझ नहीं पा रहा हूं।
हालांकि उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने इस मसले पर सफाई देते हुए कहा कि सरकार की तरफ से किसी को आरएसएस कार्यालय नहीं भेजा गया और हर किसी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता है। लेकिन ये व्यक्तिगत स्वतंत्रता संघ के दफ्तर तक सबको साथ कैसे ले गई। इस पर सरकार के पास कोई जवाब नहीं। बहरहाल पूर्व सीएम हरीश रावत ने इस मसले पर मोर्चा खोलते हुए संघ दफ्तर में हुई मीटिंग पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। लेकिन दिलचस्प बात ये कि इतने बड़े मुद्दे पर रावत को छोड़ पूरी कांग्रेस क्यो चुप्पी साधे है। ऐसे में चुनावी साल में ऐसे गंभीर मुद्दे पर मुख्य विपक्षी दल का मौन समझ से परे है। सवाल ये भी है कि चुनावी मौसम में कांग्रेस की ये नींद कहीं जीत के उसके ख्वाबों को चकनाचूर ना करदे।