मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के प्रयास हुए सफल, राज्य के अनुरोध को 15 वें वित्त आयोग ने स्वीकारा
राजस्व घाटा अनुदान से उत्तराखण्ड को प्रतिवर्ष 2 हजार करोड़ रूपए से अधिक का होगा लाभ
कर-अंतरण फार्मुूला में वनों का अंश 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत करने से उत्तराखण्ड को मिलेगा फायदा
उत्तराखण्ड को राज्य आपदा राहत निधि में 787 करोड़ और शहरी स्थानीय निकायों और पंचायतराज संस्थाओं के अनुदान में 148 करोड़ रूपए की वृद्धि पर 15 वें वित्त आयोग की सहमति
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की 15 वें वित्त आयोग के समक्ष राज्य के हक में की गई पैरवी आयोग की सिफारिशों में देखने को मिल रही हैं। 15वें वित्त आयोग द्वारा उत्तराखण्ड राज्य को राजस्व घाटा अनुदान दिये जाने की संस्तुति की गई है, जिसके फलस्वरूप राज्य को प्रतिवर्ष लगभग न्यूनतम रू 2000 करोड़ का लाभ होगा। आयोग की सिफारिशों में केन्द्रीय करों में राज्य का अंश 1.052 से बढ़ाकर 1.104 कर दिया गया है, जिससे राज्य को प्रतिवर्ष लगभग रू. 300 से 400 करोड़ का लाभ होगा। डिवोलेशन फार्मूला में वनों का अंश 7.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है, जिसे राज्य के अंश में वृद्धि हुई है। राज्य आपदा राहत निधि के अंश में 787 करोड़ रूपए वृद्धि पर सहमति दी गई है। शहरी स्थानीय निकायों एवं पंचायतीराज संस्थाओं के अनुदान में भी 148 करोड़ रूपए की वृद्धि हुई है।
*मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के पक्ष को स्वीकारने के लिए 15 वें वित्त आयोग का जताया आभार*
15 वें वित्त आयोग की सिफारिशों पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि, ‘‘15वें वित्त आयोग के समक्ष राज्य के पक्ष को तार्किक ढंग से बहुत ही स्पष्ट एवं सक्षम तरीके से प्रस्तुत किया गया। उसी का परिणाम है कि विभिन्न बिंदुओं पर आयोग ने अपनी सहमति देते हुए राज्य के पक्ष में संस्तुतियां की हैं। उत्तराखण्ड के दृष्टिकोण को समझने और तद्नुसार संस्तुतियां देने के लिए 15 वें वित आयोग का आभार व्यक्त करते हैं। इससे उत्तराखण्ड विकास के पथ पर और तेजी से आगे बढ़ेगा।”
*उत्तराखण्ड द्वारा दी जा रही पर्यावरणीय सेवाओं को किया स्वीकार*
15 वें वित्त आयोग को संदर्भित विषयों एवं राज्य की विभिन्न समस्याओं के संबंध में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में मैमोरेण्डम प्रस्तुत किया गया था। उत्तराखण्ड द्वारा मैमोरेण्डम में विभिन्न बिन्दुओं को स्पष्ट एवं विश्वसनीय तरीके से प्रस्तुत किया गया, जिसे आयोग द्वारा स्वीकार किया गया। उत्तराखण्ड राज्य के परिदृश्य में आयोग द्वारा स्वीकार किया गया है कि राज्य द्वारा पूरे देश को बहुमूल्य ईको-सिस्टम सेवायें प्रदान की जा रही हैं। इसके लिये 15 वें वित्त आयोग से डिवोलेशन फार्मूला में वनों का अंश बढ़ाये जाने का अनुरोध किया गया था, जिसे ग्रीन बोनस भी कह सकते हैं। 15वें वित्त आयोग द्वारा डिवोलेशन फार्मूला में वनों का अंश 7.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे राज्य के अंश में वृद्धि हुई है।
*उत्तराखण्ड को मिलेगा राजस्व घाटा अनुदान*
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सांवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप 15 वें वित्त आयोग के समक्ष राज्य के हक की पुरजोर पैरवी करते हुये कहा था कि 14वें वित्त आयोग द्वारा राजस्व घाटा अनुदान को समाप्त कर दिया था, जिसके कारण राज्य को अत्यधिक नुकसान उठाना पड़ा। 15वें वित्त आयोग ने इस बात को स्वीकार करते हुए उत्तराखण्ड राज्य को राजस्व घाटा अनुदान दिये जाने की संस्तुति की है, जिसके फलस्वरूप राज्य को प्रतिवर्ष लगभग न्यूनतम रू 2000 करोड़ का लाभ होगा।
*आपदा राहत निधि में बढ़ोतरी*
आपदा प्रबन्धन के अन्तर्गत राज्य को राज्य ‘‘आपदा राहत निधि’’ (SDRF)के अंश के रूप में गतवर्ष लगभग रू. 254 करोड़ की धनराशि प्राप्त होती थी। उत्तराखण्ड राज्य में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं से निटने के लिये आवश्यक सहायता दिये जाने का विषय आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया। राज्य से सहमत होते हुये 15वें वित्त आयोग द्वारा राज्य आपदा राहत निधि के अंश में वृद्धि करते हुये, इसे प्रतिवर्ष लगभग रू 1041 करोड़ कर दिया गया है।
*शहरी स्थानीय निकायों और पंचायतीराज संस्थाओं के अनुदान में वृद्धि*
14वें वित्त आयोग द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20 में मूल अनुदान के अन्तर्गत शहरी स्थानीय निकायों एवं पंचायतीराज संस्थाओं हेतु कुल रू704.10 करोड़ की धनराशि संस्तुति की गई थी। 15वें वित्त आयोग द्वारा शहरी स्थानीय निकायों एवं पंचायतीराज संस्थाओं हेतु अनुदान में वृद्धि करते हुये वित्तीय वर्ष 2020-21 हेतु कुल रू 852.00 करोड़ की धनराशि संस्तुत की गई है, जिसमें लगभग 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।