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किसानों की कर्जमाफी की मांग को लेकर विपक्ष ने सदन में किया हंगामा

कर्ज माफ करने की स्थिति में नहीं सरकारः प्रकाश पंत

देहरादून। विधानसभा बजट सत्र में किसानों के कर्ज माफी के मामले के चलते प्रश्नकाल हंगामे की भेंट चढ़ गया। विपक्ष ने यूपी में योगी की सरकार की तरह किसानों के कर्ज माफ करने के मामले को लेकर सदन में जबरदस्त हंगामा किया। हंगामे के चलते कई बार विपक्ष के लोग पीठ के सामने आकर नारेबाजी करने लगे जिसके चलते विधानसभाध्यक्ष को सदन कई बार स्थगित करना पड़ा।

विपक्षी कांग्रेस की पडोसी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की तरह ही किसानों के कर्ज माफ करने की मांग करते हुए नोटिस की अतिव्याप्ति दोष युक्त भाषा  के कारण सरकार साफ निकल गई । नेता प्रतिपक्ष डाक्टर इंदिरा हृदयेश  के काम रोको पर पहले तो संसदीय कार्य तथा वित्त मंत्री प्रकाश  पंत ने इस बिंदू पर आपत्ति की कि अभी तो आज ही कृषि की मांगों पर चर्चा है । ऐसे में अलग से किसानों पर काम रोको कैसे मांगा जा सकता है । इस पर डाक्टर इंदिरा ने कहा कि हम तो प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के विधानसभा चुनाव में घूम-घूम कर कहा था कि जनता उनकी पार्टी का समर्थन दें और वे किसानों के कर्ज माफ करायेंगें । पडोसी प्रदेश की सरकार ने तो मंत्रीमंडल की पहली बैठक में ही किसानों का कर्ज माफ कर दिया । अब यहां की सरकार बताये कि वह किसानों का कर्ज कब माफ कर रही है ?

इस पर पंत ने नोटिस पढते हुए कहा कि नोटिस में पूरे देश के किसानों की परेशानी,मध्य प्रदेश के किसानों पर गोलीबारी और आत्महत्याओं आदि का उल्लेख है तो यह सरकार पूरे देश के किसानों की समस्याओं का जवाब कैसे दे सकती है ? उन्होने कहा कि जहां तक उत्तराखंड सरकार का सवाल है तो किसानों के बकाया गन्ना मूल्य समेत पूर्व सरकार की छोडी गई आर्थिकी की समीक्षा के बाद ही कुछ कहा या किया जा सकता है क्योंकि सरकारें दलीय परिधि से बाहर निरंतरता में होती है और यह सरकार अपनी जिम्मेदारी के प्रति संकल्पबद्ध हैं ।

उन्होने बताया कि राज्य में पांच लाख से ज्यादा किसानों पर विभिन्न प्रकार एक खरब नौ अरब 54 करोड रूपये का कर्ज है जिसमें 5960 करोड रूपये फसली ऋण है जिसका वार्षिक  ब्याज 413 करोड है तो 97 हजार किसानों पर 2618 करोड मियादी ऋण है जिसका वार्षिक  ब्याज 258 करोड रूपये है । इसी प्रकार 2441 करोड रूपये प्रत्यक्ष ऋण 24 हजार किसानों पर है जिसका वार्षिक  ब्याज 268 करोड रूपये है । उन्होने कहा कि कहा कर्ज माफ करने की स्थिति में सरकार अभी नही है। समीक्षा करने के बाद ही सरकार कोई फैसला लेगी। उन्होंने बताया कि बजट में किसानों को राहत देने वाले कई फेसले हैं जिस पर सदस्य कृषि बजट पर चर्चा में अपने विचार देंगें । चर्चा में कांग्रेस विधायक हरीश धामी, गोविन्द सिंह कुुंजवाल, प्रीतम सिंह, फुरकान अहमद, राजकुमार, ममता राकेश आदि ने भाग लिया ।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने विपक्ष के नोटिस को अस्वीकार कर दिया । कांग्रेस ने इसके विरोध में वैल में आकर खूब नारे लगाये लेकिन अध्यक्ष ने सदस्यों की सूचनायें लेनी शुरू कर दी तो विपक्ष अपनी सीट पर चला गया ।

