उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे थे लेकिन इसी बीच एस्मा एक्ट लगा दिया गया है. यानी उनके आंदोलन पर रोक लगा दी गई है. उत्तराखंड रोडवेज एंप्लाइज यूनियन के महामंत्री रविनंदन कुमार ने कहा है कि बीजे 24 अगस्त को परिवहन निगम के अधिकारियों के साथ वार्ता की गई थी. प्रशासन की तरफ से आश्वासन दिया गया कि तमाम मांगों पर विचार किया जा रहा है. वाजिब मांग होने पर उन्हें पूरा किया जाएगा. लेकिन अचानक यह एक्ट लगा दिया गया।
बता दे की कुमार ने कहा कि कर्मचारियों की मांगें पूरी होती हैं तो बेहतर होगा वरना ‘हम काम भी जारी रखेंगे और विरोध भी जारी रखेंगे. 8 घण्टे की ड्यूटी की जगह 9 घण्टे की ड्यूटी करेंगे, लेकिन काला फीता बांधकर या अन्य किसी तरीके से आंदोलन जारी रखेंगे.’ वहीं रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखंड के उप महामंत्री विपिन बिजल्वाण ने कहा कि रोडवेज प्रबंधन के साथ वार्ता की गई।
तो , उत्तराखंड रोडवेज के महाप्रबंधक दीपक जैन ने कहा कि कर्मचारियों की परेशानियां सुनी गई हैं।जो 12 सूत्रीय मांगे रखी गई हैं, उन पर विचार किया जाएगा और जो सटीक हैं उन्हें माना भी जाएगा। वहीं, एस्मा को लेकर जैन ने कहा कि त्योहारों का सीजन आने वाला है। और रोडवेज कर्मचारियों के आंदोलन के कारण आम लोगों को समस्या न हो इसलिए एस्मा एक्ट लागू किया गया है।
‘एस्मा एक्ट’
एस्मा का मतलब एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट है। जिसके तहत सरकार किसी भी प्रदर्शन या हड़ताल आदि को अवैध घोषित कर सकती है. राज्य सरकार की तरफ से लगाए गए एस्मा एक्ट के तहत सरकारी कर्मचारियों को किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन और हड़ताल करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाता है. अगर एस्मा एक्ट लागू होने के बाद कर्मचारी हड़ताल या प्रदर्शन करते हैं और उससे राज्य सरकार के कामकाज प्रभावित होते हैं तो ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सकती है. इसके अलावा बिना वोरेंट के उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है।