राज्य में काम कर रहे दागी और सजायाफ्ता अधिकारी व कर्मचारियों का विवरण मांगे जाने से खलबली
आरटीआई में दो साल में हुई तैनातियों की मांगी सूची
देहरादून : सुप्रीम कोर्ट और डीओपीटी के आदेश के बावजूद अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों की तैनाती बिना सिविल सर्विसेज बोर्ड की सिफारिश के करने को लेकर आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी ने मुख्य सचिव को पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने अपनी पिछली दोनों तैनातियों के आदेश को गैरकानूनी बताते हुए तैनाती की कार्रवाई बोर्ड की सिफारिश से करने की मांग की है। इस पत्र से शासन में खलबली मची हुई है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पीएसआर सुब्रमण्यम बनाम केंद्र सरकार केस में अक्तूबर-2013 में निर्णय दिया था। इसमें कहा गया था कि राज्य सरकारें तबादले और नियुक्तियों में मनमानी कर रही हैं। अखिल भारतीय सेवा के अफसरों की तैनातियां राजनीतिक कारणों पर आधारित हैं। इस निर्णय के आधार पर डिपार्टमेंट ऑफ पर्सोनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) ने प्रत्येक राज्य और केंद्र सरकार में सिविल सर्विसेज बोर्ड के गठन का आदेश जारी किया था। और साथ ही अखिल भारतीय सेवाओं यानी आईएएस, आईपीएस और आईएफएस के अफसरों की तैनाती और स्थानांतरण केवल बोर्ड की सिफारिश से करने के निर्देश जारी किए थे। यह भी कहा कि यदि राजनीतिक नेतृत्व बोर्ड की सिफारिश से सहमत नहीं है तो इसका कारण लिखित में दर्ज करना होगा।
इधर 13 दिसंबर को आईएफएस संजीव चतुर्वेदी ने हल्द्वानी में वन संरक्षक अनुसंधान के पद पर ज्वाइनिंग तो ले ली, साथ ही एक पत्र राज्य के मुख्य सचिव एस. रामास्वामी को लिखा। मुख्य सचिव कार्यालय के सूत्रों की मानें तो इसमें उन्होंने दिल्ली में ओएसडी के अलावा ताजा तैनाती को बिना सिविल सर्विसेज बोर्ड की सिफारिश के किए जाने की बात कही है। पत्र में इन तैनातियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना के साथ ही केंद्र की ओर से जारी अधिसूचना के विरुद्ध बताया है। उन्होंने तत्काल मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बोर्ड की मीटिंग बुलाकर उनका बायोडाटा व पिछली एसीआर, जिसमें एम्स में सीवीओ के तौर पर कामकाज शामिल है, को रखकर आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
साथ ही संजीव ने अपने पत्र के साथ ही एक आरटीआई आवेदन भी भेजा है, जिसमें उन्होंने डीओपीटी द्वारा सिविल सर्विसेज बोर्ड के गठन की अधिसूचना जारी होने के बाद किए गए तीनों अखिल भारतीय सेवाओं के सभी स्थानांतरण की सूची मांगी है। यह भी पूछा है कि इनमें से कितने तबादले बोर्ड के सिफारिश से हुए और जिनमें सिफारिशनहीं मानी गई, उन मामलों में नियमों का उल्लंघन करने के लिए किसकी जिम्मेदारी तय की गई है। उन्होंने पाने इस पत्र में राज्य में काम कर रहे दागी और सजायाफ्ता अधिकारी व कर्मचारियों का विवरण भी मांगा है। इस आरटीआई से शासन के सामने मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
गौरतलब है कि पिछले दो सालों में कई सारे तबादले बिना बोर्ड की सिफारिश के सीधे राजनैतिक हस्तक्षेप से किए गए हैं। ताजा मामला देहरादून के एसएसपी सदानंद दाते का भी है। संजीव ने एक बार फिर इस पत्र में भी मो. शाहिद की एंटी करप्शन में नियुक्ति का मुद्दा उठाया है।