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पेयजल निगम के कार्यालय को वापस चकराता-पुरोड़ी में शिफ्ट करने के आदेश

  • कार्यालय को वापस शिफ्ट करने में अधिकारी जानबूझकर कर रहे हैं देरी 
  • ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी 

देहरादून : देवभूमि मीडिया डॉट कॉम की खबर का एक बार फिर असर हुआ है।  प्रदेश शासन ने वर्ष 2011 में बिना किसी अनुमति के पेयजल निगम के आला अधिकारियों द्वारा  पर्वतीय इलाके चकराता के पुरोड़ी से डाकपत्थर शिफ्ट किये गए  पेयजल निगम के अधिशाषी अभियंता निर्माण शाखा के कार्यालय  को  वापस चकराता के पुरोड़ी में शिफ्ट करने के आदेश पेयजल निगम के एमडी को दिए हैं।  लेकिन अपर सचिव के आदेश के बाद भी एमडी द्वारा इस आदेश की तामील न किये जाने के बाद कार्यालय को पुरोड़ी शिफ्ट न किये जाने से स्थानीय लोगों में ब्यापक  रोष व्याप्त है। इलाके के ग्रामीणों ने एक सप्ताह के भीतर कार्यालय शिफ्ट न होने पर तीव्र आंदोलन की चेतावनी दी है।

गौरतलब हो कि वर्ष 2011 में ग्रामीणों में पेयजल वितरण के विवाद का बहाना बनाकर एमडी पेयजल निगम सहित तत्कालीन अधिकारियों ने नवीन चकराता स्थित पेयजल निगम के कार्यालय को अपनी मनमर्जी से एक महिला अधिकारी की सुविधा को देखते हुए कालसी -डाकपत्थर शिफ्ट कर दिया था। कई बार ग्रामीणों की शिकायत पर इस कार्यालय को दोबारा चकराता शिफ्ट करने के आदेश दिए गए, लेकिन अधिकारियों ने इन आदेशों को ठंडे बस्ते में डाल दिया।लेकिन ग्रामीणों को हो रही असुविधा को देखते हुए  देवभूमि मीडिया डॉट कॉम  ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित ही नहीं किया बल्कि राज्य साकार और शासन को भी अधिकारीयों के पहाड़ विरोधी निर्णय के बारे में अवगत कराया जिसका परिणाम यह हुआ कि शासन ने अवैध रूप से पुरोड़ी से कालसी -डाकपत्थर शिफ्ट किये गए इस कार्यालय को वापस पुरोड़ी में शिफ्ट किये जाने के आदेश पारित किये।

इसके बाद 29 दिसम्बर 2017 को अपर सचिव पेयजल अर्जुन सिंह ने प्रबन्ध निदेशक पेयजल को फटकार लगाते हुए आदेश दिए कि डाकपत्थर में कार्यालय चलने से सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है। इसलिए कार्यालय अन्यंत्र चकराता शिफ्ट किया जाए, लेकिन अपर सचिव के आदेश के बाद भी अधिकारी डाकपत्थर से ही कार्यालय का काम कर रहे है। मामले का सबसे आश्चर्यजनक पहलू यह भी यही कि एक कार्यालय का निगम दो-दो जगह का किराया भर रहा है जिसका जिक्र अर्जुन सिंह ने  पत्र में किया है और कहा है कि विकासनगर (डाकपत्थर ) में कार्यालय संचालित किये जाने से शासकीय धन का अनावश्यक रूप से अपव्यय हो रहा है। 

मामले में क्षेत्र पंचायत सदस्य विजय भारती प्रधान इंद्रा देवी ग्रामीण युद्धवीर तोमर खजान रावत महावीर तोमर राजेन्द्र सिंह अर्जुन सिंह टीकम रावत आदि का कहना है कि पेयजल निगम द्वारा लगातार पुरोड़ी स्थित कार्यालय का किराया दिया जा रहा है। साथ ही ग्रामीण कार्यालय निर्माण को भूमि भी दान कर चुके है। लेकिन अधिकारी अपनी सहूलियत के लिए कार्यालय शिफ्ट नही कर रहे है।

उनका आरोप है कि अधिकारियों को सत्ता पक्ष व विपक्ष के नेताओ का संरक्षण मिला हुआ है। इसके चलते उनके खिलाफ कार्यवाही नही होती है, साथ ही उन्होंने क्षेत्रीय नेताओ पर आरोप लगाते हुए कहा है कि एक तरफ तो नेता मंच से पलायन रोकने की बात कह बड़े बड़े भाषण देते है दूसरी तरफ वह कार्यालय शिफ्ट नही करा रहे है।कहना है कार्यालय यहां से जाने के बाद से सभी पेयजल योजनाओं के निर्माण पर ब्रेक लग गया है। उन्होंने जल्द कार्यालय शिफ्ट न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। मामले में जानकारी लेने के लिए जब अधिशासी अभियंता का फोन किया गया तो उनका फ़ोन लगातार स्विच ऑफ आता रहा।

 

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