बुधवार विधानसभा में सदन की कार्यवाही शुरू  होते ही विपक्ष ने नियम 310 में किसानों की समस्या उठाने की मांग । लेकिन विधानसभाध्यक्ष ने विपक्ष की मांग को मानने से इंकार कर दिया, जिस कारण विपक्ष सदन के सामने गैलरी में आकर किसान विरोधी सरकार के नारे लगाने लगा। जिस कारण विधानसभाध्यक्ष ने सदन को 15 मिनट तक के लिए स्थगित कर दिया। इसके बाद सदन का समय दो बार बढ़ाना पड़ा। बाद में सदन दोबारा शुरू हुंआ तो विपक्ष पुनः गैलरी में आ गया और किसानों की समस्या को गंभीर बताते हुये इस मुद्दे को नियम 310 में चर्चा कराने की मांग करने लगा। इसके बाद विधानसभाध्यक्ष ने किसानों की समस्या को 310 ग्राह्यता में सुना।

कांग्रेस विधायक दल के उप नेता करण मेहरा ने कहा कि किसान को न पानी मिल रहा है और न बिजली मिल रही है। वही यूरिया के लिए किसानों को भटकना पड़ रहा है। मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन ने कहा कि किसान समस्याओं से त्र्रस्त होकर खेती न कर जमीन बेच कर शहर की और रूख कर रहा है। जसपुर विधायक आदेश चौहान ने कहा कि किसान भुखमरी की ओऱ है, उसके सामने अपने गुजर बसर का संकट हो गया है। गन्ना मिल किसानों के बकाया का भुगतान नही कर पा रही है। विपक्ष ने एक स्वर में यूपी व महाराष्ट्र  की तर्ज पर किसानों के कर्ज माफ करने की मांग की।

ऊधमसिंहनगर जिला चिकित्सालय में डाक्टरों की कमी व बदहाली उठी सदन में

रूद्रपुर विधायक राजकुमार ठुकराल ने जिला चिकित्सालय में डाक्टरों की कमी व बदहाली का मुद्दे को नियम 300 में उठाया। विधानसभा में प्रमुख सचिव के माध्यम से नियम 300 मे विधानसभा में रखते हुये कहा कि रूद्रपुर में स्थित एक मात्र जिला चिकित्सालय में आधा दर्जन चिकित्सक के स्थानान्तरण के उपरान्त जिला चिकित्सालय की वर्तमान बदहाल स्थिति है।

ठुकराल ने कहा कि चिकित्सालय में डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों को ईलाज कराने में काफी मुष्किलों से जूझना पड़ रहा है। खटीमा से लेकर जसपुर तक के मरीजों को जिला चिकित्सालय में आकर बैंरग लौटने का मजबूर है। मरीज मजबूरन प्राईवेट अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर है। ठुकराल ने बताया कि चिकित्सालय में आपातकालीन मेडिकल ऑफिसर के तीन पद रिक्त है। लेडी मेडिकल ऑफिसर के चार पद रिक्त है। सीनियर महिला चिकित्साधिकारी का अभाव है। ब्लड बैंक में डॉक्टर नही है, मरीजों के डायलेसिस मशीनें वर्षों  से निष्प्रयोज्य पड़ी है जिसे संचालित करने के लिए विशेषज्ञ  चिकित्सक नही है। ठुकराल ने कहा कि जिला चिकित्सालय में डॉक्टरों की कमी को पूरा किया जाये और मशीनों को दुरस्त किया जाये जिससें अस्पताल में आने वाले मरीजों को दिक्कत से न जूझना पड़े।

शिक्षा मंत्री ने कटौती प्रस्ताव वापस लेने पर विपक्ष का साधुवाद किया

प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, संस्कृत शिक्षा, खेल, युवा कल्याण एवं पंचायती राज मंत्री अरविन्द पाण्डेय ने विधानसभा में शिक्षा खेल एवं युवा कल्याण तथा संस्कृति के अन्तर्गत प्रस्तुत लेखानुदान रूपये 37081097 हजार (रूपये तीन हजार सात सौ आठ करोड़ दस लाख मात्र) पर विपक्ष द्वारा कटौती का प्रस्ताव वापस लेने पर विपक्ष का साधुवाद किया।

पाण्डेय ने कहा कि विपक्ष के इस सहयोग के लिए वे विपक्ष के समस्त सदस्यों का शुक्रिया अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के लिए यह सौभाग्य एवं राहत की बात है कि शिक्षा का यह बजट सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ। उन्होंने पक्ष के समस्त सदस्यों का भी साधुवाद किया। ज्ञातव्य है कि प्रदेश की विधान सभा में पहली बार किसी विभाग से प्रस्तुत अनुदान में विपक्ष द्वारा राशि में कमी न लाने के प्रस्ताव का यह ऐतिहासिक उदाहरण है।

शिक्षामंत्री ने कहा कि वे प्रदेश की शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने तथा सुदृढ़ीकरण के लिए सबका सहयोग लेकर नये आयाम स्थापित करेंगे। उन्होंने विधान सभा के समस्त सदस्यों से शिक्षा में नये आयाम स्थापित करने के लिए सक्रिय सहयोग एवं सुझाव का आह्वान किया।

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